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रिटेल के अंदर

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फ्यूचर ग्रुप का रिटेल बिजनेस जल्‍द खरीदने जा रही है रिलायंस

नई दिल्‍ली. रिलायंस इंडस्ट्रीज जल्द ही फ्यूचर ग्रुप का रिटेल बिजनेस खरीद लेगी. बताया जा रहा है कि मुकेश अंबानी और किशोर बियानी के बीच ये डील अपनी फाइनल स्टेज में है.

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज कोरोना काल में हर दिन चर्चा में बनी रह रही है. कभी तमाम कंपनियों के निवेश के लिए तो कभी नए-नए रिकॉर्ड बनाने के लिए. एक बार फिर रिलायंस इंडस्ट्रीज चर्चा में है, और इस बार भी वह एक बड़ी डील है. कहा जा रहा है कि रिटेल कारोबार में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए मुकेश अंबानी अब किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर ग्रुप में हिस्सेदारी खरीदने की तैारी कर रहे हैं.

बल्कि ये कहना ज्यादा सही होगा कि मुकेश अंबानी अब फ्यूचर ग्रुप को खरीदने वाले हैं. खबर तो ये भी है कि दोनों कारोबारियों के बीच ये डील अपने आखिरी चरण में है.

बाजार पर पकड़ होगी मजबूत

दोनों ही कंपनियों के बीच नियम और शर्तों को लेकर सहमति बन गई है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस सौदे की घोषणा भी हो सकती है. हाल ही में रिलायंस ने अपना प्लेटफॉर्म जियो मार्ट शुरू किया है और अब ये डील हो जाने से रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रॉसरी, फैशन और रोजमर्रा की चीजों के बाजार में अपनी स्थिति को बना सकती है.

तीन कंपनियों का रिटेल के अंदर हो सकता है विलय

माना जा रहा है कि अंबानी और बियानी के बीच डील फाइनल होने के बाद फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर लाइफ स्टाइल फैशन और फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्यूशन्स का विलय हो सकता है. इसके बाद इन सब पर मुकेश अंबानी का मालिकाना हक हो जाएगा. इससे भारत में मुकेश अंबानी का कद और अधिक बढ़ जाएगा.

अमेजन भी चाहता था फ्यूचर ग्रुप खरीदना

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुकेश अंबानी की नजर ही फ्यूचर ग्रुप पर थी. अमेजन जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनी भी इसी ताक में थी कि वह फ्यूचर ग्रुप को खरीद ले, लेकिन ये डील मुकेश अंबानी ने की है. बता दें कि अभी फ्यूचर ग्रुप के मौजूदा निवेशक अमेजन, ब्लैकस्टोन और प्रेमजी इन्वेस्ट को बदले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर मिल सकते हैं.

खबर : चर्चा में



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रिलायंस रिटेल में हिस्सेदारी खरीद सकती है अमेजन, सूत्रों के हवाले से खबर

Mukesh Ambani

मीडिया में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के अपनी खुदरा इकाई रिलायंस रिटेल में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी Amazon को बेचने की अटकलें हैं. यह सौदा 20 अरब डॉलर होने की संभावना है. एक समाचार एजेंसी ने अपने सूत्र के हवाले से खबर दी है कि रिटेल के अंदर अमेजन ने आरआईएल की खुदरा कारोबार इकाई ‘रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड’ में निवेश को लेकर बातचीत की है और संभावित निवेश को लेकर रुचि दिखायी है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि रिलायंस अपनी इस इकाई में 40 प्रतिशत तक हिस्सेदारी अमेजन को बेचना चाहती है. यह सौदा 20 अरब डॉलर का हो सकता है. यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा विनिवेश सौदा होगा.

रिलायंस और अमेजन ने रिपोर्ट को लेकर टिप्पणी करने से इनकार किया
बहरहाल रिलायंस और अमेजन दोनों ने ही इस रपट को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है. रिलायंस ने ईमेल पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज अथवा उसकी समूह कंपनियों में पूंजीगत सौदों को लेकर की गयी एकतरफा, गलत और काल्पनिक रपटों पर टिप्पणी नहीं करने की नीति है. हम इस तरह के किसी भी सौदे के बारे में न तो पुष्टि करते हैं और न ही उससे इनकार करते हैं जिस पर बातचीत चल रही हो अथवा नहीं भी चल रही हो. कंपनी ने शेयर बाजारों को भी इसी प्रकार की प्रतिक्रिया भेजी है. रिलायंस ने कहा कि कंपनी में विभिन्न अवसरों को लेकर लगातार मूल्यांकन चलता रहता है. कंपनी सूचीबद्धता दायित्व और सूचना सार्वजनिक करने के नियमों का पालन करती है और वह अनिवार्य सूचनाओं की लगातार जानकारी देती रहेगी.

रिलायंस ने कहा है कि इस संदेश के जरिये हम मीडिया से अपील करते हैं कि वह इस तरह की मनगढ़ंत सूचनाओं की सावधानी से छानबीन करे और इस तरह की गलत और भ्रम फैलाने वाली रपट के प्रकाशन से खुद को तथा अपने पाठकों को सुरक्षित रखे। इनमें कंपनी के बहुत से खुदरा निवेशक भी हो सकते हैं. अमेजन का फ्यूचर समूह में भी निवेश है. फ्यूचर समूह के कारोबार का रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले महीने के आखिर में 24,713 करोड़ रुपये में अधिग्रहण कर लिया. रिलायंस ने बुधवार को ही रिलायंस रिटेल की 1.75 प्रतिशत हिस्सेदारी सिल्वेर लेक को 7,500 करोड़ रुपये में बेचने की घोषणा भी की. कंपनी ने कहा कि इस तरह की और बिक्री भी हो सकती हैं. बहरहाल रपट के अनुसार अमेजन ने अपने संभावित निवेश के आकार को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं किया है.

कैरी बैग के पैसे वसूलने पर उपभोक्ता अदालत ने रिलायंस रिटेल पर 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया

मामला कर्नाटक के बेंगलुरु का है. शिकायतकर्ता ने रिलायंस स्मार्ट पॉइंट से क़रीब 2 हज़ार रुपये की ख़रीददारी की थी, लेकिन उनके बिल में कैरी बैग के भी 24.90 रुपये जोड़ दिए गए थे. उन्होंने शिकायत की थी कि रिलायंस पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने नहीं देता है, इसलिए उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को मुफ्त कैरी बैग प्रदान करे. The post कैरी बैग के पैसे वसूलने पर उपभोक्ता अदालत ने रिलायंस रिटेल पर 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया appeared first on The Wire - Hindi.

मामला कर्नाटक के बेंगलुरु का है. शिकायतकर्ता ने रिलायंस स्मार्ट पॉइंट से क़रीब 2 हज़ार रुपये की ख़रीददारी की थी, लेकिन उनके बिल में कैरी बैग के भी 24.90 रुपये जोड़ दिए गए थे. उन्होंने शिकायत की थी कि रिलायंस पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने नहीं देता है, इसलिए उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को मुफ्त कैरी बैग प्रदान करे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रिलायंस रिटेल लिमिटेड पर कुल 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि कंपनी के तहत संचालित एक स्टोर में शिकायतकर्ता को कैरी बैग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल लिमिटेड को कैरी बैग के लिए पैसे लेने पर मुआवजे के रूप में 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 2,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है.

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में एम. शोभा और सदस्यों के रूप में रेणुका देवी देशपांडे और एच. जनार्दन ने फैसला सुनाया.

बेंगलुरु के शिकायतकर्ता, जो पेशे से वकील हैं, अपनी पत्नी के साथ 10 जुलाई 2022 को मंदिर से लौट रहे थे, रास्ते में वे रिलायंस स्मार्ट पॉइंट पर खरीददारी करने चले गए. उन्होंने वहां से 2007.30 रुपये का सामान खरीदा और कैरी बैग की मांग की. चूंकि शिकायतकर्ता खरीददारी का सोचकर बाजार नहीं गए थे, इसलिए वे अपने साथ कैरी बैग भी नहीं ले गए थे.

बाद में शिकायतकर्ता तब चौंक गए जब उनके बिल में 18वें आइटम के रूप में कैरी बैग को जोड़ दिया गया और उसके 24.90 रुपये वसूल लिए गए.

नवभारत टाइम्स के मुताबिक, पेशे से वकील शिकायतकर्ता का नाम रविकिरण सी. है.

शिकायतकर्ता ने कहा कि मॉल मुफ्त कैरी बैग प्रदान करते हैं, जैसा कि राष्ट्रीय और राज्य आयोगों ने समय-समय पर आदेश जारी किए हैं. इसके अलावा, यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी एक मानदंड है.

शिकायतकर्ता ने कहा कि प्रतिवादी (रिलायंस स्मार्ट पॉइंट) विभिन्न ब्रांड का सामान बेचने का व्यवसाय कर रहा है, जिसमें इसके खुद के नाम और शैली का सामान भी शामिल है और परिस्थितियों को देखते हुए उसे मुफ्त कैरी बैग देना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि प्रतिवादी बिना एक पैसा खर्च किए, इन कैरी बैग के माध्यम से खुद का विज्ञापन कर रहे हैं, जो कि एक अवैध कृत्य है.

यह भी पाया गया कि विरोधी पक्ष यानी रिलायंस स्मार्ट पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने की अनुमति नहीं देता है और इसलिए यह उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को कैरी बैग प्रदान करे, क्योंकि वे किराने का सामान अपने हाथ में नहीं ले जा सकते हैं.

साथ ही, पाया गया कि यह भी प्रतिवादी का दायित्व है कि वह उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग लाने के लिए सूचित करे. आयोग द्वारा जारी नोटिस के जवाब में प्रतिवादी आयोग के समक्ष उपस्थित होने या मामले को चुनौती देने मे विफल रहा.

पीठ ने अपने आदेश में दर्ज किया कि इन परिस्थितियों में शिकायतकर्ता ने स्पष्ट तौर पर विरोधी पक्ष की ओर से अनुचित व्यापार या दोषपूर्ण अभ्यास किया जाना स्थापित किया.

उपभोक्ता अदालत द्वारा पारित आदेश में 5,000 रुपये मुआवजा, कैरी बैग के लिए चुकाए गए 24.90 रुपये वापस लौटाने और मुकदमे की लागत के लिए शिकायतकर्ता रिटेल के अंदर को 2,000 रुपये जुर्माना चुकाने का निर्देश दिया है. 60 दिनों की भीतर इस आदेश का पालन करना होगा, अन्यथा 7024.90 रुपये पर 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा.

Future Retail की दिवाला प्रक्रिया को मंजूरी, जानिए कैसे अर्श से फर्श पर आए किशोर बियानी

Future Retail की दिवाला प्रक्रिया को मंजूरी, जानिए कैसे अर्श से फर्श पर आए किशोर बियानी

फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर रिटेल लि. (एफआरएल) के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू करने की अपील बैंक ऑफ इंडिया ने की थी. बैंक ऑफ इंडिया की अपील को एनसीएलटी ने स्वीकार कर लिया है.

देश में मॉडर्न रिटेल बाजार के फादर कहे जाने वाले कारोबारी किशोर बियानी (Kishor Biyani) के फ्यूचर समूह  Future Group  की कर्ज में डूबी एक कंपनी के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने दिवाला कार्रवाई को मंजूरी दे दी है.

फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर रिटेल लि. (FRL) के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू करने की अपील बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) ने की थी. बैंक ऑफ इंडिया की अपील को एनसीएलटी ने स्वीकार कर लिया है.

बैंक ऑफ इंडिया की अपील को स्वीकार करते हुए एनसीएलटी ने विजय कुमार अय्यर को एफआरएल का समाधान पेशेवर (आरपी) नियुक्त किया है.

क्यों दिवालिया हो रही फ्यूचर रिटेल

फ्यूचर रिटेल के दिवालिया होने के पीछे उसका दो दिग्गज कंपनियों मुकेश अंबानी की रिलायंस  Reliance Industries  और अमेरिकी कारोबारी जेफ बेजोज की अमेजन  Amazon  के बीच फंसना है.

अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) के साथ 24713 करोड़ रुपये के विलय समझौते की घोषणा की थी.

समझौते के तहत खुदरा, थोक, लॉजिस्टिक एवं भंडारण खंडों में सक्रिय फ्यूचर समूह की 19 कंपनियों का रिलायंस रिटेल अधिग्रहण करने वाली थी. आरआरवीएल, आरआईएल समूह के तहत सभी खुदरा कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है. हालांकि, अब यह डील कैंसिल हो चुकी है क्योंकि फ्यूचर समूह के सिक्योर्ड लेंडर्स ने इसे नामंजूर कर दिया है.

अमेजन क्यों कर रहा सौदे का विरोध?

इस विलय समझौते की घोषणा के बाद से ही अमेजन इसका विरोध कर रही थी. विभिन्न अदालती मुकदमों में अमेजन ने यह कहते हुए इस सौदे का विरोध किया कि उसके साथ हुए फ्यूचर समूह के निवेश समझौते का यह करार उल्लंघन करता है.

दरअसल, ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन ने साल 2019 में एफआरएल की प्रवर्तक कंपनी फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक निवेश करार किया था.

इसके आधार पर उसने भविष्य में फ्यूचर रिटेल को खरीदने की योजना तैयार की थी. लेकिन इस बीच फ्यूचर रिटेल ने रिलायंस के साथ सौदा कर लिया था.

क्यों कर्ज चुकाने में विफल रहा फ्यूचर समूह?

फ्यूचर रिटेल पर 29 लेंडर्स के एक कंसोर्टियम का 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं फ्यूचर ग्रुप पर कुल कर्ज 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

रिलायंस के साथ सौदे से मिलने वाले पैसे से एफआरएल अपना कर्ज चुकाने चाहता था. हालांकि, अब रिलायंस के साथ सौदा खत्म होने के बाद एफआरएल ने बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज के भुगतान में चूक कर दी. इसके बाद इस साल अप्रैल में बैंक एफआरएल के खिलाफ एनसीएलटी में गया था.

वहीं, 12 मई को अमेजन ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता की धारा 65 के तहत इस मामले में हस्तक्षेप की अपील दायर की थी.

अमेजन ने कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा था कि बैंक ऑफ इंडिया और एफआरएल के बीच साठगांठ है. अमेजन ने कहा था कि रिटेल के अंदर अभी इस मामले में दिवाला कार्रवाई शुरू करना उसके अधिकारों के साथ ‘समझौता’ होगा.

किशोर बियानी ने 35 साल पहले शुरू किया था सफर

किशोर बियानी को भारत में आधुनिक रिटेल का फादर कहा जाता है. फ्यूचर ग्रुप की फ्यूचर रिटेल के माध्यम से रिटेल बिजनेस का एक पूरा साम्राज्य खड़ा किया.

किशोर बियानी का जन्म 1961 में मुंबई के एक कपड़ा व्यापारी के घर हुआ. बियानी ने 1980 के दशक में मुंबई में स्टोन वॉश डेनिम फैब्रिक को बेचने से अपना कारोबारी सफर शुरू किया था.

उसके बाद उन्होंने 1987 में Erstwhile Manz Wear नाम से रिटेल बिजनेस शुरू किया. बाद में Erstwhile Manz Wear का नाम बदलकर पैंटालून्स कर दिया गया. 1992 में पेंटालून को शेयर बाजार में लिस्ट किया.

2001 में खोला पहला बिग बाजार

फ्यूचर समूह ने 2001 में भारत में पहला बिग बाजार स्टोर खोला. बिग बाजार इतना तेजी से और इतना ज्यादा पॉपुलर हुआ कि 6 साल के अंदर पूरे भारत में इसके लगभग 100 स्टोर हो गए.

2007 में बियानी के फ्यूचर ग्रुप ने इंश्योरेंस सेक्टर में कदम रखा और फ्यूचर जनरल इंश्योरेंस को लॉन्च किया. उसी साल फ्यूचर कैपिटल भी अस्तित्व में आई, जो इक्विटी ब्रोकिंग सॉल्युशंस, वित्तीय उत्पाद, वेल्थ मैनेजमेंट सर्विसेज और रियल एस्टेट ब्रोकिंग की पेशकश करती है.

कैसे कर्ज में डूबे किशोर बियानी?

साल 2008 की आर्थिक मंदी का फ्यूचर रिटेल के कारोबार पर बहुत बुरा असर हुआ. फ्यूचर रिटेल के साथ फ्यूचर समूह पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा. रिटेल साम्राज्य का कर्ज कम करने के लिए किशोर बियानी को कई बार एसेट्स को डाइवेस्ट करना पड़ा.

बियानी को साल 2012 में पैंटालून्स चेन में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी आदित्य बिड़ला नुवो को बेचनी पड़ी. उसी साल फिर से पैसा जुटाने के लिए बियानी ने फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स में भी अधिकांश हिस्सेदारी अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी Warburg Pincus को बेच दी.

साल 2013 में फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन लिमिटेड ने डिजायनर अनीता डोंगरे के स्वामित्व वाली AND और एथनिक वियर फर्म बीबा अपैरल्स में 450 करोड़ रुपये में माइनॉरिटी हिस्सेदारी की बिक्री की.

अगस्त 2019 में किशोर बियानी ने फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी Amazon.Com NV Investment Holdings LLC. को बेच दी. फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपन्स की हिस्सेदारी 7.3 फीसदी है.

किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप पर वित्तीय संकट साल 2020 की शुरुआत में तब बढ़ा, जब उनकी लिस्टेड एंटिटी फ्यूचर रिटेल डेट रिपेमेंट में असफल हो गई और कर्जदाताओं ने शेयरों को गिरवीं रखने की बात कही.

इनसाइर ट्रेडिंग मामले में भी फंसे

फरवरी 2021 में मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने किशोर बियानी और उनके भाई अनिल के खिलाफ फ्यूचर रिटेल के शेयरों में इनसाइर ट्रेडिंग (भेदिया कारोबार) जांच के बाद एक साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट में दाखिल होने पर रोक लगा.

सेबी ने दोनों भाइयों पर दो साल तक फ्यूचर रिटेल के शेयरों की ट्रेडिंग पर भी रोक लगाई थी. साथ ही फ्यूचर कॉरपोरेट रिसॉर्सेज और बियानी बंधुओं में से प्रत्येक पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

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