शेयर बाजार की मूल बातें

मुद्रा हेजिंग

मुद्रा हेजिंग
वाराणसी ब्यूरो
Updated Thu, 20 Dec 2018 10:27 PM IST

उत्पाद की पेशकश

बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र कभी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस के माध्‍यम से किसी भी उद्देश्‍य हेतु बैंक खाते के ब्‍यौरे नहीं मांगता।
बैंक सभी ग्राहकों से अपील करता है कि ऐसे किसी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस का उत्‍तर न दें, और किसी से भी, किसी भी उद्देश्‍य हेतु अपने बैंक खाते के ब्‍यौरे साझा न करें। किसी से भी अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का सीवीवी/पिन साझा न करें।

प्राकृतिक बचाव

प्राकृतिक बचाव अर्थ की प्रक्रिया को संदर्भित करता हैनिवेश उन संपत्तियों में जिनका नकारात्मक सहसंबंध है। इससे निवेशकों को वित्तीय जोखिम कम करने में मदद मिलती है। यदि एक मुद्रा हेजिंग मुद्रा का मूल्य गिरता है, तो दूसरी मुद्रा मदद करेगीइन्वेस्टर उनके नुकसान की वसूली। दूसरे शब्दों में, एक मुद्रा में नकारात्मक प्रवृत्ति को दूसरी मुद्रा में सकारात्मक प्रवृत्ति द्वारा संतुलित किया जाएगा।

Natural Hedge

शुरुआती लोगों के लिए प्राकृतिक हेजिंग का अभ्यास करना आसान है क्योंकि यह एक सरल और लागत प्रभावी प्रक्रिया है। इसमें कोई कॉम्प्लेक्स शामिल नहीं हैतकनीकी विश्लेषण या वित्तीय उत्पाद। वास्तव में, इसे जोखिम विविधीकरण प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है जो लोगों को जोखिमों को कम करने के लिए विभिन्न निवेश साधनों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

प्राकृतिक बचाव रणनीति को तोड़ना

उदाहरण के लिए, एक मुद्रा व्यापारी जिसने यूरो में निवेश किया है, वह अमेरिकी डॉलर में निवेश करके अपने मुद्रा जोखिम को कम कर सकता है। यदि यूरो का मूल्य कम हो जाता है, तो उनके नुकसान की भरपाई अमेरिकी डॉलर की सराहना से की जाएगी। दूसरे शब्दों में, एक प्राकृतिक बचाव एक निवेश रणनीति है जो नकारात्मक सहसंबंध साझा करने वाले परिसंपत्ति वर्गों पर केंद्रित है। यह निवेशक या कंपनी को उन संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है जिनका प्रदर्शन विपरीत प्रदर्शन का इतिहास है। यह विशेष रूप से जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

इस रणनीति का लक्ष्य निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाकर सर्वोत्तम रिटर्न प्राप्त करना है। उदाहरण के लिए, एक निवेशक दो कंपनियों से शेयर खरीद सकता है जिनका नकारात्मक सहसंबंध है। यदि एक कंपनी खराब प्रदर्शन करती है, तो निवेशक का जोखिम होगाओफ़्सेट रिटर्न से वे दूसरी कंपनी की प्रगति से कमाते हैं। जबकि एक प्राकृतिक हेजिंग रणनीति आपके निवेश जोखिम को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकती है, यह तकनीक लचीली नहीं है।

क्या यह काम करता है?

प्राकृतिक हेजिंग का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह व्युत्पन्न और अन्य जटिल वित्तीय साधनों से जुड़ा नहीं है। बेशक, इसका मतलब यह नहीं है कि निवेशक अपने संसाधनों को वायदा और विकल्पों में आवंटित नहीं कर सकते हैं। आप प्राकृतिक हेजिंग रणनीति के पूरक के लिए व्युत्पन्न चुन सकते हैं। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, प्राकृतिक हेजिंग हमेशा एक व्यवहार्य समाधान नहीं होता है। यह पूरी तरह से निवेश जोखिमों को समाप्त नहीं करता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक हेजिंग आपके निवेश से जुड़े जोखिम के एक बड़े हिस्से को कम करने के सर्वोत्तम तरीकों मुद्रा हेजिंग में से एक है।

प्राकृतिक हेजिंग का सबसे आम उपयोग मुद्रा विनिमय उद्योग में होता है। उदाहरण के लिए, यदिउत्पादन और कर्मचारी सभी एक देश में हैं, तो ब्रांड इसे प्राप्त करने का निर्णय ले सकता हैकच्चा माल और अन्य विनिर्माण इनपुट अपने अंतिम ग्राहकों की मुद्रा में। एक अन्य उदाहरण राजकोष हैबांड और स्टॉक की कीमत। दोनों एक नकारात्मक सहसंबंध साझा करते हैं, जिससे स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव बांड का बचाव होता है।

मूल रूप से, जब बॉन्ड अंडरपरफॉर्म कर रहे होते हैं तो स्टॉक अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उत्तरार्द्ध को सबसे सुरक्षित संपत्ति के रूप में देखा जाता है जबकि स्टॉक की कीमत अक्सर आक्रामक संपत्ति से जुड़ी होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्टॉक और बॉन्ड का नकारात्मक संबंध होता है, हालांकि, ऐसा हमेशा नहीं हो सकता है। एक मौका है कि स्टॉक और बॉन्ड दोनों मिलकर चल सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो प्राकृतिक हेजिंग रणनीति मुद्रा हेजिंग होगीविफल.

रुपये में तेजी से हेजर्स को लग सकता है झटका

जोखिम के लिए तैयारी की जा सकती है, मगर आयात करने वालों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. बैगर

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बीते चार महीनों में एक साल का फॉरवर्ड प्रीमियम 125 बेसिस अंक बढ़कर सोमवार को 5.22 फीसदी तक पहुंच गया, जो 2 नवंबर को 3.97 फीसदी था.

काफी कम समय में इस एकतरफा तेजी ने जोखिम और रिटर्न के पलड़े का संतुलन हिला दिया है. इससे हेजिंग की लागत बढ़ चुकी है और भारतीय कंपनियों के पास रहने वाला कर्ज लागत का फायदा खत्‍म हो गया है.

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आईसीआईसीआई बैंक ग्रुप के ग्लोबल मार्केट, सेल्स और रिसर्च प्रमुख बी प्रसन्ना ने कहा, "यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिक फॉरवर्ड प्रीमियम से वास्तवित यूजर्स के जोखिम प्रबंधन में अनियमितता बढ़ जाती है क्योंकि वे हेजिंग के जरिए जोखिम से दूर रहते हैं."

उन्होंने कहा, "हेजिंग में इस तरह की डाइवर्जेंस के जरिए मुद्रा हेजिंग असल यूजर्स को अधिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है." आईएफए ग्लोबल के संस्थापक अभिषेक गोयनका ने कहा कि करेंसी बाजार में आयातकों के लिए हेंजिंग की लागत बढ़ चुकी है. उन्हें निकट भविष्य में रुपये की कमजोरी का भय नहीं है.

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स्टेट बैंक आफ इंडिया गोष्ठी

Varanasi Bureau

वाराणसी ब्यूरो
Updated Thu, 20 Dec 2018 10:27 PM IST

स्टेट बैंक आफ इंडिया गोष्ठी

भदोही। भारतीय स्टेट बैंक के उपमहाप्रबंधक वाराणसी परिक्षेत्र संजय मिश्रा ने कहा कि ग्राहकों की सुविधा सर्वोपरि है। बैंक प्रबंधन हमेशा उद्यमियों की राह आसान और सेवाएं बेहतर बनाने को संकल्पित रहा है। बैंक ने अपने इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर प्लेटफार्म को और सुदृढ़ किया है। इसके अलावा विदेश विनिमय विभाग को और कस्टमर फ्रेेंडली बनाया है। जहां उद्यमियों की आवश्यकताओं का निदान त्वरित गति से हो सकेगा। वह बुधवार शाम एक होटल में एक्सपोर्टर्स मीट में कालीन निर्यातकों को संबोधित कर रहे थे।
उपमहाप्रबंधक ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के ग्राहक उसकी रीढ़ हैं। डिजिटाइजेशन पर जोर देते हुए उद्यमियों से हर संभव लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करने की बात कही। यह भी कहा कि इस क्रम में यदि किसी को कोई भी समस्या है तो बैंक उनके सहयोग को तत्पर है। निर्यातक और व्यापारियों ने बैंक में आने वाली रोजमर्रा की समस्याओं की जानकारी दी जिसके बारे में उपमहाप्रबंधक ने कहा कि कुछ समस्याओं की जानकारी उन्हें हैं जिसके निदान के लिए प्रयत्नशील हैं। इतना भरोसा दिलाया कि भारतीय स्टेट बैंक के लिए ग्राहक सुविधाएं सदैव सर्वोपरि होता है।
इससे पहले नई दिल्ली से आई फारेक्स टीम ने मुद्रा विनिमय, हेजिंग, डालर के उतार-चढ़ाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए इनका मुद्रा हेजिंग अध्ययन करते रहने का आह्वान किया। कार्यक्रम को प्रत्यूष महरोत्रा सहायक महाप्रबंधक अंतराष्ट्रीय व्यापार बैंकिंग लखनऊ, श्रीप्रकाश चौधरी क्षेत्रीय प्रबंधक भदोही-जौनपुर क्षेत्र ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता वाणिज्यिक शाखा के प्रबंधक सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने और संचालन प्रबंधक (ऋण) चंदन कुमार ने किया। कालीन निर्यातक रवि पाटोदिया, हाजी अब्दुल रब अंसारी, भरत लाल मौर्य, रुपेश बरनवाल, श्रीराम मौर्य, डा.एके गुप्ता, राजकुमार कोठारी, डॉ. पीएस दूबे, नितेश राय, सीए केपी दूबे, हाजी अब्दुल हादी, विनय कुमार मुद्रा हेजिंग गुप्ता, अशोक जायसवाल, अभिषेक केशरी, रईस अंसारी, अंकुश ठुकराल, बुलंद अख्तर, राजेश कुमार, संजय जायसवाल, लालचंद मौर्य, अमित मौर्य, बबलू गुप्ता, गुलाबचंद मौर्य, ओजैर महमूद, इमामुद्दीन अंसारी आदि उपस्थित रहे।


भदोही। भारतीय स्टेट बैंक के उपमहाप्रबंधक वाराणसी परिक्षेत्र संजय मिश्रा ने कहा कि ग्राहकों की सुविधा सर्वोपरि है। बैंक प्रबंधन हमेशा उद्यमियों की राह आसान और सेवाएं बेहतर बनाने को संकल्पित रहा है। बैंक ने अपने इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर प्लेटफार्म को और सुदृढ़ किया है। इसके अलावा विदेश विनिमय विभाग को और कस्टमर फ्रेेंडली बनाया है। जहां उद्यमियों की आवश्यकताओं का निदान त्वरित गति से हो सकेगा। वह बुधवार शाम एक होटल में एक्सपोर्टर्स मीट में कालीन निर्यातकों को संबोधित कर रहे थे।
उपमहाप्रबंधक ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के ग्राहक उसकी रीढ़ हैं। डिजिटाइजेशन पर जोर देते हुए उद्यमियों से हर संभव लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुद्रा हेजिंग करने की बात कही। यह भी कहा कि इस क्रम में यदि किसी को कोई भी समस्या है तो बैंक उनके सहयोग को तत्पर है। निर्यातक और व्यापारियों ने बैंक में आने वाली रोजमर्रा की समस्याओं की जानकारी दी जिसके बारे में उपमहाप्रबंधक ने कहा कि कुछ समस्याओं की जानकारी उन्हें हैं जिसके निदान के लिए प्रयत्नशील हैं। इतना भरोसा दिलाया कि भारतीय स्टेट बैंक के लिए ग्राहक सुविधाएं सदैव सर्वोपरि होता है।


इससे पहले नई दिल्ली से आई फारेक्स टीम ने मुद्रा विनिमय, हेजिंग, डालर के उतार-चढ़ाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए इनका अध्ययन करते रहने का आह्वान किया। कार्यक्रम को प्रत्यूष महरोत्रा सहायक महाप्रबंधक अंतराष्ट्रीय व्यापार बैंकिंग लखनऊ, श्रीप्रकाश चौधरी क्षेत्रीय प्रबंधक भदोही-जौनपुर क्षेत्र ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता वाणिज्यिक शाखा के प्रबंधक सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने और संचालन प्रबंधक (ऋण) चंदन कुमार ने किया। कालीन निर्यातक रवि पाटोदिया, हाजी अब्दुल रब अंसारी, भरत लाल मौर्य, रुपेश बरनवाल, श्रीराम मौर्य, डा.एके गुप्ता, राजकुमार कोठारी, डॉ. पीएस दूबे, नितेश राय, सीए केपी दूबे, हाजी अब्दुल हादी, विनय कुमार गुप्ता, अशोक जायसवाल, अभिषेक केशरी, रईस अंसारी, अंकुश ठुकराल, बुलंद अख्तर, राजेश कुमार, संजय जायसवाल, लालचंद मौर्य, अमित मौर्य, बबलू गुप्ता, गुलाबचंद मौर्य, ओजैर महमूद, इमामुद्दीन अंसारी आदि उपस्थित रहे।

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