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क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है?

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जिस बिल का नाम सुनते ही क्रिप्टो धड़ाम,उसमें क्या है?बैन के पक्ष-विपक्ष में तर्क

Cryptocurrency: बिल के तहत ऐसे प्रावधान लाए जाएंगे जिससे प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी.

जिस बिल का नाम सुनते ही क्रिप्टो धड़ाम,उसमें क्या है?बैन के पक्ष-विपक्ष में तर्क

Cryptocurrency Bill In India: क्रिप्टो करेंसी पर लंबे समय से भारत सरकार और आरबीआई (RBI) की चिंताओं के बीच आखिरकार सरकार ने इस पर बिल लाने की घोषणा कर दी है. केंद्र सरकार 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई बिल पेश करने वाली है जिसमें से एक क्रिप्टोकरेंसी पर भी विधेयक पेश हो सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो पर समीक्षा बैठक भी बुलाई थी. पीटीआई के मुताबिक बैठक में क्रिप्टो के फायदे-नुकसान और रेगुलेशन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई है.

इन खबरों के बाद मार्केट को तो जोरदार झटका पहुंचा ही है लेकिन क्रिप्टो के बाजार में पैसा लगाने वाले भी अब परेशानी में आ गए हैं. इस मसले से जुड़े सभी बड़े सवालों के जवाब हम आपको यहां देने की कोशिश कर रहे हैं.

किस उद्देश्य से लाया जा रहा है क्रिप्टोकरेंसी बिल?

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत में अब तक कोई नियम-कानून नहीं है. इसलिए सरकार इस पर एक विधेयक लाने की तैयारी में है. जिसका नाम होगा- क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशिय डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (The Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021). इसके तहत रिजिर्व बैंक ऑफ इंडिया एक आधाकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए एक आसान फ्रेमवर्क तैयार करेगी.

इस बिल के तहत ऐसे प्रावधान लाए जाएंगे जिससे सारी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी. हालांकि, इसकी टेक्नोलॉजी और इस्तेमाल को लेकर कुछ अपवाद जरूर रखे जाएंगे.

सरकार की घोषणा के बाद भारत में क्रिप्टो मार्केट का क्या हाल है?

जैसे ही सरकार की तरफ से क्रिप्टो बिल को लेकर घोषणा हुई भारत में क्रिप्टो मार्केट धड़ाम से गिरा. लगभग हर बड़े क्रिप्टोकरेंसी में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई. WazirX के डेटा के मुताबिक, रुपये के संदर्भ में देखे तो बिटकॉइन में 17 फीसदी की गिरावट आई, इथेरियम में 14 फीसदी, डॉजकोइन में 20 फीसदी से अधिक और पोलकाडॉट में 14 फीसदी की गिरावट आई और डॉलर-पेग्ड टोकन टीथर भी लगभग 17 प्रतिशत नीचे रहा.

सरकार के क्रिप्टो पर विधेयक लाने की घोषणा के बाद बाजार गिरा

विदेशों में क्रिप्टोकरेंसी की क्या स्थिति है?

क्रिप्टो करेंसी को कई देशों में मान्यता दी गई है तो वहीं अधिकतर देश इस करेंसी की खिलाफ हैं. हाल ही में चीन ने क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है. इसके अलावा नाइजीरिया, टर्की, बोलिविया, एक्वाडोर, कतर, बांग्लादेश, अल्जीरिया, इंडोनेशिया, वियतनाम में भी इस करेंसी पर पाबंदी लगी है.

वहीं अधिकतर देश अभी भी असमंजस की स्थिति में है कि इस करेंसी पर बैन लगना चाहिए या इसे वैध बना देना चाहिए. मध्य अमेरिका का अल सल्वाडोर दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां क्रिप्टो करेंसी वैध है. रूस में क्रिप्टो करेंसी में निवेश तो कर सकते हैं लेकिन कुछ सामान खरीदने के लिए उसके इस्तेमाल पर पाबंदी है.

अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोप के कुछ देशों में इसे पूरी तरह मान्यता तो नहीं दी गई है लेकिन यहां इस पर कोई पाबंदी भी नहीं है.

क्रिप्टो करेंसी में कितने भारतीय कर चुके हैं निवेश?

क्रिप्टो करेंसी बहुत ही ज्यादा परिवर्तनशील (क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? वोलेटाइल) करेंसी है. ब्रोकर डिस्कवरी और Brokerchooser के मुताबिक भारत में बिटकॉइन ओनर की संख्या 10.07 करोड़ है. इसके अलावा अमेरिका में 2.74 करोड़, रूस (1.74 करोड़) और नाइजीरिया में बैन के बावजूद (1.30 करोड़) लोगों के पास क्रिप्टो करेंसी है.

भारत में क्रिप्टो बैन के खिलाफ और पक्ष में क्या तर्क?

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार सरकार प्राइवेट क्रिप्टो (e.g: Zcash, Monero, etc) को बैन करने की तैयारी में है. वहीं बिटकॉइन, इथीरियम पब्लिक क्रिप्टो में शामिल है. अब तक बिल पेश नहीं हुआ है इसलिए प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टो की बहस से बचना चाहिए.

न्यूज 18 से बातचीत में cashaa के संस्थापक और सीईओ कुमार गौरव ने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं होगा क्योंकि दुनिया इस दिशा में आगे बढ़ रही है. एक देश के रूप में अगर हम इसे नजरअंदाज करते हैं तो हम पीछे रह जाएंगे. हमें इसे उचित नियमों के साथ अपनाना चाहिए."

WazirX के फाउंडर और सीईओ ने कहा कि "सरकार का रुख पहले जैसा ही लगता है. हमें बिल में दी गई बातों को पढ़ना चाहिए. बिटकॉइन एक पब्लिक ब्लॉकचेन पर एक पब्लिक क्रिप्टो करेंसी है."

इंडिया टुडे से बातचीत में क्रिप्टो एजुकेशन प्लेटफॉर्म Bitnning के फाउंडर काशिफ रजा ने बताया कि सरकार का प्रस्ताव जो अब आज हमारे पास है वही पिछली बार भी सरकार द्वारा पेश किए गए बिल के समान है.''

केवल एक चीज जो क्रिप्टो निवेशकों को डरा रही है, वह है क्लॉज निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के बारे में. मूल रूप से अगर हम इसके द्वारा जाते हैं, तो केवल सरकार द्वारा समर्थित करेंसी को ही अनुमति दी जाएगी, बाकी को नहीं. लेकिन यह अंतिम नहीं है. हमें सावधानी बरतने की जरूरत है और पूरे बिल के आने का इंतजार करना चाहिए".

Unocoin के फाउंडर और सीईओ सात्विक विश्वनाथ का मानना है-"प्राइवेट क्रिप्टो की परिभाषा कहीं भी उपलब्ध नहीं है, चाहे हम इसे पढ़ने का प्रयास करें. साथ ही सरकार की ओर से आज जो कुछ बातें हमारे पास हैं, उनके बारे में भी यह वही है जो उन्होंने पहले पेश किया था. लगता है कुछ भी नहीं बदला है. हमें इससे संभलकर चलना होगा. यह एक बहुत ही मनमाना शीर्षक है जो पिछली बार था, अब भी वही है. आज जो तीन, चार बातें निकली हैं, उन पर नजर डालें तो ऐसा लग सकता है कि कोई नया बिल नहीं है, यह पुराने जैसा ही है. फिलहाल, हम अभी इसका कोई मतलब क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? नहीं निकाल सकते हैं. लेकिन हां, निवेशक निश्चित रूप से आशंकित हैं."

जानिये क्या है रियल स्टेट डेवलपमेंट एक्ट

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1 मई, 2016 को रियल एस्टेट डेवलपमेंट एक्ट, 2016 (“अधिनियम”) लगभग आठ वर्षों के बाद लागू हुआ था क्योंकि रियल एस्टेट कानून के प्रस्ताव को पहले रखा गया था. इस कानून का उद्देश्य अचल संपत्ति क्षेत्र में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए दक्षता और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना है. अधिनियम एक व्यापक कानून है जो अचल संपत्ति के खरीदारों और डेवलपर्स / बिल्डरों दोनों को लाभान्वित करता है.

परंपरागत रूप से अचल संपत्ति भारत में एक बेहतर निवेश एवेन्यू रहा है. एक लोकप्रिय निवेश विकल्प होने के बावजूद, अचल संपत्ति क्षेत्र भ्रष्टाचार के साथ असंगठित और प्रचलित है. हाल ही में नोटबंदी योजना के चलते, यह उम्मीद की जाती है कि अचल संपत्ति लेनदेन में काले धन का उपयोग भारी गिरावट आएगी.होम लोनपर उच्च ब्याज दरें भी आवास को सस्ती बनाने में पड़ी.

तो, इस अधिनियम से रियल्टी सेक्टर के तरीके पर असर डालने की उम्मीद कैसे की जाती है? यह अधिनियम रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (आरईआरए) के साथ 500 वर्ग मीटर और / या 8 इकाइयों से अधिक आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के पूर्व पंजीकरण अनिवार्य बनाता है. प्रमोटर को भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें पिछले पांच वर्षों में प्रमोटर की परियोजनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी, अनुमोदन की एक प्रमाणित प्रति और प्रारंभिक प्रमाणपत्र, संपत्ति के लिए कानूनी शीर्षक और परियोजना के पूरा होने की समय सारिणी शामिल है.

यह जानकारी तब तक जानी जा सकती है जब पंजीकरण वैध है और आरईआरए द्वारा बनाए गए वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया जाएगा. ना सिर्फ रियल एस्टेट परियोजनाओं बल्कि रियल एस्टेट एजेंटों को भी अधिनियम के तहत पंजीकृत होना चाहिए. रियल एस्टेट एजेंटों को अनियंत्रित परियोजनाओं की इकाइयों में काम करने से रोक दिया गया है.

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घर खरीदारों क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? के बीच एक और बड़ी चिंता यह है कि खरीदार से लिया गया अग्रिम धन बिल्डर द्वारा अपनी अन्य रियल एस्टेट परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस चिंता को हल करने के लिए, अधिनियम निर्धारित करता है कि सत्तर प्रतिशत राशि एक अलग खाते में जमा की जाएगी ताकि नियत बैंक की लागत और भूमि लागत को कवर किया जा सके और सिर्फ उस उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाएगा. इसके अलावा, प्रमोटर बिक्री के लिए एक पंजीकृत समझौते को निष्पादित किए बिना बिक्री आय के 10% से अधिक राशि स्वीकार करने से प्रतिबंधित है.

अचल संपत्ति परियोजनाओं के खरीदार भी प्रमोटरों द्वारा स्वीकृत योजनाओं के निरंतर संशोधन / संशोधन / अतिरिक्तता से परेशान हैं जो संभवतः परियोजनाओं के पूरा होने में देरी का कारण बनेंगे. इस अधिनियम ने प्रमोटर को मंजूरी दे दी गई योजनाओं, लेआउट योजनाओं और इमारतों के विनिर्देशों या प्रोजेक्ट के विशिष्ट क्षेत्रों में आवंटन के कम से कम दो-तिहाई की पिछली लिखित सहमति के बिना परियोजना में किसी भी बदलाव या जोड़ करने से प्रतिबंधित करके इस मुद्दे को संबोधित किया है, प्रमोटर के अलावा, जो इस तरह के भवन में अपार्टमेंट लेने के लिए सहमत हो गए हैं. इसके अलावा, प्रमोटर भी खरीदार को यूनिट के कब्जे को सौंपने की तारीख से 5 (पांच) साल की अवधि के लिए किसी भी संरचनात्मक दोष को सुधारने के लिए उत्तरदायी है.

प्रमोटर को छोड़कर, और प्राधिकरण की पूर्व लिखित स्वीकृति के बिना दो तिहाई आवंटियों से पूर्व लिखित सहमति प्राप्त किए बिना किसी तीसरे पक्ष को रियल एस्टेट परियोजना के संबंध में अपने बहुमत अधिकारों और देनदारियों को स्थानांतरित करने या असाइन करने से भी प्रतिबंधित किया जाता है. अचल संपत्ति परियोजना के संबंध में सभी बीमा प्राप्त करने के लिए प्रमोटर की ज़िम्मेदारी भी है.

घर खरीदारों की प्रमुख चिंताओं में से एक उनके फ्लैट के कब्जे में देरी है. अधिनियम प्रमोटर के लिए कड़े दंड लगाता है अगर वह अपार्टमेंट, साजिश या इमारत के समय पर कब्जा करने में नाकाम रहता है. अगर खरीदार देरी के मामले में परियोजना से हटना चाहता है, तो प्रमोटर उस अपार्टमेंट, साजिश, भवन के संबंध में उसके द्वारा प्राप्त राशि को वापस करने के लिए उत्तरदायी है, जैसा मामला हो, इस तरह की दर पर ब्याज के साथ इस अधिनियम के तहत प्रदान की गई तरीके से मुआवजे सहित इस ओर निर्धारित किया जा सकता है. यदि खरीदार इस परियोजना से वापस नहीं हटना चाहता है, तो उसे प्रमोटर द्वारा, देरी के हर महीने के लिए ब्याज का भुगतान किया जाएगा, इस तरह की दर पर निर्धारित किया जा सकता है. प्रमोटर जमीन के दोषपूर्ण शीर्षक के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के मामले में खरीदारों को क्षतिपूर्ति करेगा, जिस पर परियोजना विकसित की जा रही है या विकसित किया गया है.

कानून अच्छी तरह से संतुलित लगता है क्योंकि यह समय पर बकाया भुगतान नहीं करने के लिए एक खरीदार पर जुरमाना लगाने का भी प्रस्ताव करता है. साथ ही, खरीदार के पास कोई समस्या होने पर निर्माता को नियामक से संपर्क करने का अवसर मिलेगा. अधिक पारदर्शिता इस क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देगी और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करेगी.

अगर किसी प्रमोटर को अधिनियम के उल्लंघन में काम करने का दोषी पाया जाता है, तो आरईआरए को पहले दिए गए पंजीकरण को रद्द करने का अधिकार है जो प्रमोटर को अपनी वेबसाइट तक पहुंचने से वंचित कर देगा.

अधिनियम विवादों के त्वरित निवारण के लिए हर राज्य में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना और निगमन के लिए भी प्रदान करता है. यह अधिनियम आरईआरए के फैसलों, दिशानिर्देशों या आदेशों से अपील सुनने के लिए एक रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (आरईएटी) भी स्थापित करता है.

यह अधिनियम घरेलू खरीदारों द्वारा सामना की जाने वाली आम समस्याओं का समाधान करने का वादा करता है. यह आवास की कीमतों को स्थिर करने और संपत्ति के समय पर कब्जा सुनिश्चित करने की संभावना है. हाल ही में उच्च प्रोफ़ाइल बिल्डरों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने परियोजनाओं के वितरण में देरी के मामले में खरीदार को क्षतिपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं, जिससे खरीदारों के आत्मविश्वास में और वृद्धि होती है.

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क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं

केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा. The post क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं appeared first on The Wire - Hindi.

केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.

(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन: रॉयटर्स)

भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के कर निहितार्थ के बारे में काफी अनिश्चितता के बाद केंद्र सरकार ने अंततः 2022-23 के केंद्रीय बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत के समग्र कर की घोषणा की.

क्रिप्टो रिसर्च एजेंसी क्रेबैको (CREBACO) ने बताया है कि 30% टैक्स लागू होने के बाद पहले दो दिनों में भारतीय एक्सचेंज में इसके वॉल्यूम में लगभग 55% की और डोमेन ट्रैफिक में 40% से अधिक की गिरावट देखी है. यह कई मायनों में इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिप्टो स्पेस नए कर दिशानिर्देशों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है.

दूसरी ओर, भारत सरकार ने ग्यारह क्रिप्टो एक्सचेंज से चुकाई नहीं गई जीएसटी के 95.86 करोड़ रुपये (958 मिलियन डॉलर) की वसूली की है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कई क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे कॉइन डीसीएक्सम बाई यूकॉइन, कॉइन स्विच कुबेर, अनकॉइन और फ्लिटपे (Coin DCX, Buy Ucoin, Coin Switch Kuber, Unocoin , Flitpay) द्वारा बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता लगाया था. हालांकि, ज़ानमाई लैब्स बड़ी चोरी का पता लगा था, जहां वज़ीरएक्स नाम का एक क्रिप्टो एक्सचेंज संचालित होता था.

जीएसटी की वसूली और क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30% कर ने भारत में क्रिप्टो टैक्स पर चल रही बहस को बढ़ाया ही है.

30 प्रतिशत कर का नियम 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी हुआ है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22 की अवधि) के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर भी कर लगाया जाएगा. इसके लिए आयकर अधिनियम, 1961 में एक नई धारा 115 BBH जोड़ी गई है.

वीडीए पर लगे अन्य करों में ट्रांसफर पर एक प्रतिशत टीडीएस, कोई बुनियादी छूट नहीं, किसी नुकसान पर कोई सेट-ऑफ नहीं, होल्डिंग अवधि के बावजूद कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं है और उपहार का लगने वाला टैक्स भी शामिल हैं.

भारत में स्टॉक और इक्विटी फंड से होने वाले लाभ पर 10-15 प्रतिशत और गैर-इक्विटी विकल्प, संपत्ति और सोने पर 20 प्रतिशत या मामूली दर से कर लगाया जाता है. वर्चुअल संपत्तियों पर इतनी ऊंची दर पर टैक्स लगाने को उद्योग के हितधारकों ने आक्रामक कदम माना है.

वीडीए पर लगे नए कर में क्रिप्टो संपत्तियां जैसे बिटकॉइन, डॉगकोइन आदि, नॉन-फंजीबाल टोकन (एनएफटी) और ऐसी कोई भी संपत्ति जो भविष्य में विकसित हो सकती है, शामिल हैं. गौर करने वाली बात यह है कि महज क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों पर टैक्स लगाने से वे भारत में वैध नहीं हो जाते हैं. यहां परिभाषा, कराधान और गणना (computation) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता का व्यापक अभाव है.

यहां तक कि कुछ समय पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार या वर्चुअल डिजिटल मुद्रा वैध है या नहीं.

सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में वीडीए को विनियमित करने क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? वाला एक कानून पेश किया जाएगा – लेकिन तब जब उनके विनियमन पर वैश्विक सहमति बन जाएगी. सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कानून पर काम कर रही है, लेकिन इसे तैयार होने में समय लग सकता है.

क्रेबैको के अनुसार, 105 मिलियन से अधिक लोग, जो भारत की कुल आबादी का 7.90 प्रतिशत है, वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. उच्च कर दर बड़े निवेशकों को प्रभावित नहीं करेगी, जो थे पहले से ही 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में थे लेकिन छोटे निवेशक और छात्र, जो अब तक क्रिप्टो निवेश पर टैक्स फ्री रिटर्न का लाभ ले रहे थे, अब प्रभावित होंगे.

देश के प्रमुख डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ज़ेरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ का मानना ​​है कि ‘अन्य टोकन या कटौती के खिलाफ नुकसान को सेट-ऑफ करने के विकल्प के बिना 30% टैक्स टर्नओवर में गिरावट का कारण बन सकता है.’

1 जुलाई 2022 से नफे या नुकसान की स्थिति में किसी रेजिडेंट सेलर द्वारा वीडीए क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? के ट्रांसफर पर एक प्रतिशत कर कटौती (टीडीएस) लागू होगा. हालांकि यह कटौती कुल देयता (liability) के साथ एडजस्ट हो जाती है और टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बाद में रिफंड का दावा किया जा सकता है. लेकिन हितधारकों की शिकायत है कि प्रावधान लिक्विडिटी को प्रभावित कर रहा है और ऐसे व्यापारी, जो ऐसी संपत्ति की लगातार खरीद-बिक्री में शामिल होते हैं, बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारी एक वर्ष में 300 बार ट्रेड कर रहा है, तो उसकी पूरी पूंजी टीडीएस में लॉक हो सकती है.

इस प्रावधान को विभिन्न कारणों से सबसे अधिक समस्याग्रस्त माना जा रहा है. पूंजी का ऐसे लॉक हो जाना और अनावश्यक अनुपालन आवश्यकताओं को बढ़ाने के अलावा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ‘ट्रांसफर’ के दायरे में क्या-क्या आता है.

उल्लेखनीय है कि क्रिप्टो को न केवल खरीदा और बेचा जाता है, बल्कि एयरड्रॉप, फोर्किंग, स्टेकिंग, पी2पी लेंडिंग और वॉलेट ट्रांसफर के माध्यम से भी लेन-देन होता है. इसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या ट्रांसफर के ये सभी तरीके उन ट्रांसफर जिन पर टीडीएस कटौती लागू होगी, के दायरे में आएंगे.

2022-23 के केंद्रीय बजट में कहा गया है कि टीडीएस काटने और जमा करने की जिम्मेदारी खरीदार पर होगी. हालांकि, खरीदार के पास विक्रेता डेटा जैसे पैन आदि की अनुपलब्धता सरीखी लॉजिस्टिक कठिनाइयों के कारण यह जिम्मेदारी एक्सचेंज पर आ सकती है.

भारत में वीडीए पर टैक्स देते समय अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी व्यय के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं होगी. इसी तरह, ऐसी संपत्ति के ट्रांसफर से लाभ कमाने वाले व्यक्ति पर कर लगाते समय किसी भी छूट पर विचार नहीं किया जाएगा, चाहे उनकी आय या उम्र कुछ भी हो.

हितधारकों ने इन टैक्स प्रावधानों को निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इंडेक्सेशन जैसे उपायों के माध्यम से निवेशकों को इस तरह के निवेश को लंबी अवधि के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय सरकार एक प्रतिशत टीडीएस के नियम के जरिये बार-बार व्यापारियों को सजा-सी दे रही है.

ओकेएक्स डॉट कॉम (OKX.com) के सीईओ जय हाओ के अनुसार, ‘क्रिप्टोकरंसी एसेट्स से 30% पर लाभ का कर सभी हितधारकों को समान रूप से खुश नहीं कर सकता है. उच्च कर निवेशकों को क्रिप्टो को निवेश के तरीके के रूप में चुनने के लिए हतोत्साहित कर सकते हैं क्या बिटकॉइन में निवेश करने का एक कानूनी और वैध तरीका है? और इससे भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर जनता द्वारा अपनाए जाने में भी देरी हो सकती है.’

उद्योग से जुड़े पर्यवेक्षकों को डर है कि इस तरह के कदम से उद्योग या तो अंडरग्राउंड हो जाएगा, या भारत से बाहर थाईलैंड, यूएई और जापान जैसे देशों, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी हब बनने के लिए अपनी कर दरों को कम कर दिया है, में स्थानांतरित हो जाएगा. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी आगे चलकर अर्थव्यवस्था के हर पहलू को परिभाषित करेगी, और यदि भारत सुगम शासन के माध्यम से इस तरह के नवाचारों को अपनाने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान नहीं करता है, तो यह प्रमुख व्यवसायों और निवेशों को खो सकता है.

(वैशाली बसु शर्मा रणनीतिक और आर्थिक मसलों की विश्लेषक हैं. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट के साथ लगभग एक दशक तक काम किया है.)

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