मार्केट रिसर्च

Bisleri का पानी बेच सकती है TATA, कंपनी की ये है योजना
भारत में बोतलबंद पानी का बाजार बहुत बड़ा है। मार्केट रिसर्च एंड एडवायजरी टेकसाई रिसर्च की रिपोर्ट के मार्केट रिसर्च मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में इसका बाजार 243 करोड़ डॉलर (19315 करोड़ रुपये) का था।
बिसलेरी इंटरनेशनल (Bisleri International) के चेयरमैन रमेश जे चौहान कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी मार्केट रिसर्च में हैं।
Bisleri News: बिसलेरी इंटरनेशनल (Bisleri International) के चेयरमैन रमेश जे चौहान कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। इसके लिए TATA और कुछ दूसरी कंपनियों से बातचीत चल रही है। खुद चौहान ने इस बात की पुष्टि की है। 24 नवंबर को CNBC-TV18 के साथ बातचीत में रमेश चौहान ने कहा, "हम टाटा के साथ बातचीत कर रहे हैं। दूसरी कंपनियां भी दौड़ में हैं लेकिन अभी मैं इसकी डिटेल का खुलासा नहीं कर सकता हूं। हम कंपनी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बनाकर रखेंगे।"
आज द इकॉनमिक टाइम्स ने खुलासा किया था कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स 6000-7000 करोड़ रुपये में देश की सबसे बड़ी बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिस्लेरी का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है। हालांकि अधिग्रहण के बाद भी सौदे के तहत मौजूदा मैनेजमेंट दो साल तक काम करता रहेगा।
Tata Group भी बेचती है बोतलबंद पानी
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टाटा ग्रुप पहली बार बोतलबंद पानी बेचने की तैयारी नहीं कर रही है। अभी टाटा ग्रुप की इकाई टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स हिमालयन ब्रांड के तहत मिनरल वॉटर बेचती है। इसके अलावा टाटा कॉपर प्लस वॉटर और टाटा ग्लूको+ ब्रांड भी टाटा ग्रुप का ब्रांड है। रमेश जे चौहान की बिस्लेरी इंटरनेशनल बिस्लेरी और वेदिका ब्रांड से बोतलबंद पानी बेचती है। इसके अलावा बिस्लेरी इंटरनेशनल (Bisleri International) Spyci, Limonata, Fonzo और PinaColada ब्रांड नाम के तहत भी ड्रिंक्स की बिक्री करती है। चौहान ने थम्सअप, गोल्ड स्पॉट, माजा और लिम्का जैसे अन्य दिग्गज ब्रांड को तैयार किया था जिसे वर्ष 1993 में कोका-कोला ने खरीद लिया था। उस समय कोका-कोला ने भारतीय बाजार में फिर से प्रवेश किया था तो उसने देशी ब्रांड को खरीदा था।
बहुत बड़ा है बोतलबंद पानी का बाजार
भारत में बोतलबंद पानी का बाजार बहुत बड़ा है। मार्केट रिसर्च एंड एडवायजरी टेकसाई रिसर्च की रिपोर्ट मार्केट रिसर्च के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में इसका बाजार 243 करोड़ डॉलर (19315 करोड़ रुपये) का था। लोगों की आय बढ़ रही है, हेल्थ और हाइजीन को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और प्रोडक्ट इनोवेशन बढ़ रहा है। इन सब बातों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि यह 13.25 फीसदी की सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ेगा।
Market Research Analyst: अगर आपके पास अच्छी कम्युनिकेशन स्किल है, तो इस फील्ड में बना सकते हैं चमकदार करियर
लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच इनदिनों कंपनियां ग्राहकों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर अपने प्रोडक्ट या सर्विस प्रदान कर रही हैं। इसके मुताबिक बिजनेस स्ट्रेटेजी बनाने के लिए उन्हें मार्केट रिसर्चर्स की जरूरत पड़ रही है जो ग्राहकों की पसंद-नापसंद का आकलन करते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले कुछ वर्षों से एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है कि कंपनियां कोई भी नया बिजनेस या उत्पाद लाने से पहले उसका मार्केट सर्वे कराती हैं ताकि वे ग्राहकों के बदलते व्यवहार को समझकर खुद को आगे रख सकें। अपने ग्राहकों की मांगों को समझने, व्यापार के अधिक अवसरों का पता लगाने के साथ-साथ सही मार्केटिंग अभियान की योजना बनाने, नुकसान को कम करने और प्रतिस्र्पिधयों को ट्रैक करने में यह काफी हद तक मदद करता है। उदाहरण के लिए अगर कोई कंपनी अपना नया प्रोडक्ट मार्केट में लॉन्च करना चाह रही है, तो वह यह जानना चाहती है कि उसके उत्पाद को कौन खरीदेगा? उसके आदर्श ग्राहक कौन हैं? वे कितनी बार उसे खरीदेंगे? उन्हें मार्केट रिसर्च क्या चाहिए? वे इस प्रोडक्ट या र्सिवस से क्या उम्मीद करते हैं? मार्केट में उस प्रोडक्ट की मांग कैसे उत्पन्न की जाए और बढ़ाई जाए?
बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कंपनियों के लिए ऐसे सवालों के जवाब तलाशना जरूरी हो गया है। इस तरह के जितने अधिक जवाब उनके पास होंगे, ग्राहकों के व्यवहार को समझने में उन्हें उतनी ही आसानी होगी और वे प्रतिस्र्पिधयों से खुद को आगे रख पाएंगे। मार्केट रिसर्च की इसी जरूरत को देखते हुए बड़ी कंपनियों में क्वालिफाइड और अनुभवी मार्केट रिसर्चर्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इस फील्ड में आजकल डाटा एनालिसिस और सॉफ्टवेयर में कुशल युवाओं के लिए करियर के बेहतरीन विकल्प उपलब्ध हैं।
क्या है मार्केट रिसर्च?: मार्केट रिसर्च एक तरह की मार्केटिंग तकनीक है, जिसमें सर्वे, एनालिसिस और ग्राहकों से बातचीत के माध्यम से नये प्रोडक्ट/सेवा के बारे में अहम सूचनाएं हासिल की जाती हैं। मार्केट रिसर्चर्स और एनालिस्ट मुख्य रूप से किसी प्रोडक्ट या र्सिवस का फीडबैक जुटाने का काम करते हैं, ताकि लक्षित ग्राहकों तक पहुंच कर कंपनियां उनसे लाभ उठा सकें। इसके लिए ये प्रोफेशनल क्लाइंट कंपनियों के सेल्स का ब्यौरा जुटाने से लेकर प्रतिस्पर्धी कंपनियों के प्रोडक्ट और र्सिवसेज की पूरी जानकारी इकट्ठा करते हैं, जैसे संबंधित कंपनी के प्रोडक्ट की कीमत, बिक्री, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के तौर-तरीके इत्यादि। इस तरह का फीडबैक जुटाने के लिए ये रिसर्चर अपनी देखरेख में फील्ड सर्वे कराते हैं। इसके लिए रिसर्च डायरेक्टर, रिसर्च मैनेजर, रिसर्च एग्जीक्यूटिव, रिसर्च एनालिस्ट, फील्डवर्क मैनेजर/सुपरवाइजर तथा स्टेटिस्टिशियन/डाटा प्रोसेसिंग प्रोफेशनल की पूरी एक टीम होती है।
करियर संभावनाएं: मार्केट रिसर्च का पूरा काम रिसर्च, फील्ड वर्क और डाटा एनालिसिस के रूप में कुल तीन हिस्सों में बंटा होता है। रिसर्च स्ट्रीम का काम मार्केट से जुड़ी समस्याओं का पता लगाना और डाटा इकट्ठा करना होता है। वहीं, फील्ड वर्क के तहत फोन, मेल के जरिए या घर-घर जाकर एप के माध्यम से मार्केट सर्वे किया जाता है, जबकि डाटा एनालिसिस के तहत इकट्ठा की गई जानकारियों की एनालिसिस कर फाइनल रिजल्ट तक पहुंचना होता है। आप किसी बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन में मार्केट रिसर्च डायरेक्टर, मार्केट रिसर्च मैनेजर, मार्केट रिसर्च सुपरवाइजर या मार्केट एनालिस्ट, एप डेवलपर आदि बन सकते हैं। वैसे मार्केट रिसर्चर की इन दिनों कैम्ब्रिज एनालिटिका, आइएमआरबी, टीएनएस, नेल्सन जैसी मार्केट रिसर्च कंपनियों के अलावा फाइनेंस और इंश्योरेंस, इंफॉर्मेशन, मैनेजमेंट में भी अच्छी खासी मांग है।
शैक्षिक योग्यता: मार्केट रिसर्चर/ एनालिस्ट बनने के लिए मार्केटिंग या उससे संबंधित स्ट्रीम जैसे मैथ्स या स्टैटिस्टिक्स में स्नातक होना चाहिए। इसके अलावा, कोई और कोर्स कर रहे हों, तो उसमें बिजनेस, मार्केटिंग रिसर्च, मैथमेटिक्स या सर्वे डिजाइन जैसे विषय होने चाहिए। वे लोग, जो फील्ड वर्क करना चाहते हैं, उनके पास मोबाइल एप पर काम करने, अंग्रेजी में लिखने-पढ़ने के अलावा अच्छी कम्युनिकेशन स्किल होनी चाहिए। वैसे बीबीए, एमबीए तथा डाटा साइंस जैसे कोर्स करने वालों के लिए यह सबसे उपयुक्त फील्ड है। जिन स्टूडेंट्स को डाटा एनालिसिस की नॉलेज है और इसके साथ-साथ अच्छी पब्लिक र्डींलग आती है, वे भी इस फील्ड में एंट्री पा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
एपीजे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली
मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, अहमदाबाद
नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई
बढ़ रही रिसर्चर्स की डिमांड: नई दिल्ली के एक्यूमस रिसर्च बिजनेस सॉल्यूशन एवं कंसल्टेंसी के डायरेक्टर आशीष तिवारी ने बताया कि मार्केट रिसर्च की डिमांड आजकल बहुत बढ़ गई है। सभी तरह की कंपनियां, चाहे वह फूड कंपनी हो या टेक्सटाइल, आटो और मोबाइल कंपनी, हर कंपनी मार्केट सर्वे के माध्यम से यह जानना चाहती है कि कहां पर किस तरह की डिमांड है? किस तरह के ग्राहक किस वस्तु का इस्तेमाल कर रहे हैं? आगे उनकी अपेक्षाएं क्या होंगी? किस तरीके से वे किस मार्केट में जा सकते हैं? मार्केट रिसर्च का कामकाज भी अब तेजी से डिजिटल पैटर्न पर होने लगा है। पहले जो काम पेपर पर होता था, वह अब मोबाइल, एप के माध्यम से होने लगा है। इसलिए फील्डवर्क में भी स्किल्ड लोगों की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। वैसे, एमबीए और ग्रेजुएशन की पृष्ठभूमि वाले युवाओं के लिए इस फील्ड में बहुत संभावनाएं हैं।
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बाजार के बदलते मिजाज पर रखिए नजर
बाजार में किसी भी उत्पाद की लॉन्चिंग से पहले कंपनियों के जेहन में एक बात जरूर होती है कि लोगों को उनका उत्पाद पसंद आएगा या नहीं। लोग क्या पसंद करते हैं? उत्पाद की बिक्री कैसी रहेगी. इन सवालों के जवाब पाने के लिए कंपनियां बाकायदा मार्केट रिसर्च कराती हैं। फिर मार्केटिंग की रणनीति बनाती हैं। ऐसा कमोबेश सभी कंपनियां करती हैं। यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों में मार्केट रिसर्च की अहमियत बढ़ी है क्योंकि बाजार का मिजाज रोज बदल रहा है। किसी भी उत्पाद की लॉन्चिंग में कंपनियों के करोड़ों रुपए दांव पर लगे होते हैं। इसलिए कंपनियां कोई रिस्क नहीं लेना चाहतीं। किसी प्रोडक्ट या सर्विस की लॉन्चिंग/ रीलॉन्चिंग से पहले वे मार्केट सर्वे का सहारा जरूरी लेती हैं। मार्केट रिसर्च सोसायटी ऑफ इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में रिसर्च इंडस्ट्री की वर्तमान विकास दर करीब 10 प्रतिशत है। इसमें आगे और विस्तार की उम्मीद बनी हुई है क्योंकि देश में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस लगातार बढ़ रहा है।
सर्वे का बढ़ता स्कोप मार्केट रिसर्च कंपनियों की सेवाएं निजी कंपनियों के साथ अब राजनीतिक दल भी खूब लेने लगे हैं। आम तौर पर सभी राजनीतिक पार्टियां टिकट बंटवारे से लेकर चुनावी व्यूह रचना और घोषणापत्र तक मार्केट रिसर्च के आधार पर ही तैयार करती हैं। चुनाव पूर्व सर्वे के जरिये जनता का मूड जानने की कोशिश भी की जाती है। टीवी चैनल्स और अखबारों में छपने वाले ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल की लोकप्रियता से
कैसे होती है मार्केट रिसर्च?
मार्केट रिसर्चर या एनालिस्ट का कार्य मुख्य रूप से सर्वे और रिसर्च से जुड़ा है। अपने तरीकों से ये प्रोफेशनल बाजार का मूड टटोलने की कोशिश करते हैं। दरअसल, यह भी एक मार्केटिंग रणनीति है। उत्पाद की लॉन्चिंग से पहले सर्वे कराने से यह पता चलता है कि प्रतिस्पर्धा में कौन-कौन-से उत्पाद हैं, उनकी कीमत क्या है, बिक्री क्या है? कंपनी की मार्केटिंग रणनीति क्या है? बाजार में नए उत्पान की बिक्री का स्कोप क्या है? साथ ही, कंपनियां यह भी जानना चाहती हैं कि लोग क्या पसंद करते हैं, उन्हें क्या नया पसंद आएगा आदि। इन सभी सवालों का फीडबैक जुटाने के लिए मार्केट रिसर्चर एक क्वैश्चनेयर नुमा फॉर्म तैयार करते हैं। फिर कंज्यूमर सर्वे कराते हैं। ये सर्वे कई तरह से किए जाते हैं, जैसे टेलिफोन या इंटरनेट के जरिये या फिर ग्राउंड सर्वे। बाद में रिसर्च कंपनियां क्लाइंट कंपनी के लिए एक रिपोर्ट या प्रेजेंटेशन तैयार करती हैं। मार्केट रिसर्चर के इन्हीं सुझावों के आधार पर आखिरकार कंपनियां अपने उत्पाद या सेवा की लॉन्चिंग करती हैं।
मार्केट रिसर्च के क्षेत्र में काम करने के लिए आपको डाटा एनालिसिस का ज्ञान रखना बहुत जरूरी है। आपकी कम्युनिकेशन स्किल भी अच्छी होनी चाहिए। इंग्लिश पर अच्छी पकड़ भी होना जरूरी है। बेहतर सेल्समैनशिप और क्रिएटिव क्वॉलिटी भी रखनी होगी। साथ ही, अगर आप टीमवर्क की भावना और काम के प्रति लगन रखते हैं, तो बेझिझक मार्केट रिसर्च के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
मार्केट रिसर्च का कार्य मुख्य तौर पर दो हिस्सों में बंटा है: फील्ड वर्क और रिसर्च वर्क। इसलिए यहां अलगअलग
पृष्ठभूमि के लोगों के लिए जॉब के अवसर भी खूब हैं। रिसर्च एजेंसीज में आप वाइस प्रेसिडेंट ऑफ मार्केटिंग रिसर्च, रिसर्च डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर, प्रोजेक्ट मैनेजर, डाटा प्रोसेसिंग स्पेशलिस्ट, एनालिस्ट, फील्ड वर्क डायरेक्टर, फील्ड सुपरवाइजर आदि पदों पर जॉब पा सकते हैं।
मौजूदा समय में कई देशी-विदेशी कंपनियां आपको इस फील्ड में जॉब दे सकती हैं। बड़ी कंपनियों में आपको विदेश में भी काम करने का मौका मिल सकता है। इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकारों के तमाम विभागों
में भी मार्केट रिसर्चर की मार्केट रिसर्च काफी मांग है। टेलीकॉम कंपनियों में भी जॉब की संभावनाएं हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म और कंसल्टेंसी का विकल्प भी खुला है। अगर चाहें, तो एंटरप्रेन्योर बनकर खुद की रिसर्च एजेंसी भी खोल सकते हैं।
मार्केट रिसर्च के क्षेत्र में काम की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएशन है। अगर करियर बनाना चाहते हैं, तो बीबीए या मार्केटिंग में एमबीए करके यहां एंट्री लें। साइकोलॉजी, सोश्योलॉजी या एंथ्रोपोलॉजी में ग्रेजुएट भी यहां करियर बना सकते हैं। कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएट के लिए भी यहां करियर स्कोप है। कई संस्थान मार्केट रिसर्च के लिए डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं। वहीं, फील्ड वर्क के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास है।
रिसर्च कंपनियों में हर तरह के प्रोफेशनल्स को काफी आकर्षक सैलरी मिलती है। रिसर्चर या एनालिस्ट लेवल पर शुरूआत में ही 30 से 40 हजार रुपए महीना आसानी से मिल जाते हैं। अनुभव बढ़ने पर यह सैलरी 70 हजार से 1 लाख रुपए के आसपास भी पहुंच सकती है। फील्ड वर्क से जुड़े लोग भी शुरूआत में 10 से 15 हजार रुपए महीना कमा सकते हैं।
मार्केट रिसर्च और मार्केटिंग रिसर्च के बीच अंतर
मुख्य अंतर: बाजार अनुसंधान विपणन अनुसंधान का एक सबसेट है। मार्केटिंग रिसर्च में उत्पाद के बारे में अनुसंधान करने के साथ-साथ उपभोक्ता वरीयताओं के बारे में बहुत बड़ा दायरा है; जबकि, बाजार अनुसंधान बाजार के बारे में जानकारी एकत्र करने से संबंधित है।
मार्केट रिसर्च और मार्केटिंग रिसर्च का उपयोग अक्सर एक दूसरे के लिए किया जाता है, और कुछ संदर्भों में, विशेष रूप से उद्योग से बाहर के व्यक्ति के लिए। हालांकि, उद्योग के भीतर, दोनों शब्द काफी भिन्न हैं। शब्द अक्सर भ्रमित होते हैं क्योंकि वे प्रकृति में समान होते हैं। वे दोनों भी विपणन का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जिसका अर्थ है कि वे दोनों उत्पाद या सेवा की बिक्री से पहले होते हैं। फिर भी, तकनीकीता में, बाजार अनुसंधान विपणन अनुसंधान का सबसेट है।
मार्केटिंग रिसर्च में उत्पाद के बारे में अनुसंधान करने के साथ-साथ उपभोक्ता वरीयताओं के बारे में बहुत बड़ा दायरा है; जबकि, बाजार अनुसंधान बाजार के बारे में जानकारी एकत्र करने से संबंधित है।
मार्केटिंग रिसर्च में नए उत्पादों, वितरण के तरीकों और उत्पाद विकास पर शोध शामिल हैं। उपयोग किए गए संदर्भ के आधार पर, इसमें पदोन्नति अनुसंधान, मूल्य निर्धारण, विज्ञापन और सार्वजनिक संबंध भी शामिल हो सकते हैं। इसकी बहुत बड़ी गुंजाइश है और इसलिए इसका उपयोग विपणन रणनीति तय करने के लिए किया जा सकता है। यह विपणन अनुसंधान, पैकेजिंग अनुसंधान, मूल्य निर्धारण अनुसंधान, बाजार अनुसंधान, बिक्री अनुसंधान आदि सहित विपणन के सभी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। विपणन अनुसंधान का उपयोग विपणन निर्णय लेने, विपणन नीतियों को लेने के लिए, साथ ही साथ विपणन चैनल, विज्ञापन का चयन करने के लिए किया जा सकता है। एजेंसी, बिक्री संवर्धन उपाय आदि।
दूसरी ओर, बाजार अनुसंधान सामान्य रूप से ग्राहक, प्रतिस्पर्धा और उद्योग के बारे में जानकारी प्राप्त करने से संबंधित है। यह बाजार, बाजार की प्रतिस्पर्धा, बाजार के रुझान, बाजार की मांग और आपूर्ति आदि के बारे में डेटा एकत्र करने से संबंधित है। इसका उद्देश्य collecting क्या बेचना है? ’, To कहां बेचना है?’, To कब बेचना है ’जैसे सवालों के जवाब देना है। , और 'कितना बेचना है?'
इसके अलावा, विपणन अनुसंधान भी बाजार अनुसंधान की तुलना में अधिक तकनीकी, व्यवस्थित, वैज्ञानिक और उद्देश्य हो जाता है।
बाजार अनुसंधान और विपणन अनुसंधान के बीच तुलना:
बाजार मार्केट रिसर्च अनुसंधान
विपणन अनुसंधान
बाजार अनुसंधान का उपयोग बाजार के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए किया जाता है।
विपणन अनुसंधान वह है जिसमें विपणन प्रक्रिया का संपूर्ण अध्ययन किया जाता है।
जगह-ग्राहक, प्रतियोगिता और सामान्य रूप से उद्योग के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
उत्पाद और उपभोक्ता वरीयताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
अधिक संकीर्ण अवधारणा क्योंकि यह एक विशिष्ट बाजार पर केंद्रित अनुसंधान है। बाजार, बाजार की प्रतिस्पर्धा, बाजार के रुझान, बाजार की मांग और आपूर्ति आदि के बारे में डेटा एकत्र करता है। यह बिक्री का पूर्वानुमान भी करता है, साथ ही नए उत्पादों की मांग का भी अनुमान लगाता है। यह बिक्री क्षेत्रों और बिक्री कोटा को भी ठीक करता है।
मार्केटिंग रिसर्च का व्यापक दायरा है। इसमें नए उत्पादों में अनुसंधान, वितरण के तरीके और उत्पाद विकास शामिल हैं। इसमें पदोन्नति अनुसंधान, मूल्य निर्धारण, विज्ञापन और सार्वजनिक संबंध भी शामिल हो सकते हैं।
केवल जगह पर ध्यान केंद्रित करता है, अर्थात् एक विशिष्ट खंड या बाजार।
उपभोक्ता वरीयताओं को पहचानने और समझने के लिए उत्पाद, मूल्य, स्थान और प्रचार पर ध्यान केंद्रित करता है।
- पूरे बाजार का अध्ययन करें, अर्थात् इसकी प्रकृति, आकार, स्थान, मांग क्षमता आदि।
- बिक्री क्षेत्रों और बिक्री कोटा को ठीक करें।
- विपणन समस्याओं को हल करें।
- वर्तमान और भविष्य के विपणन के अवसरों का पता लगाएं।
चित्र सौजन्य: marketresearchlatinamerica.com, marvelitech.com
एनएसडीएल और सीडीएसएल के बीच अंतर
मुख्य अंतर: एनएसडीएल और सीडीएसएल दोनों डिपॉजिटरी हैं जो विभिन्न प्रतिभूतियों जैसे पैसा, संपत्ति, आदि को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखती हैं। NDL नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के लिए काम करता है, जबकि CDL बॉम्बे स्टॉ.
एनएसई और बीएसई बाजार के बीच अंतर
मुख्य अंतर: बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) दैनिक कारोबार और ट्रेडों की संख्या के हिसाब से भारत में सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। बीएसई.
NTSC और PAL के बीच अंतर
मुख्य अंतर: NTC और PAL वीडियो प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रारूप हैं। दो प्रारूपों के बीच मुख्य अंतर उनके विद्युत अंतर, संकल्प गुणवत्ता और उस दर पर आधारित होता है जिस पर प्रसारण प्रदर्श.