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क्या मैं इंट्राडे में 1 शेयर खरीद सकता हूं?

क्या मैं इंट्राडे में 1 शेयर खरीद सकता हूं?
जब कोई कंपनी मुनाफा कमाती है, तो उसके पास दो विकल्प होते हैं- या तो इसे अपने पास रखना या अपने हितधारकों को लाभांश के रूप में इसका भुगतान करना। तदनुसार, स्टॉक की दो श्रेणियां हैं- आय स्टॉक और ग्रोथ स्टॉक।

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है एवं इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग में अंतर है

Delivery Trading In Hindi: क्या? आप जानते है शेयर बाजार में ट्रेडिंग मुख्यतः दो प्रकार से की जाती है Intraday और Delivery Trading. इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में हम आपको पिछले लेख में बता चुके हैं. आज के इस लेख के माध्यम क्या मैं इंट्राडे में 1 शेयर खरीद सकता हूं? से हम आपको बताएँगे कि Delivery Trading क्या है, डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें, डिलीवरी ट्रेडिंग में लगने वाले फीस, डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे, नुकसान तथा डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में क्या अंतर है.

अगर आप शेयर बाजार में पैसे निवेश करना चाहते हैं तो इससे जुड़े सभी टर्म के बारे में आपको जानकारी भी होनी चाहिए. डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे में प्रत्येक निवेशक को जानना बहुत आवश्यक है क्योंकि इसकी मदद से आप कम जोखिम में अच्छे पैसे कमा सकते हो.

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है (What is Delivery Trading in Hindi)

Intraday Trading में हमने जाना था कि एक ही दिन के अन्दर (शेयर बाजार के खुलने से बंद होने तक के समय) शेयर को खरीदना और बेचना होता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग इंट्राडे से बहुत भिन्न होती है. डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक अपने द्वारा खरीदे गए शेयर को कभी भी बेच सकता है इसमें शेयर को बेचने की कोई समय सीमा नहीं होती है.

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है और इंट्राडे और Delivery में अंतर है – IntraDay Vs Delivery In Hindi

डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम (Delivery Trading Rules in Hindi)

डिलीवरी ट्रेडिंग करने के भी कुछ नियम होते हैं जिसके बारे में एक निवेशक को जानना बहुत जरुरी है –

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में आप ख़रीदे गए शेयर को लम्बे समय तक के लिए Hold कर सकते हैं.
  • डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए Demat Account का होना आवश्यक होता है.
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर को खरीदने के लिए निवेशक को पूरी राशि का भुगतान करना होता है.
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में कोई मार्जिन नहीं मिलता है, निवेशक को शेयर फिक्स कीमत में खरीदने होते हैं.

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करते हैं

अगर आप शेयर बाजार में लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो डिलीवरी ट्रेडिंग आपके लिए Best है. डिलीवरी ट्रेडिंग से आप लम्बे समय बाद बहुत अच्छे पैसे कमा सकते हैं.

डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए आपको एक Demat Account की जरूरत होती है आप Full Service Broker या Discount broker से अपना Demat Account खुलवा सकते हो.

अगर आपके पास बजट कम है तो आप Discount broker से ही अपना Demat Account खुलवाएं. कुछ Discount broker फ्री में भी आपका Demat Account Open करवा देते हैं.

Demat Account खुलवाने के बाद आप Broker की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल एप्लीकेशन से ट्रेडिंग करना शुरू कर सकते हो. इसके लिए पहले आपको Delivery Trading को Select करना होगा और फिर अपनी समझ के अनुसार कम्पनी के शेयर खरीदने होंगे और शेयर को अपने Demat Account में Hold करना होता है. जब आपको लगता है कि यह शेयर बेचने का सही समय है तो आप शेयर बेच कर अच्छे पैसे कमा सकते हो.

स्टॉक मार्केट कैसे काम करता है?

एक आम बाजार की तरह, शेयर बाजार में, खरीदार और विक्रेता कीमतों और व्यापार शेयरों पर बातचीत करते हैं।
शेयर बाजार में दो तरह के ट्रेड शामिल हैं: इंट्राडे और डिलीवरी।

इंट्राडे का अर्थ है ‘उसी दिन के दौरान’। इंट्राडे में, एक व्यापारी उसी दिन खरीदे गए शेयरों की डिलीवरी लिए बिना खरीदता और बेचता है। स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर कड़ी नजर रखने के लिए वह रीयल-टाइम चार्ट का उपयोग करता है। इसका उद्देश्य अल्पकालिक मूल्य में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना है।

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, ट्रेडर शेयरों को खरीदता है और उन्हें अपने डीमैट खाते में लंबे समय तक रखता है। यहां, शेयर ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, दो दिनों के बाद स्टॉक डिलीवरी की जाती है।

किसी कंपनी का स्टॉक मूल्य कैसे निर्धारित किया जाता है?

स्टॉक मूल्य की पहचान करने की प्रक्रिया उस समय से शुरू होती है जब कोई कंपनी बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने के लिए सूचीबद्ध होने का निर्णय लेती है। यह आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) प्रक्रिया शुरू करने के लिए मर्चेंट बैंकरों / हामीदारों को काम पर रखता है। ये संस्थाएं कंपनी के वर्तमान प्रदर्शन का अध्ययन करती हैं, इसकी परिसंपत्तियों और देनदारियों का विश्लेषण करती हैं और इसके भविष्य के प्रदर्शन का अनुमान लगाती हैं।

वे आईपीओ की पेशकश करने के लिए एक निश्चित मूल्य या मूल्य बैंड पर पहुंच सकते हैं। एक बार आईपीओ के माध्यम से और निवेशकों को उनके आवेदन के अनुसार शेयर आवंटित किए जाते हैं। उसके बाद, वे सूचीबद्ध हो जाते हैं, और फिर बाजार की ताकतें यानी मांग और आपूर्ति स्टॉक की कीमत की खोज को सक्षम बनाती हैं।

यदि विक्रेता (आपूर्ति) खरीदार (मांग) से अधिक हैं, तो स्टॉक की कीमत अधिक आपूर्ति के कारण गिरती है। दूसरी ओर, यदि खरीदार विक्रेताओं से अधिक हो जाते हैं, तो अतिरिक्त मांग के कारण स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है।

स्टॉक मार्केट में निवेश कैसे करें?

शेयर बाजार में निवेश मुद्रास्फीति को मात देने और दीर्घकालिक संपत्ति बनाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। आपको बस दो आसान चरणों का पालन करना है:

1. डीमैट खाता खोलें

स्टॉक ट्रेडिंग/निवेश शुरू करने के लिए, आपको अपने शेयरों को रखने के लिए एक डीमैट खाते की आवश्यकता होती है। पेटीएम मनी में, आप पूरी तरह से डिजिटल केवाईसी और न्यूनतम दस्तावेज के साथ स्टॉक ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं।

2. ब्रोकर की तलाश करें

ब्रोकर एक सेबी-पंजीकृत इकाई दलाल है जिसके माध्यम से आप बीएसई/एनएसई पर स्टॉक खरीद/बेच सकते हैं। वह अपनी सेवाओं के बदले में ब्रोकरेज नामक शुल्क लेता है। पेटीएम मनी पर, आपको डिलीवरी पर शून्य ब्रोकरेज का आनंद मिलता है और आप केवल 10 रुपये में इंट्राडे ट्रेड कर सकते हैं।

पेटीएम मनी पर शेयर बाजारों में निवेश करना सरल, सुविधाजनक और फायदेमंद है। आज ही पेटीएम मनी ऐप डाउनलोड करें।

स्टॉक के प्रकार

कंपनी के आकार, लाभांश भुगतान, उद्योग, जोखिम, अस्थिरता और बुनियादी बातों जैसे कारकों के आधार पर स्टॉक विभिन्न प्रकार के होते हैं।

1. स्वामित्व के आधार पर

स्वामित्व के आधार पर, स्टॉक दो प्रकार के होते हैं – पसंदीदा और सामान्य स्टॉक। पसंदीदा स्टॉक हितधारकों को एक निश्चित लाभांश की गारंटी देते हैं। इस वजह से इन शेयरों में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है। हालांकि, पसंदीदा स्टॉक हितधारकों को मतदान का अधिकार नहीं देते हैं। जब हम सामान्य रूप से स्टॉक का उल्लेख करते हैं, तो वे सामान्य स्टॉक होते हैं। अधिकांश स्टॉक इस रूप में जारी किए जाते हैं। इसमें आपको वोटिंग का अधिकार मिलता है और आप कंपनी के बड़े फैसलों का हिस्सा बन सकते हैं। भले ही इन शेयरों की कीमतें अत्यधिक अस्थिर हों, लेकिन आपको लंबी अवधि की पूंजी वृद्धि का आनंद मिलता है।

2. मार्केट कैप के आधार पर

बाजार पूंजीकरण के आधार पर शेयर लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप हो सकते हैं।

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?

हर एक निवेशक के लिए डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है। डिलीवरी ट्रेडिंग निवेशकों के लिए एक ऐसी विधि मानी क्या मैं इंट्राडे में 1 शेयर खरीद सकता हूं? जाती है जो उनको एक ही दिन में शेयर खरीद कर जब चाहे बेचने का अवसर प्रदान करती है।

शुरुआत में जो निवेशक डिलीवरी में शेयर खरीदता है वह अपने खरीदे गए शेयर डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर करवाता है। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक अपनी मर्जी के अनुसार खरीदे हुए शेयरों को लंबे समय तक होल्ड करके अपने पास रख सकता है।

इस प्रक्रिया के लिए उसको किसी भी तरह की मनाही नहीं है। यह क्या मैं इंट्राडे में 1 शेयर खरीद सकता हूं? अक्सर देखा गया है की डिलीवरी ट्रेडिंग उन्हीं निवेशकों के लिए लाभदायक है जो लांग टर्म इन्वेस्टमेंट में विश्वास रखते हैं। डिलीवरी में निवेश करने के लिए निवेशक के पास पर्याप्त मात्रा में धनराशि होनी चाहिए।

डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ महत्वपूर्ण नियम होते है:

  • निवेशक को डिलीवरी में शेयर खरीदने के लिए उस कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है।
  • डिलीवरी में खरीदे गए शेयरों को बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करें जल्दबाजी में आकर कोई भी निर्णय ना लें जिससे कि आपको हानि हो।
  • निवेशक को डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर अलग-अलग कंपनियों के खरीदने चाहिए जिससे कि उसको आगे जाकर फायदा हो। अच्छी तरह शेयर और अपने फंड को डायवर्सिफाई करने से नुकसान कम होता है।
  • निवेशक के लिए यह जरूरी है कि डिलीवरी ट्रेडिंग करने से पहले उसको उसकी अच्छी तरह से जानकारी ले लेनी चहिये ताकि वह हर एक कदम सोच-समझकर उठाए।
  • डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए हर एक ट्रेडर के खाते में पर्याप्त मात्रा में धन होना चाहिए ताकि उसको अपने शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए कोई भी दिक्कत ना हो।
  • ट्रेडर को अपने टारगेट प्राइस और स्टॉप लॉस की वैल्यू सेट करके रखनी चाहिए।
  • चाहे आपने शेयर डिलीवरी में लिए हैं लेकिन आपके पास एक स्टॉप लॉस जरूर होना चाहिए और उस स्टॉपलॉस को हिट करते ही आपको जितना नुकसान हो उसी नुकसान में निकल जाना चाहिए। मार्केट के ऊपर जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
  • निवेशक को अपने डिलीवरी ट्रेडिंग के अकाउंट को चलाने के लिए अपने शेयरों का पूरा मूल्य देना होता है।
  • डिलीवरी का कोई भी मार्जिन नहीं होता है जिस के कारण खरीदे गए शेयरों का मूल्य उसी समय चुकाना पड़ता है।

डिलीवरी में ट्रेडिंग करने की फीस:

  • डिलीवरी में शेयर लेने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ज्यादातर स्टॉक ब्रोकर डिलीवरी के लिए ब्रोकरेज फीस नहीं लेते है। जिसका मतलब है कि आपको शेयर खरीदने और बेचने के लिए किसी भी तरह की ब्रोकरेज नहीं देनी पड़ती है।
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में सबसे पहला शुल्क जीएसटी का लगता है और जीएसटी का शुल्क ब्रोकर के साथ ट्रांजैक्शन करते वक्त भी देना होता है।
  • डिलीवरी के लिए एसटीटी और सीटीटी क्या मैं इंट्राडे में 1 शेयर खरीद सकता हूं? का शुल्क भी लगता है।
  • ट्रांजैक्शन चार्जेस भी लगते हैं।
  • 1899 में भारत Stamp Act द्वारा स्टैंप ड्यूटी के नाम का शुल्क भी लगाया गया है।
  • डिलीवरी में आमतौर पर SEBI द्वारा भी शुल्क लगाया जाता है।
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को ब्रोकर द्वारा एक मार्जिन भी दिया जाता है। जिसमें कि वह कम ब्याज दर पर शेयर खरीद सकता है। ब्रोकर निवेशक को इस तरह का मार्जिन बताता है जिसमें कि ब्याज दर बहुत ही कम होता है या फिर ना के बराबर ही होता है ताकि निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग में लंबे समय तक बना रहे।
  • नए निवेशकों को हमेशा मार्जिन ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें जोखिम होता है। उदाहरण के तौर पर चाहे आपको लाभ हो या हानि हो आपका स्टॉक ब्रोकर आपसे जो भी बनता ब्याज होगा वह जरूर लेगा।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

  • हर एक निवेशक को डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए एडवांस में पैसा देना होता है और इसके साथ ही अगर आपके पास उचित मात्रा में धन है तो ही आप डिलीवरी में स्टॉक का ट्रेड कर सकते हैं।
  • इसमें निवेशक को धैर्य रखकर लंबे समय का निवेश करना होता है।
  • इसमें स्टॉक मार्केट क्रैश का रिस्क भी बना रहता है।
  • लंबे समय तक निवेश करने से अच्छे रिटर्न आने की गारंटी नहीं होती है।

हम इस बात की आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा ऊपर दी गई जानकारी में डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है और उसमें कैसे निवेश करना चाहिए इसकी जानकारी अच्छे से मिल गई होगी। आपको इतनी जानकारी तो हो गई होगी की डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने से पहले आपको इसकी अच्छी तरह से रिसर्च करनी जरूरी है। और यह एक लॉन्ग टर्म प्रोसेस है और इसमें निवेश करने के लिए आपको धैर्य रखना आवश्यक होता है। इसमें आपके पास पर्याप्त मात्रा में धन होना भी जरूरी है तभी आप डिलीवरी ट्रेनिंग में निवेश कर सकेंगे। इन बातों के साथ-साथ यह बात तय है कि डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको आगे जाकर बहुत ही मुनाफा और अपने आमदनी में वृद्धि देखने को मिलती है।

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