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वैश्विक संकेतक

वैश्विक संकेतक
पिछले हफ्ते आरबीआई ने अचानक ब्याज दरें बढ़ाई तो बाजारों में काफी परेशानी दिखी। यह कदम अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंंक की तरफ से ब्याज दरों में 50 आधार अंकों के इजाफे के बाद देखने को मिली थी। भारत व अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल वैश्विक संकेतक सख्त हुआ क्योंंकि निवेशकों ने ब्याज दरों मेंं सिलसिलेवार बढ़ोतरी की संभावना जताई।

वैश्विक भूख सूचकांक में पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे भारत, जानिए 121 देशों में कौने से स्थान पर रहा

आरआईएल, वैश्विक संकेतों से टूटे बाजार

देसी बाजारों ने पिछले हफ्ते की चार फीसदी की गिरावट को और आगे बढ़ा दिया क्योंंकि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच रुपये ने रिकॉर्ड निचले स्तर को छू लिया। कमजोर वैश्विक संकेतों और इंडेक्स के दिग्गजों रिलायंस इंडस्ट्रीज में नतीजे पर निराशा के बाद भारी गिरावट ने बाजारों को नीचे खींचा क्योंंकि तकनीकॉी शेयरों ने वापसी की। यूरोपीय व एशियाई इक्विटीज ने महंगाई में बढ़ोतरी, मौद्रिक नीति मेंं सख्ती और चीन से निर्यात में नरमी के बीच दुनिया भर की आर्थिक रफ्तार में गिरावट को लेकर चिंता जताई।

8 मार्च के बाद से सेंसेक्स ने निचला स्तर छू लिया और उसमें 365 अंकों की गिरावट आई और वह 54,471 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान यह 918 अंक तक टूट गया था। दूसरी ओर, निफ्टी 109 अंकों की नरमी के बाद 16,302 अंकों पर बंद हुआ।

आरआईएल का शेयर 4 फीसदी तक टूट गया और उसने सेंसेक्स में 318 पाइंट का नकारात्मक योगदान किया। इंडसइंड बैंक व नेस्ले इंडिया में करीब 3-3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। एचसीएल टेक 2.4 फीसदी चढ़ा जबकि इन्फोसिस और टीसीएस मेंं क्रमश: 1.7 फीसदी व 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।

आरआईएल, वैश्विक संकेतों से टूटे बाजार

देसी बाजारों ने पिछले हफ्ते की चार फीसदी की गिरावट को और आगे बढ़ा दिया क्योंंकि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच रुपये ने रिकॉर्ड निचले स्तर को छू लिया। कमजोर वैश्विक संकेतों और इंडेक्स के दिग्गजों रिलायंस इंडस्ट्रीज में नतीजे पर निराशा के बाद भारी गिरावट ने बाजारों को नीचे खींचा क्योंंकि तकनीकॉी शेयरों ने वापसी की। यूरोपीय व एशियाई इक्विटीज ने महंगाई में बढ़ोतरी, मौद्रिक नीति मेंं सख्ती और चीन से निर्यात में नरमी के बीच दुनिया भर की आर्थिक रफ्तार में गिरावट को लेकर चिंता जताई।

8 मार्च के बाद से सेंसेक्स ने निचला स्तर छू लिया और उसमें 365 अंकों की गिरावट वैश्विक संकेतक आई और वह 54,471 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान यह 918 अंक तक टूट गया था। दूसरी ओर, निफ्टी 109 अंकों की नरमी के बाद 16,302 अंकों पर बंद वैश्विक संकेतक हुआ।

आरआईएल का शेयर 4 फीसदी तक टूट गया और उसने सेंसेक्स में 318 पाइंट का नकारात्मक योगदान किया। इंडसइंड बैंक व नेस्ले इंडिया में करीब 3-3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। एचसीएल टेक 2.4 फीसदी चढ़ा जबकि इन्फोसिस और टीसीएस मेंं क्रमश: 1.7 फीसदी व 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।

वैश्विक संकेतकों, भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से तय होगी बाजार की चाल

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संघर्ष, जलवायु संकट बड़ी बाधा

जीएचआई ने कहा कि दुनिया संघर्ष, जलवायु संकट और यूक्रेन में युद्ध के साथ ही कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों के साथ भूख को खत्म करने के प्रयासों में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है.वैश्विक संकेतक

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक संकट के बढ़ने पर हालात और बिगड़ सकते हैं. इसमें कहा गया है, ‘‘संभावित वैश्विक संकेतक समाधान और आवश्यक निवेश का पैमाना ज्ञात और परिमाणित है. इसके बजाय, समस्या नीति के क्रियान्वयन में है और दुनिया में राजनीतिक वैश्विक संकेतक इच्छाशक्ति की कमी है.’’

सरकार ने पिछले साल कहा था- GHI भूख मापने का गलत पैमाना

पिछले साल खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में कहा था कि वैश्विक भूख सूचकांक (जीएसआई) भारत की वास्तविक स्थिति नहीं चित्रित करता क्योंकि यह भूख मापने का गलत पैमाना है.

मंत्री ने कहा था कि वैश्विक भूख सूचकांक की गणना चार संकेतकों - कुपोषण, बच्चों का बौनापन, बच्चों में अवरूद्ध विकास और शिशु मृत्यु दर के आधार पर की जाती है. केवल एक संकेतक यानी बच्चों में कुपोषण ही भूखमरी से वैश्विक संकेतक सीधे संबंधित है. उन्होंने कहा था कि शायद ही ऐसे कोई साक्ष्य हैं जिससे यह पता चलता हो कि चौथा संकेतक यानी शिशु मृत्यु दर भूखमरी का नतीजा है.

साध्वी ने जोर दिया था कि सरकार ने देश में भूख के निराकरण के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 लागू किया है और साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह अतिरिक्त पांच किलोग्राम खाद्यान्न निशुल्क दिया जाता है.

विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला

भूख सूचकांक में भारत की स्थिति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट. मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है. ‘बफर स्टाक’ से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है. 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए.’’

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है.’’

पाकिस्तान बन गया है एक नाकाम मुल्क, वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक संकेतकों का अनुमान

इस्लामाबाद. पाकिस्तान एक राष्ट्र के तौर पर विफल हो गया है, क्योंकि सभी वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक संकेतक लगातार पाकिस्तान में खराब सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं. मुश्किल से 8 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार और 50 अरब वैश्विक संकेतक अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटे के साथ पाकिस्तान आर्थिक संकट के कगार पर है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई दर 18 फीसदी, निर्यात 32 अरब डॉलर और और पाकिस्तान रुपया 245 डॉलर के करीब पहुंच गया है. सफल और असफल मुल्कों वैश्विक संकेतक के बीच की पतली रेखा तब पार हो जाती है, जब सत्ता पर काबिज अभिजात वर्ग देश के सामने आने वाले संकट को नकारता है और उसकी अवहेलना करता है. पाकिस्तान लगभग 22 करोड़ लोगों का घर है, एक परमाणु संपन्न देश है और भू-रणनीतिक शक्ति रखता है, लेकिन अब जो आर्थिक रूप से कमजोर और राजनीतिक रूप से अस्थिर राज्य में परिवर्तित हो गया है.

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