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जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा

जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा
भारत में गेंदा एक बहुत ही महत्वपूर्ण फूल माना जाता है. देश में इसका प्रयोग मंन्दिरों में, शादी-विवाह में व अन्य कई अवसरों पर किया जाता है. गेंदे के फूल…

सचिन कुमार

सिर्फ 50,000 में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगा 4 लाख जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा का मुनाफा, जानें कैसे कर सकते हैं स्टार्ट?

Business Opportunity

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 18, 2021, 09:07 IST

नई दिल्ली: अगर आप भी कोई बिजनेस शुरू (Business Opportunity) करने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको एक खास बिजनेस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप मोटी कमाई (How to start own business) कर सकते हैं. आज हम आपको सेकेंड हैंड कार के बिजनेस (Used Car Buying And Selling Business) के बारे में बताएंगे.

इस समय सेकेंड हैंड कारों की डिमांड भी काफी तेज है. यह एक ऐसा बिजनेस है जिसके अंदर कार खरीदने वाला बिजनेस कमीशन देता है और कार बेचने वाला भी देता है क्योकि इसमें बहुत से लोग ऐसी डील के लिए आते है जिनको या तो कार खरीदनी है या फिर बेचनी है और यह छोटे बजट का बिजनेस है जिसको आसानी से शुरु किया जा सकता है.

भारत में कुसुम की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में कुसुम की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और बिहार शामिल हैं। भारत कुसुम का सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं। भारत में मुख्य रुप से कुसुम के फल की बीजों से निकले तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता हैं।

कुसुम के फल में कई प्रकार के औषधीय गुण पाएं जाते हैं। कुसुम का बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियां, तेल, शरबत सभी का उपयोग औषधि के रूप में किया जा सकता है। कुसुम के तेल का उपयोग भोजन में करने पर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहती है एवं तेल से सिर दर्द में भी आराम मिलता है। कुसुम के फल खाने के फायदे निम्नलिखित है :-

कुसुम का फल डायबिटिक मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।

कुसुम का फल खाने से गंजेपन की समस्या जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा दूर होती हैं।

कुसुम का फल खाने से कान के दर्द में राहत मिलती हैं।

कुसुम की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

कुसुम की खेती में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना पड़ता हैं। वो बातें निम्नलिखित हैं :-

कुसुम की खेती : जलवायु व उपयुक्त मिट्टी

कुसुम की खेती करने के लिए 15 डिग्री तक का तापमान तथा अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए 20 से 25 डिग्री तक का तापमान अच्छा होता है। कुसुम की खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिये कुसुम की फसल के लिये मध्यम काली भूमि से लेकर भारी काली भूमि उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 5 से 7 के जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा बीच का होने चाहिए।

कुसुम की खेती : बुवाई का समय

कुसुम की बुवाई का उपयुक्त समय सितम्बर माह के अंतिम से अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह तक का है। यदि खरीफ सीजन की फसल में सोयाबीन बोई है तो कुसुम फसल बोने का उपयुक्त समय अक्टूबर माह के अंत तक का है। अगर आपने खरीफ सीजन में कोई भी फसल नहीं लगाई हो तो सितम्बर माह के अंत से अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह तक कुसुम फसल की बुवाई कर सकते हैं।

कुसुम की खेती : खेत की तैयारी

कुसुम की खेती में भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है, खेत को सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर के माध्यम से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के बाद खेत में नमी रखने के लिए व खेत समतल करने के लिए पाटा लगाना अति आवश्यक हैं। पाटा लगाने से सिंचाई करने में समय व पानी दोनों की बचत होती हैं।

कुसुम की खेती करते समय 8 किलोग्राम कुसुम का बीज प्रति एकड़ के हिसाब बुवाई करना पर्याप्त होता है। बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 45 सेटीमीटर या डेढ़ फुट रखना आवश्यक होता है। पौधे से पौधे की दूरी 20 सेटीमीटर या 9 इंच अवश्य रखना चाहिये।

कुसुम की खेती : खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

जिन खेतों में सिंचाई के उचित साधन उपलब्ध ना हो वहां नाइट्रोजन 40 किलोग्राम, फॉस्फोरस 40 किलोग्राम और पोटाश 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर देना चाहिए। जिन खेतों में उपयुक्त सिंचाई के साधन हो वहां नाइट्रोजन 60 किलोग्राम, फॉस्फोरस 40 किलोग्राम और पोटाश 20 किलोग्राम की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा खेत में 2 साल के अंतराल पर 4 से 5 टन सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई से पहले देने से कुसुम में तेल की मात्रा में इज़ाफ़ा होता है।

कुसुम की एक फसल को 60 से 90 सेटीमीटर पानी की ज़रूरत पड़ती है। कुसुम की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। फसल अवधि में एक से दो बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। पहली सिंचाई बुआई के 50 से 55 दिनों पर और दूसरी सिंचाई 80 से 85 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए। कुसुम के पौधों में फूल निकलने की अवस्था में सिंचाई नहीं करनी चाहिए।

Short Selling: इस पूरे हफ्ते टूटा है सेंसेक्स, जानिए गिरते शेयर बाजार से भी कैसे कमा सकते हैं मोटा मुनाफा

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जिस तरह शेयर बाजार में लोग सस्ते दाम पर शेयर खरीद कर उसे महंगे दाम पर बेचते हैं और फायदा कमाते हैं, ठीक उसी तरह शेयर बाजार में महंगे दाम पर शेयर बेच कर और फिर उसे सस्ते दाम पर बेच कर भी फायदा कमाया जा सकता है। शेयर बाजार में ट्रेडिंग का ये भी एक तरीका होता है। इसमें जब भाव अधिक होते हैं तो शेयर बेच दिए जाते हैं और दाम गिरने पर उन्हें खरीद लिया जाता है।

इस उदाहरण से समझिए शॉर्ट सेलिंग को

मान लीजिए आज शेयर बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत 2200 रुपये के करीब है। शेयर के दाम बढ़कर 2230 रुपये तक जाते हैं, लेकिन आपको पता है कि आज बाजार के गिरने की संभावना अधिक है तो आप 2230 के भाव पर रिलायंस के शेयर बेच सकते हैं। इसके बाद मान लीजिए शाम होते-होते रिलायंस के शेयर की कीमत 2200 रुपये तक आ जाती है तो आप 2200 में इस शेयर को खरीद सकते हैं। इस तरह आपको प्रति शेयर 30 रुपये का मुनाफा होगा।

सवाल ये कि बिना खरीदे कोई शेयर बेचे कैसे?

शॉर्ट सेलिंग के बारे में जो लोग नहीं जानते हैं, उनका पहला सवाल यही होता है कि आखिर कोई जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा शेयर बेचें कैसे, जब तक कि उसे हमने खरीदा ना हो। अमूमन खरीद-बेच की प्रक्रिया में पहले कोई भी सामान खरीदा जाता है, तभी उसे बेचा जा सकता है। लेकिन शेयर बाजार में ट्रेडिंग में ये खास सुविधा है कि आप पहले बेच सकते हैं और बाद में उसी शेयर को खरीद सकते हैं। हालांकि, जब आप शेयर बेच रहे होंगे यानी सेल (SELL) कर रहे होंगे, तो आपके ट्रेडिंग अकाउंट से उन शेयरों की कीमत जितने पैसे कट जाएंगे। यानी आप पहले शेयर खरीदें या पहले शेयर बेचें, दोनों ही सूरत में पैसे देने होंगे। SELL करने के बाद शेयर BUY करने पर आपको मार्जिन का फायदा होता है, जो ऊपर वाले उदाहरण में 30 रुपये है।

बड़े-बड़े निवेशकों ने शॉर्ट सेलिंग से की है मोटी कमाई

बात भले ही राकेश झुनझुनवाला की हो या फिर राधाकृष्ण दमानी की, हर किसी ने कभी न कभी शॉर्ट सेलिंग से पैसे कमाए ही होंगे। झुनझुनवाला कहते हैं कि हर्षद मेहता स्कैम के समय उन्होंने सिर्फ शेयर बेच कर ही 30-35 करोड़ रुपये कमाए थे। शेयर बाजार के इन दिग्गजों को इस बात का अंदाजा तो लग ही जाता है कि कब शेयर बाजार में भारी गिरावट आ सकती है। 1990 के दशक में जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा जब हर्षद मेहता ने शेयर बाजार को मैनुपुलेट कर के एसीसी के शेयर्स के भाव आसमान पर चढ़ा दिए थे और फिर जब वो गिरे तो राधाकृष्ण दमानी ने उन शेयरों में शॉर्ट सेलिंग से तगड़ा मुनाफा कमाया था। आपको बता दें कि हर्षद मेहता ने एसीसी के शेयर को 200 रुपये से 9000 रुपये के स्तर तक पहुंचा दिया था।

केंचुओं के लिए आरामगाह कैसे बनाएं

जब केंचुएं तैयार हो जाएं तो इनके लिए एक बैडनुमा जगह भी चाहिए। इसके लिए कटे-फटे समाचार पत्र, कार्डबोड, पत्ते और अन्य कचरे वाला सामान अच्छा रहता है। इसके अलावा कृमियों को भोजन संसाधित करने के लिए कुछ गंदगी जैसे अपशिष्ट पदार्थों की जरूरत होती है। इन सभी कचरों को मिट्टी के साथ मिला दें। ध्यान रहे कि जो भी कुछ कचरे के रूप में उपयोग कर रहे जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा हैं वे जैविक होना चाहिए।

केंचुओं से जैविक खाद कैसे तैयार होती है? इसके लिए केंचुआ पालन के साथ ही इनके लिए उपयुक्त भोजन जैसे कीड़े, डेयरी का अपशिष्ट, तैलीय खाद्य पदार्थ, अंडे के छिलके, फल एवं सब्जियों के छिलके जैसे कृमि भोजन भी उपलब्ध करवा सकते हैं।

केंचुआ बिजनेस के कुछ टिप्स

आपने केंचुआ व्यवसाय शुरू कर दिया है और इसमें केंचुआ तैयार हो गए हैं। अब इन केंचुओं से कैसे कमाएं? इनसे बनी खाद को बेचने के अलावा और भी कई आसान तरीके हैं जिनसे आपको अच्छी आमदनी हो सकती है। आप अपने निकट किसी होटल या लांजिंग प्रतिष्ठानों को ये Earthworms बेच सकते हैं। यहां से आपको रेट भी अच्छे मिलेंगे। इसके अलावा जैविक खाद को बागवानों और नर्सरी में सप्लाई करें। वहीं मछली पकडऩे के चारा के रूप में एंगलर्स और चारा की दुकानों को बेच सकते हैं।

बता दें कि केंचुआ पालन एक अच्छे मुनाफे का व्यवसाय है। यदि आपने 4000 वर्ग फुट की जगह में केंचुआ पालन किया है तो इसमें करीब 15,000 कृमि पनपा सकते हैं। ये कृमि आपको प्रति माह लगभग 5,00,526 रुपये का उत्पादन करेंगे। 300 केंचुए की कीमत वर्तमान में 10 डॉलर या 30 डॉलर यानि 2278 रुपये प्रति पाउंड है।

वर्मी कंपोस्ट से जमीन की उर्वरा शक्ति में होता इजाफा

वर्मी कंपोस्ट केंचुओं से तैयार की जाती है। इसलिए केंचुओं को किसानों का मित्र माना जाता है। वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने से जमीन की उर्वराशक्ति लंबे समय तक बनी रहती है। केंचुआ पालने से जो खाद तैयार होती है उसे ही वर्मी कंपोस्ट कहा जाता है। आजकल वर्मी कंपोस्ट की खासी डिमांड रहती है। बता दें कि यह खाद खरपतवार के बीज, जहरीले तत्व, रोगजनकों और ऐसे कारकों से पूरी तरह से मुक्त रहती है। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ती है। इस खाद का उपयोग करने वाले किसानों को सरकार की ओर से सब्सिडी भी मिलती है।


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जानें, गेंदे की खेती कैसे करें?

देखिए, आमतौर पर गेंदे के फूल के कई किस्म बाजार में मौजूद हैं, लेकिन हम आपको उन किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आप दिल्ली के 'पूसा कृषि अनुसंधान संस्थान' से प्राप्त कर सकते हैं. पूसा जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा कृषि अनुसंधान संस्थान के उद्दान विभाग की डॉ सपना से मिली जानकारी के मुताबिक, 'वैसे तो आपको गेंदे के फूल की कई किस्में बाजार में मिल जाएंगी, लेकिन आपको पूसा कृषि अनुसंधान से 'पूसा नारंगीं गेंदा' और 'पूसा बसंती गेंदा' के किस्म का फूल की बीज मिल जाएगी. डॉ सपना ने बताया कि यह दोनों ही किस्में अफ्रीकन मेरी गोल्ड फूलों की श्रेणी में आती है. बता दें कि हमारे किसान भाइयों को गेंदे की फूल की खेती के बारे में तफसील से पूरी जानकारी देने के लिए हमारी डॉ सपना से कई मसलों पर विस्तार से वार्ता हुई. हम उन सभी मसलों को आपके सामने पूरे तफसील से पेश करने जा रहे हैं-

बुवाई

इसके अलावा अगर इस फूल के बुवाई की बात करें, तो प्रति एकड़ जमीन पर 800 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज लगता है. बीज की बुवाई के बाद तकरीबन 25 दिन इसको पौध बनने में लगते हैं. आमतौर पर गेंदे के बीज की बुवाई अगस्त से सितंबर माह के बीच किया जाता है. फरवरी-मार्च में यह पूरी तरह तैयार हो जाता है.

आमतौर पर भारत में सभी प्रकार के जलवायु में गेंदे की खेती की जाती है. इसकी खेती सर्दी, गर्मी और बरसात इन तीनों ही ऋतुओं में की जाती है.

बुवाई हेतु मिट्टी की जरूरत

यूं तो गेंदे की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है, लेकिन अगर गहरी मृदा उर्वरायुक्त मिट्टी मिल जाए, जिसमें पानी का निकास बेहतर हो, तो यह गेंदे की खेती के लिए बेहद उपयुक्त रहती है, लेकिन विशेष रूप से बुलई-दोमट मृदा गेंदे की खेती के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है.

गेंदे की खेती करते समय खाद एवं उर्वरक का किरदार बेहद अहम होता है-

सड़ी हुई गोबर की खाद- 15-20 टन प्रति हेक्टेयर

यूरिया - 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर

सिंगल सुपर फॉस्फेट- 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

म्यूरेट ऑफ पोटाश- 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

ऐसे करें इसका प्रबंधन

वहीं अगर इसके प्रबंधन की बात करें, तो इसके लिए आपको विभिन्न बातों का ध्यान रखना होगा. आमतौर पर गेंदे की फूल के साथ खरपतवार की समस्याएं आती है. यह खरपतवार फूलों से पोषक तत्व चुराते हैं, जिसका दुष्प्रभाव फूलों की वृद्धि पर पड़ता है. अब आपके जेहन में सवाल उठता है कि इन फूलों का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है. फूलों पर आने वाले खरपतवार पर आप रासायनिक तरीके से रोक लगा जानीऐं अब कैसे कमाऐं भारी मुनाफा सकते हैं. इसके लिए एनिबेन 10 पॉन्ड, प्रोपेक्लोर और डिफेमेनिड 10 पोंड प्रति हेक्टेयर से सुरक्षित एवं संतोषजनक रहेगा.

बता दें कि गेंदे की खेती विभिन्न शहरों मे की जाती है, जिसमें राजधानी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे, मैसूर, चेन्नई और कोलकाता शामिल हैं.

गेंदे की खेती के संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे किसान भाई इस नंबर पर डॉ सपना से संपर्क कर सकते हैं।

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