तरीके और व्यापार रणनीतियों

Apple ने अपने एप स्टोर से ‘Twitter’ को हटाने की धमकी दी, एलन मस्क का बड़ा आरोप
कैलिफोर्निया। दुनिया के सबसे अमीर आदमी और टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क ने जब से ट्विटर को खरीदा है तब से आए दिन कोई न कोई नया विवाद सामने आ रहा है। इस बार जो मामला है वह आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल को लेकर है। एलन मस्क ने आरोप लगाते हुए कहा है कि एपल ने अपने एप स्टोर से ‘ट्विटर’ को हटाने की धमकी दी है। मस्क ने कहा कि एपल, ट्विटर को ब्लॉक करने के लिए हर तरह से दबाव डाल रहा है। यहां तक कि Iphone निर्माता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन भी देना बंद कर दिया है।
कंटेंट तरीके और व्यापार रणनीतियों मॉडरेशन के नाम पर APPle बना रहा Twitter पर दबाव
एलन मस्क ने आरोप लगाते हुए कहा है कि कंटेंट मॉडरेशन की मांग पर एपल, तरीके और व्यापार रणनीतियों ट्विटर पर दबाव डाल रहा है। एपल द्वारा की गई कार्रवाई आसामान्य नहीं है, क्योंकि बार-बार अन्य कंपनियों पर भी नियम थोपने की कोशिश की जा रही है। इसी के तहत उसने गैब और पार्लर जैसे ऐप्स को हटा दिया है। पार्लर को एपल द्वारा 2021 में एप द्वारा अपनी सामग्री और कंटेंट मॉडरेशन को अपडेट करने के बाद बहाल किया गया था।
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मस्क ने एपल के CEO टिम कुक को टैग कर पूछे सवाल
मस्क ने कहा कि Apple ने ट्विटर पर ज्यादातर विज्ञापन देना बंद कर दिया है। क्या वे अमेरिका में स्वतंत्र भाषण से नफरत करते हैं? बाद में उन्होंने एक अन्य ट्वीट में Apple के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टिम कुक के ट्विटर अकाउंट को टैग करते हुए पूछा कि यहां क्या चल रहा है? हालांकि, Apple ने टिप्पणी के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया। विज्ञापन मापक फर्म पाथमैटिक्स के अनुसार दुनिया की सबसे मूल्यवान फर्म एपल ने ट्विटर विज्ञापनों पर 10 नवंबर से 16 नवंबर के बीच अनुमानित 131,600 अमेरिकी डॉलर खर्च किए, जो कि 16 अक्तूबर और 22 अक्तूबर के बीच 220,800 तरीके और व्यापार रणनीतियों अमेरिकी डॉलर कम है।
एपल हर चीज पर गुप्त रूप से 30 फीसदी टैक्स लगाता है: मस्क
मस्क ने एक ट्वीट में एपल एप स्टोर से दूसरे एप को डाउनलोड करने पर ली जाने वाली फीस को लेकर भी आलोचना की है। मस्क ने लिखा है कि, क्या आप जानते हैं के एपल अपने एप स्टोर के माध्यम से खरीदी जाने वाली हर चीज पर गुप्त रूप से 30 फीसदी टैक्स लगाता है।
शर्म अल-शेख के चार बड़े सबक
जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने की दिशा में अब चीन और भारत जैसे देशों को अपनी जिम्मेदारियां टालना मुश्किल होगा. इन देशों के ऊपर दबाव होगा कि वे जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए ज्यादा से ज्यादा योगदान दें
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 29 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 29 नवंबर 2022, 3:06 PM IST)
चंद्र भूषण
मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन (सीओपी 27) की शुरुआत कम उम्मीदों के साथ हुई थी. लेकिन अनुमानों के उलट, सम्मेलन ऐसे चार प्रमुख निष्कर्षों तक पहुंचने में सफल रहा, जिनके ऊर्जा उत्पादन में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय जलवायु सहयोग के क्षेत्रों में दूरगामी प्रभाव होंगे.
सम्मेलन विकसित देशों को बाध्य कर सका कि वे विकासशील देशों में जलवायु आपदाओं के लिए भुगतान करने के लिए सहमत हों. इस बात को विकसित देश पिछले तीन दशकों से अस्वीकार कर रहे थे. धनी देश हानि एवं क्षति (एल-ऐंड-डी) पर किसी भी समझौते को हमेशा अटकाते रहे हैं क्योंकि इससे वे जलवायु संकट में उनके ऐतिहासिक योगदान के लिए उत्तरदायी बनते हैं. इन देशों ने शर्म अल-शेख में भी ऐसा ही किया. अंतत:, विकासशील देशों के जबरदस्त दबाव में वे एल-ऐंड-डी के लिए कई शर्तों के साथ एक नई फंडिग व्यवस्था बनाने पर सहमत हुए.
इन शर्तों में, उदाहरण के लिए, यह भी शामिल है कि यह फंड केवल जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कमजोर देशों (जिसमें भारत शामिल नहीं हो सकता) को ही सहयोग देगा और इसमें योगदान न केवल विकसित देशों का होगा, बल्कि विविध स्रोत होंगे जिसमें उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं और दक्षिणी गोलार्ध के धनी देश शामिल हो सकते हैं. फिर भी, एल-ऐंड-डी समझौते के साथ, अंतरराष्ट्रीय जलवायु सहयोग का ढांचा पूरा हो गया है—आपदा को टालने के लिए उपाय, क्षति कम करने के लिए अनुकूलन और नुक्सानों की भरपाई के लिए एल-ऐंड-डी. तीनों में से, उपायों का रास्ता चुनना सबसे सस्ता और एल-ऐंड-डी के लिए भुगतान करना सबसे महंगा है. इससे बड़े प्रदूषणकर्ता बाढ़, सूखे और चक्रवातों के लिए अरबों के भुगतान का उत्तरदायी बनने के बजाए उत्सर्जन में कटौती करने के लिए प्रेरित होंगे.
सीओपी 27 कुछ ऐसी बातों पर समझौता कर सका जिन पर संयुक्त राष्ट्र के किसी भी जलवायु सम्मेलन में पहले बात नहीं बनी थी. इनमें ग्लोबल वॉर्मिंग को सीमित करने के आवश्यक तत्व जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से बाहर करना शामिल है. और इस पर चर्चा होने का श्रेय भारत को मिलना चाहिए. पिछले साल ग्लासगो में जब सभी राष्ट्र ग्लोबल वॉर्मिंग सीमित करने के लिए कोयले का उपयोग चरणबद्ध तरीके से सीमित करने पर सहमत हुए थे, तब तेल और गैस पर निर्भर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के दबाव में वे तेल और गैस पर चुप्पी साधे रहे थे.
इस बार भारत ने जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करने की आवश्यकता की ओर संकेत किया और अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के देशों सहित लगभग 80 देशों का समर्थन प्राप्त किया. दुर्भाग्य से सऊदी अरब और रूस के विरोध के कारण तेल-गैस का उपयोग चरणबद्ध तरीके से कम करने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई. फिर भी, शर्म अल-शेख ने जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और यह केवल समय की बात है कि भविष्य की किसी सीओपी में इसे स्वीकार कर लिया जाए.
ऊर्जा उत्पादन में इस तरह का बदलाव जिसके केंद्र में आबादी हो जीवाश्म तरीके और व्यापार रणनीतियों ईंधन का उपयोग घटाना—यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भर विकासशील देशों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में उभरा. सीओपी 27 के दौरान ही इंडोनेशिया में कोयले का उपयोग कम करने के लिए बाली में चल रही जी-20 बैठक में इंडोनेशिया और जी-7 देशों के बीच 20 अरब डॉलर का समझौता हुआ. दक्षिण अफ्रीका और जी-7 ने भी पिछले साल जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (जेट-पी) कहे जाने वाले 8.5 अरब डॉलर के ऐसे ही समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
भारत के सामने भी एक जेट-पी समझौते की पेशकश की गई थी. हालांकि भारत ने इस प्रस्ताव को भविष्य की वार्ताओं के लिए टाल दिया. जेट-पी से संकेत लेते हुए सीओपी 27 में पक्षकार अन्य विकासशील देश ऊर्जा उत्पादन के उचित बदलाव के वास्ते समर्थन बढ़ाने के लिए एक संभावित समझौते पर बातचीत करने पर सहमत हुए हैं.
सीओपी 27 ने 1992 के सम्मेलन में उल्लिखित विकसित और विकासशील देशों के वर्गीकरण को भी और कमजोर किया है. एल-ऐंड-डी के लिए कौन भुगतान करे, के सवाल ने सबका ध्यान चीन पर केंद्रित तरीके और व्यापार रणनीतियों किया जो सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक और ग्रीनहाउस गैसों का दूसरा सबसे बड़ा ऐतिहासिक उत्सर्जक है. कई विकसित और विकासशील देशों ने इस तथ्य पर सवाल उठाया कि चीन बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव में अरबों डॉलर लगा रहा है, लेकिन यूएनएफसीसीसी में खुद को विकासशील देश कहलाना पसंद करता है.
सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों पर भी यही बात लागू होती है. यह स्पष्ट है कि अब से चीन जैसे देशों के लिए जलवायु संकट के लिए बड़ी जिम्मेदारी से बचना चुनौतीपूर्ण होगा. भारत पर भी और अधिक योगदान देने का दबाव होगा, क्योंकि यूएनएफसीसीसी में वह पारंपरिक रूप से चीन के साथ जुड़ा हुआ है. समग्र रूप से देखें तो सीओपी 27 ने अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं की प्रकृति बदल दी है. भारत सरकार के लिए इन बदलावों को पहचानना और देश के विकास तथा जलवायु एजेंडे को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए अपनी वार्ता रणनीति पर फिर से तरीके और व्यापार रणनीतियों विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
(लेखक इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी ऐंड टेक्नोलॉजी (आइफॉरेस्ट) के सीईओ हैं)
Gujarat Assembly Election 2022: कांग्रेस का फोकस Bharat Jodo yatra पर, रविवार को AAP के ज्यादा पोस्ट, BJP स्थिर, Social Media पर भी गुजरात की जंग
Gujarat Elecion War on Facebook and Twitter: सोशल मीडिया पर चल रहे गुजरात विधानसभा के चुनावी संग्राम में आम आदमी पार्टी सबको मात दे रही है।
Gujarat War On Social Media: गुजरात में तरीके और व्यापार रणनीतियों चुनाव रैलियों और सभाओं में बोलते पीएम मोदी, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल। (फोटो- पीटीआई)
Political Parties Campaign On Social Media: गुजरात विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के पहले चरण के मतदान में अब केवल एक दिन और दूसरे चरण के तरीके और व्यापार रणनीतियों मतदान में सिर्फ छह दिन का समय बचा है, लेकिन चुनावी मैदान में जनसमर्थन को हासिल करने के लिए सभी प्रमुख दलों का अभियान भी तेज हो गया है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पर जनता का ध्यान खींचने के लिए पार्टी के रणनीतिकार लगातार सक्रिय हैं। चुनाव प्रचार में इस दौरान नेताओं का आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी खूब चल रहा है।
मतदान से पहले सभी दलों की अलग-अलग रणनीति (Election Strategists)
इस दौरान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (AAP) की सक्रियता सोशल मीडिया पर जबर्दस्त तरीके से बढ़ रही है, हालांकि कांग्रेस (Congress) चुनाव से ज्यादा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ‘भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra)’ पर फोकस कर रही है। फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) पर सक्रिय मतदाताओं (Voters) तक पहुंचने के लिए अपना ऑनलाइन अभियान (Online Campaign) के तहत लगातार पोस्ट किए जा रहे हैं।
तीनों दलों के पिछले सप्ताह (21-27 नवंबर) फेसबुक अकाउंट (Facebook Account) और ट्विटर हैंडल (Twitter Handle) के विश्लेषण (Analysis) से पता चला कि कांग्रेस के हैंडल राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। उनके कुल पोस्ट का 75 प्रतिशत यात्रा पर था। इसके फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर गुजरात चुनाव (Gujarat Election) में पार्टी के प्रचार (Canvassing) से संबंधित 20 फीसदी से भी कम पोस्ट थे।
Side Effect of Almonds: इन 4 बीमारियों में जहर जैसा काम करता है बादाम, डॉक्टर से जानें- बादाम को छीलकर खाएं या छिलके सहित
Himanta Biswa Sarma Reacts On Khadge: मैं तो अछूत- मल्लिकार्जुन खड़गे बोले, हिमंता बिस्व सरमा बोले- राहुल गांधी करते हैं छुआछूत, उनके साथ चाय पीते फोटो ट्वीट करें
Gujarat Election: बीजेपी के लिए प्रचार कर रही थीं स्मृति ईरानी, महिला बोली- गैस सिलेंडर का दाम कम हो जाए तो अच्छा लगेगा, केंद्रीय मंत्री ने दिया ये रिएक्शन
BJP के Facebook और Twitter Handle पर 40 फीसदी चुनाव ही छाया रहा
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के मुख्य तरीके और व्यापार रणनीतियों फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल से लगभग 40 फीसदी पोस्ट उसी अवधि के दौरान गुजरात चुनाव से संबंधित थे। विधानसभा चुनाव से संबंधित पोस्टों की संख्या पिछले सप्ताह के दौरान करीब-करीब उतनी ही थी।
हालांकि, आम आदमी पार्टी के मुख्य हैंडल से सोशल मीडिया पोस्ट भाजपा और कांग्रेस दोनों से आगे रहे, क्योंकि इसके मुख्य हैंडल से हर दूसरा पोस्ट गुजरात चुनाव से संबंधित था। रविवार को आम आदमी पार्टी के मुख्य फेसबुक और ट्विटर खातों से शेयर की गईं 95 फीसदी से अधिक सामग्री गुजरात में पार्टी की गतिविधियों से संबंधित थी। गुजरात चुनाव के दोनों चरणों के वोटों की गिनती 8 दिसंबर को की जाएगी।
बजट को लेकर आज से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण शुरू करेंगी बैठक, यहां जानें पूरा शेड्यूल
Finance Minister Meeting : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज बजट के लेकर बैठक शुरू करेंगी. इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ कई अहम ग्रुप के सदस्य शामिल होंगे.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel
Updated on: Nov 21, 2022 | 8:28 AM
Pre-Budget Meetings : केंद्र सरकार आज से बजट की तैयारी शुरू करने जा रही है. वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण आज बजट 2023-24 को लेकर बैठक शुरू करेंगी. इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के साथ कई अहम ग्रुप के सदस्य शामिल होंगे. जिनके साथ वित्त मंत्री अलग-अलग बैठक करेंगी. सबसे पहले वह उद्योग जगत के लोगों और अवसंरचना तथा जलवायु परिवर्तन क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ परामर्श करेंगी. 22 नवंबर को सीतारमण कृषि और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगी. बाद में उसी दिन, वह पूंजी बाजार और वित्तीय क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगी.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक बजट-पूर्व बैठक सोमवार को सुबह 10.30 बजे शुरू होगी. बैठक दो चरणों में होगी. पहले चरण में 10.30 से 11.45 और दूसरे चरण में 12.00 से 01.15 बजे तक. आज दोनों बैठकों में इंडस्ट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लाइमेट चेंज क्षेत्र के स्टेकहोल्डरों से ही मिलेंगी. वहीं तरीके और व्यापार रणनीतियों 22 नवंबर को सुबह 11 बजे से सवा 12 बजे तक एग्रीकल्चर और एग्रो प्रोसेसिंग से जुड़े स्टेकहोल्डर के साथ बैठक होगी. इसी दिन दोपहर 3 बजे से शाम 4:15 बजे तक फाइनेंशियल सेक्टर और कैपिटल मार्केट से जुड़े लोगों से मुलाकात होगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्री-बजट मीटिंग में 24 नवंबर सुबह 11 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक सर्विसेज एंड ट्रेड ग्रुप के साथ मीटिंग करेंगी. इसी दिन दोपहर 3 बजे तरीके और व्यापार रणनीतियों से शाम 4:15 बजे तक सोशल सेक्टर जिसमें हेल्थ, एजुकेशन, RD, वाटर एंड सेनिटेशन ग्रुप के साथ बैठक करेंगी. प्री-बजट मीटिंग में 28 नवंबर को सुबह 11 बजे से 12:15 बजे तक ट्रेड यूनियन और लेबर ऑर्गनाइजेशन के साथ मीटिंग होगी. इसके बाद दोपहर 3 बजे से शाम 4:15 बजे के दौरान वित्त मंत्री इकोनॉमिस्ट ग्रुप के साथ बैठक करेंगी.
एक फरवरी को बजट पेश करने की संभावना
बता दें कि ये बैठकें वर्चुअल तरीके से होंगी और इनमें हितधारक 2023-24 के बजट के लिए सुझाव देंगे. 24 नवंबर को वह सेवा क्षेत्र और व्यापार संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल एवं साफ-सफाई समेत सामाजिक क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ बैठकें करेंगी. सीतारमण ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अर्थशास्त्रियों से 28 नवंबर को बजट-पूर्व बैठक में मुलाकात करेंगी. वित्तमंत्री के 1 फरवरी, 2023 को 2023-24 का बजट पेश करने की संभावना है
सीतारमण का होगा पांचवा बजट
भारत में इस महीने जो महंगाई दर की रिपोर्ट जारी की गई है, उसमें सुधार देखा गया है. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए दर से अभी भी महंगाई अधिक है. अगले बजट में केंद्र सरकार के सामने इन चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी होगी. बता दें कि ये बजट वित्त मंत्री का पांचवा बजट होगा. इसमें रोजगार के अवसर बढ़ाने से लेकर आने वाले समय में भारत को मंदी की चपेट में बचाने के लिए रणनीति बनाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधो पर होगी.
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English News Headline :Finance Minister Nirmala Sitharaman will start meeting regarding budget.