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शेयर बाजार के प्रकार

शेयर बाजार के प्रकार
अगर आप Equity Market Meaning In Hindi को सर्च कर रहे हैं तो आपका यह एक बेस्ट सर्च साबित होने वाला है. क्योंकि इक्विटी मार्केट का हिंदी में मीनिंग एवं उनके प्रकार के बारे में विस्तार से बताया जाएगा.शेयर बाजार के प्रकार

शेयर मार्केट क्या है?, स्टॉक मार्केट क्या है? | What is Share Market In Hindi

आज हम इस पोस्ट में शेयर बाजार के बारे में जानेंगे की, Share Market क्या है, Share Market के कितने प्रकार होते है और Share Market में पैसा कैसे invest करना चाहिए। शेयर बाजार यह किसी भी विकसित देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। उद्योग या व्यवसाय चलाने के लिये capital चाहिए होता है तो यह उन्हें शेयर बाजार से मिलता है। तो दोस्तों आज हम Share Market/शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट क्या है? के बारे विस्तारित रूप से जानेंगे।

What Is Share Market in Hindi? - शेयर बाज़ार क्या है?

Share का अर्थ होता है "हिस्सा" या "भाग" लेकिन शेयर बाजार या Share Market की भाषा में बात करे तो Share का अर्थ होता है कंपनियों में हिस्सा लेना, किसी कंपनी का Share खरीदना याने उस कंपनी का हिस्सेदार या भागीदार बन जाना।

शेयर बाज़ार के माध्यम से आम आदमी भी बड़े से बड़े उद्योग या व्यवसाय मे अपनी भागीदारी कर सकता है लेकिन Share Market यह एक ऐसी जगह है की, यहा पर बहुत से लोग पैसे कमा भी लेते है और पैसे गवा भी लेते है याने Share Market में किसी को बहुत फायदा होता है या फिर किसी का नुकसान भी हो जाता है।

Share Market में Share ख़रीदे और बेचे जाते है। भारत में मुख्य रूप से Bombay Stock Exchange (BSE) और National Stock Exchange (NSE) यह दो Stock Exchange है।

Share खरीदने और बेचने के लिए कई शेयर ब्रोकर्स यानी शेयर दलाल होते है, वो अपना कमीशन लेकर किसी व्यक्ति या कंपनी को शेयर खरीदने बेचने का काम करता है। शेयर बाजार में ब्रोकर या दलाल स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है और सिर्फ वो ही स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग कर सकते हैं।

शेयर ब्रोकर्स या शेयर दलाल के जरिये शेयर ख़रीदे या बेचे जाते है। ग्राहक या कंपनी खुद शेयर खरीद या बेच नही सकते। कहा जाता है की, स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर या दलाल और निवेशक यानी गुंतवणूकदार यह शेयर बाजार या Share Market की तीन कडियाँ है।

Types of Share Market in Hindi - शेयर मार्केट के कितने प्रकार होते है

मुख्यतः Share Market के दो प्रकार होते है एक Primary Share Market और दूसरा Secondary Share Market इसका विश्लेषण नीचे दिया गया है।

1. Primary Share Market (प्राथमिक शेयर मार्केट)

सबसे पहले कंपनी को अपने शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करवाकर अपने शेयर को बेचती है पर उसे Initial Public Offering या IPO लाना पड़ता है और उसके बाद ही निश्चित किये हुए मूल्य पर अपने शेयर को पब्लिक को ख़रीदने के लिए उपलब्ध किया जाता है।

स्टॉक एक्सचेंज जैसे BSE, NSE और ब्रोकर के जरिये कंपनियां प्राथमिक बाजार के माध्यम से निवेशकों तक पहुँचती हैं।

अगर कोई कंपनी को Initial Public Offering या IPO के लिए जाते समय उसको अपने बारे में, promoters, financials, businesses, अपने शेयर या स्टॉक और उनकी कीमत की पूरी जानकारी देनी होती है।

2. Secondary Share Market (द्वितीयक शेयर मार्केट)

जब हम शेयर मार्केट में पैसा लगाने की बात करते है तो हम Secondary Share Market की बात करते है और उनमे ही पैसा लगाते है। इस मार्केट में पहले से ही लिस्टेड कंपनी के शेयर की खरेदी बिक्री होती है।

Secondary Share Market प्रकार के शेयर बाजार में एक स्टॉक या शेयर की कीमत लगाई जाती है और उसे ख़रीदा-बेचा जाता है लेकिन उस शेयर की उसके फायदे या नुकसान के साथ ख़रीदा-बिक्री होती है।

किसी व्यक्ति के पास जो शेयर बाजार का भाव रहता उस रेट से ही किसी दूसरे व्यक्ति को रियल टाइम मे बेच देते है। दलाल या ब्रोकर के जरिये ही खरेदी-बिक्री होती है।

इस Secondary Share Market में ऐसा भी होता है की, कोई गुंतवणूकदार अपना शेयर किसी ओर को बेचकर शेयर मार्केट या शेयर बाजार के प्रकार बाजार से बाहर निकल जा सकता है।

शेयर बाजार में पैसा कैसे निवेश करें? How to Money Invest in Share Market?

शेयर मार्केट में Invest करने से पहले हमारे सामने कई सवाल होते हैं जैसे कि, How to invest in share market, कहां निवेश और कैसे निवेश करें या Invest करने में कोई धोखा तो नहीं। इन ही बातो का हमने खयाल रखा तो हम आसानी से शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं।

  • जब कभी भी Invest करना हो उससे पहले उस कंपनियों की हालातों पर नजर रखें।
  • शेयर विकास दर कम हो या महँगाई दर ज्यादा हो तो तब बड़ी कंपनियों पर नजर रखें, क्योंकि ऐसी स्थिति में छोटी कंपनियों के मुकाबले बड़ी कंपनियों के शेयर अच्छी स्थिति में होते हैं।
  • जब भी शेयर बाजार की हालत थोड़ी कमजोर हो तो बड़ी कंपनियों की तरफ ध्यान रखे।
  • कोई भी शेयर खरीदने और बेचने के लिए हमेशा एक स्टॉक ब्रोकर की जरूरत होती है, जब आप स्टॉक मार्केट में निवेश या Invest करने के लिए स्टॉक ब्रोकर के पास जाते है, तो आपको सबसे पहले उनके पास से दो account खोलने पड़ते है " Demat Account " और " Trading Account " यह account खोलने के बाद आप आसानी से कोई भी शेयर की खरेदी-बिक्री कर सकते शेयर बाजार के प्रकार है।
  • आपको स्टॉक ब्रोकर ऐसा चुनना चाहिए की, वह कम फ़ीस में आपको अच्छी और बेहतरीन सेवा दे।
  • शेयर बाजार में पैसे लगाना ही सबकुछ नही है बल्कि आपको financial plan की भी जरूरत होती है। इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपनी financial situation, cash flow और रिक्स लेने की क्षमता पर विचार करना चाहिए।
  • शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने के लिए आपको उसके बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है वरना आपको बहुत बडी कीमत चुकानी पडती है। इसलिए आप किसी जल्दबाजी में कोई फैसला ना ले।

दोस्तों उम्मीद करते है की आपको Share Market क्या है, Share Market में पैसा कैसे इन्वेस्ट करना चाहिए और शेयर मार्केट के कितने प्रकार है इन सब के बारे में पूरी और सही जानकारी मिली होंगी।

अब आप भी "What is Share Market in Hindi - Types of share market and Tips" की पूरी जानकारी लेने के बाद ही शेयर बाजार में पैसा इन्वेस्ट करेंगे। तो दोस्तों आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों में शेअर करे और हमे comments करके बताये।

LIC IPO : एलआईसी के आईपीओ में पॉलिसीधारकों को मिलेगा आरक्षण, आज ही करना होगा ये काम

आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (Initial Public Offering) को आईपीओ कहते हैं. शेयर बाजार में सरकारी और निजी क्षेत्र की लिमिटेड कंपनियों की ओर से जारी किया जाता है, ताकि वह शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो सके.

मार्च मे आएगा एलआईसी का आईपीओ

नई दिल्ली : भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम - Initial Public Offering) मार्च 2022 में आने की उम्मीद है. एलआईसी आईपीओ से देश-विदेश के निवेशकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. इससे भी अधिक उत्साहित करने वाली बात यह भी है कि एलआईसी का आईपीओ में उसके पॉलिसीधारकों को आरक्षण मिलेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें एक डीमैट खाता खुलवाना होगा. तो आइए जानते हैं कि एलआईसी के आईपीओ में निवेश करने के लिए आरक्षण पाने के लिए उसके पॉलिसीधारकों को क्या करना होगा.

क्या है आईपीओ?

एलआईसी में आईपीओ में निवेश करने के लिए उसके पॉलिसीधारकों को मिलने वाले आरक्षण के बारे में जानकारी हासिल करने से पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि आखिर ये आईपीओ है क्या? यह कितने प्रकार का होता है और इससे आम आदमी को क्या फायदा होता है. तो आपको बता दें कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (Initial Public Offering) को आईपीओ कहते हैं. शेयर बाजार में सरकारी और निजी क्षेत्र की लिमिटेड कंपनियों की ओर से जारी किया जाता है, ताकि वह शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो सके. शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीद शेयर बाजार में ही होती है. कंपनी निवेश या विस्तार करने की हालत में बाजार से पैसा जुटाने के लिए आईपीओ जारी करती है. आईपीओ में जब एक कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर पहली बार जनता के लिए जारी करती है, तो उसे आईपीओ कहा जाता है. एक फर्म का आईपीओ शुरू करने के दो मुख्य कारण पूंजी जुटाना और पूर्व निवेशकों को समृद्ध करना है.

आईपीओ कितने तरह के होते हैं?

मुख्य रूप से शेयर बाजार में निवेशकों के लिए किसी सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों की ओर से जारी होने वाला आईपीओ दो प्रकार का होता है. इसमें फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO) और बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO) शामिल है. फिक्स्ड प्राइस IPO को इश्यू प्राइस के रूप में संदर्भित किया जा सकता है जो कुछ कंपनियां अपने शेयरों की प्रारंभिक बिक्री के लिए निर्धारित करती हैं. निवेशकों को उन शेयरों की कीमत के बारे में पता चलता है जिन्हें कंपनी सार्वजनिक करने का फैसला करती है. वहीं, बुक बिल्डिंग के मामले में IPO शुरू करने वाली कंपनी निवेशकों को शेयरों पर 20 फीसदी मूल्य बैंड प्रदान करती है. इच्छुक निवेशक अंतिम कीमत तय होने से पहले शेयरों पर बोली लगाते हैं. यहां निवेशकों को उन शेयरों की संख्या निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है जिन्हें वे खरीदना चाहते हैं और वह राशि जो वे प्रति शेयर भुगतान करने को तैयार हैं. सबसे कम शेयर की कीमत को फ्लोर प्राइस के रूप में जाना जाता है और उच्चतम स्टॉक मूल्य को कैप प्राइस के रूप में जाना जाता है. शेयरों की कीमत के संबंध में अंतिम निर्णय निवेशकों की बोलियों द्वारा निर्धारित किया जाता है.

मार्च में आएगा एलआईसी का आईपीओ

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी (LIC) का आईपीओ (IPO) मार्च में आ सकता है. हालांकि, अभी तक इसकी तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. यह देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. इसमें एलआईसी के पॉलिसीधारकों के लिए भी कुछ हिस्सा आरक्षित होगा और उन्हें सस्ते में शेयर दिए जाएंगे. इसके लिए उन्हें दो काम करने होंगे. केवल वही पॉलिसीधारक इसके लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनका पैन पॉलिसी से जुड़ा होगा और जिनके पास डीमैट अकाउंट होगा. एलआईसी अपने पॉलिसीधारकों को पांच फीसदी तक डिस्काउंट दे सकती है.

आईपीओ में निवेश के लिए खुलवाना होगा डीमैट खाता

रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी के आईपीओ का पांच फीसदी हिस्सा कंपनी के कर्मचारियों और 10 फीसदी पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित रखा गया है. एलआईसी के 26 करोड़ पॉलिसीधारक के लिए 3.16 करोड़ शेयर आरक्षित रखे गए हैं, लेकिन इसके लिए केवल वही पॉलिसीधारक इसके लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनका पैन पॉलिसी से जुड़ा होगा और जिनके पास डीमैट खाता होगा. एलआईसी के आईपीओ का इसका कुल 35 फीसदी हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित है.

आईपीओ खरीदने के लिए डीमैट खाता बेहद जरूरी

एलआईसी का आईपीओ खरीदने के लिए पॉलिसीधारकों के पास अपने नाम से डीमैट खाता होना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही, उसे 28 फरवरी तक अपने पॉलिसी रिकॉर्ड में पैन (PAN) अपडेट करना जरूरी है, जो पॉलिसी 13 फरवरी, 2022 को या उससे पहले जारी होनी चाहिए. ग्रुप पॉलिसियों इसके लिए वैध नहीं है. नॉमिनीज और मृतक पॉलिसीधारकों की एन्युटी पा रहा जीवनसाथी इसके लिए आवेदन नहीं कर सकता है.

शेयर से आपका क्या तात्पर्य है और यह कैसे काम करता है?

What do you mean by shares and how does it work?

एक शेयर को किसी कंपनी या वित्तीय परिसंपत्ति में ब्याज के स्वामित्व की इकाई के रूप में वर्णित किया जा सकता है। सरल शब्दों में, जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के शेयरों का अधिग्रहण करता है, तो वे उस कंपनी के मालिक बन जाते हैं। ये शेयर जोखिम का एक तत्व लेकर चलते हैं लेकिन उच्चतम रिटर्न देते हैं।

उदाहरण के लिए: यदि किसी कंपनी के 10,000 शेयर बकाया हैं और किसी व्यक्ति ने उस कंपनी के 1,000 शेयर खरीदे हैं, तो यह माना जाएगा कि वह उस कंपनी की संपत्ति का 10% हिस्सा होगा। (1,000 / 10,000 = 10%)

ऐसे शेयरों के मालिकों को शेयरधारकों के रूप में जाना जाता है।

शेयर अपने धारकों को मुनाफे के समान वितरण के लिए, लाभांश के रूप में, यदि कोई हो, व्यापार संगठन द्वारा घोषित किए जाने के हकदार हैं। हालांकि, शेयर कंपनी के दिन-प्रतिदिन के परिचालन पर शेयरधारकों को कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण प्रदान नहीं करते हैं।

निचे आप देख सकते हैं हमारे महत्वपूर्ण सर्विसेज जैसे कि फ़ूड लाइसेंस के लिए कैसे अप्लाई करें, ट्रेडमार्क रेजिस्ट्रशन के लिए कितना वक़्त लगता है और उद्योग आधार रेजिस्ट्रेशन का क्या प्रोसेस है .

कंपनी का मूल्य शेयर बाजार में उसके बाजार मूल्य के आधार पर मापा जाता है। एक ठोस, अच्छी तरह से प्रबंधित कंपनी अपने शेयर की कीमतों को उच्च रखने का एक अच्छा मौका है।

शेयर बाजार में शेयर जारी करने के लिए प्राथमिक कारण:

  • नया वित्त बनाने या पूंजी जुटाने के लिए
  • कंपनी के बाजार मूल्य का निर्धारण करें
  • निवेशकों द्वारा शेयरों के व्यापार के लिए एक माध्यम की स्थापना करें
  • कंपनी के व्यवसाय की रूपरेखा को बढ़ाएं।

शेयरों के प्रकार जारी किए गए:

आमतौर पर दो प्रकार के शेयर होते हैं जो कंपनी द्वारा जारी किए जाते हैं: साधारण या इक्विटी शेयर और वरीयता शेयर।

साधारण या इक्विटी शेयरों की विशेषताएं:

    • यह शेयरधारकों को कंपनी की वार्षिक आम बैठक में वोट करने का अधिकार देता है
    • इक्विटी शेयरों पर लाभांश की दर तय नहीं है और लाभ के स्तर के अनुसार भिन्न होती है
    • वे शेयरधारकों को भुगतान किए जाने के बाद लाभांश और पूंजी के भुगतान के हकदार हैं

    Features of Preference Shares:

    • Preference shareholders do not have any voting rights.
    • The rate of dividend on preference shares is fixed and receives fixed periodic interest income.
    • They enjoy priority on payment of dividends over equity shareholders.

    वरीयता शेयरों की विशेषताएं:

    शेयर बाजार में शेयरों का कारोबार होता है; इसलिए, शेयरों को स्टॉक भी कहा जाता है। यह एक तरह का सट्टा कारोबार है।

    शेयरों से निपटने में दो बुनियादी लेनदेन शामिल हैं- खरीदना और बेचना। इस तरह के शेयर पैसे बनाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज में खरीदे और बेचे जा सकते थे।

    मूल सिद्धांत इस अवधारणा में निहित है कि किसी को कम कीमत पर खरीदना चाहिए और अधिक कीमत पर बेचना चाहिए, दोनों के बीच के अंतर को वित्तीय लाभ कहा जाता है। शेयर बाजार बहुत कुछ एक नीलामी घर की तरह है जहां व्यापार किया जाता है, और कीमतों पर बातचीत की जाती है। सही निर्णय लेने के लिए व्यापार और निवेश को अनुशासित तरीके से किया जाना चाहिए।

    प्रबंधन ने कंपनी को तोड़ने का फैसला किया है।

    यदि कोई भी व्यक्ति कंपनी के शेयर खरीदने के लिए इच्छुक है, तो वे एक शेयर को रु। हैं खरीद सकते हैं। 100 / – या पांच शेयर रु। 500 / – रुपये मर्जी से।

    अब, अगर कुछ समय बाद, जब शेयरों की कीमतों में वृद्धि होती है, तो यह मौद्रिक लाभ बनाने के लिए शेयरों को बेचने के लिए खरीदार की ओर से एक विवेकपूर्ण निर्णय होगा।

    परंपरागत रूप से, ट्रेडिंग का उपयोग भौतिक शेयर प्रमाणपत्रों के माध्यम से किया जाता था, हालांकि, बदलते समय के साथ, इन दिनों, शेयर बाजार इलेक्ट्रॉनिक रूप से काम करता है।

    शेयरों की खरीद और बिक्री या तो एक ऑनलाइन ब्रोकर, एक पारंपरिक स्टॉकब्रोकर या एक निवेश प्रबंधक से परामर्श के माध्यम से की जा सकती है।

    जब कोई भी व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदता है, तो उन्हें पैसे के बदले शेयर मिलते हैं जो वे कंपनी को देते हैं। अब, इन कंपनियों में दो प्रकार के लोग हो सकते हैं – एक व्यापारी या एक निवेशक।

    ट्रेडर एक ऐसा व्यक्ति है जो अल्पकालिक लाभ के उद्देश्य से अपनी या किसी भी फर्म के शेयर खरीदता और बेचता है।

    वह मूल्य पैटर्न, आपूर्ति और मांग सिद्धांत, और बाजार की भावनाओं का अध्ययन करेगा और फिर अपने पैसे को शेयरों में डाल देगा।

    दूसरी ओर, एक निवेशक लंबी शेयर बाजार के प्रकार अवधि के मुनाफे के लिए शेयरों की खरीद और बिक्री में खुद को एक दलाल के माध्यम से संलग्न करता है।

    वह कंपनी के नकदी प्रवाह और वित्तीय ताकत पर विचार करेगा और उसके आधार पर कंपनी के शेयर जो अच्छे मूल्य का प्रतिनिधित्व करेंगे, केवल उन्हीं शेयरों में वह निवेश करेगा।

    अपना पैसा अच्छी तरह से लगाएं

    शेयरधारकों द्वारा खरीदे गए और निवेश किए गए शेयरों का कारोबार कंपनियों द्वारा शेयर बाजार में किया जाता है। कई बाजार कारकों के आधार पर शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। सिर्फ एक कंपनी में शेयर रखना बहुत जोखिम भरा है। अगर वह कंपनी किसी कारण से मुसीबत में पड़ गई, तो हो सकता है कि उसका सारा पैसा खत्म हो जाए। निवेश घोटाले में फंसने से बचें और कभी भी उच्च और निम्न बेचने की गलती न करें।

    उचित स्टॉक कंपनी के अनुसंधान करने और वित्तीय सलाह लेने के बाद सबसे अच्छा विकल्प बनाने के लिए व्यापारी और निवेशक की जिम्मेदारी है। अनुसंधान इस तरह का होना चाहिए ताकि जोखिम कारक कम हो और लाभ अधिक हो।

    Equity Market Meaning In Hindi इक्विटी मार्केट का परिभाषा एवं प्रकार को जानिए

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    अगर आप Equity Market Meaning In Hindi को सर्च कर रहे हैं तो आपका यह एक बेस्ट सर्च साबित होने वाला है. क्योंकि इक्विटी मार्केट का हिंदी में मीनिंग एवं उनके प्रकार के बारे में विस्तार से बताया जाएगा.

    Equity Market Meaning In Hindi

    • शेयर मार्केट
    • शेयर बाजार
    • स्टॉक बाजार
    • स्टॉक मार्केट.

    इक्विटी मार्केट को आमतौर पर शेयर बाजार या स्टॉक बाजार के तौर पर जाना जाता है. यह वह बाजार होता है जहां पर कंपनी अपने शेयरों को बेचती है और निवेशक उन शेयरों को खरीदने सकते हैं, खरीदने के बाद दूसरे निवेशकों को भेज भी सकते हैं.

    इक्विटी मार्केट का परिभाषा

    इक्विटी बाजार, जिसे शेयर बाजार के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा मंच है जहां पर कंपनी बाजार से पूंजी जुटाने के लिए अपने हिस्सेदारी को शेयर के तौर पर बेचती है और निवेशक उसे खरीदते हैं.

    भारत में मुख्य तौर पर, दो इक्विटी मार्केट है जिसका नाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एवं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है.

    इक्विटी बाजार एवं स्टॉक एक्सचेंज में थोड़ा सा अंतर है. सरकार के द्वारा स्थापित किया गया वह प्लेटफार्म जहां पर इक्विटी बाजार चलता है, उसे स्टॉक एक्सचेंज कहते हैं.

    इक्विटी मार्केट के प्रकार

    इक्विटी मार्केट को कामकाज करने के आधार पर दो भागों में बांटा जा सकता है. अगर आप एक निवेशक हैं तो आपको इक्विटी मार्केट के प्रकार को अच्छे से समझना होगा.

    • प्राइमरी इक्विटी मार्केट
    • सेकेंडरी इक्विटी मार्केट

    प्राइमरी इक्विटी मार्केट (Primary Equity Market)

    प्राइमरी इक्विटी मार्केट को मुख्य बाजार के तौर पर जाना जाता है. यही नहीं इस मार्केट को इशु मार्केट (निर्गम बाजार) भी कहते हैं.

    जहां कंपनियां अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करवाती हैं और पहली बार निवेशकों को इसकी सदस्यता लेने के लिए संपर्क करती हैं. इस बाजार में प्रतिभूतियों का निर्गम चार प्रकार का हो सकता है.

    जब प्रतिभूतियों बड़े पैमाने पर निवेशकों को जारी की जाती है, तो इसे पब्लिक इश्यू के रूप में जाना जाता है. यह इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) या फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर के जरिए हो सकता है.

    राइट्स इश्यू

    यहां, सूचीबद्ध संस्थाएं अपने मौजूदा शेयरधारकों को मौजूदा बाजार कीमतों की तुलना में कम कीमत पर प्रतिभूतियों को सक्षम करके शेयरों में अपने पहले के अनुपात को बनाए रखने की अनुमति देती है.

    निजी प्लेसमेंट

    कभी-कभी, जनता को बड़े पैमाने पर प्रतिभूतियां जारी नहीं की जाती हैं, और कुछ चुनिंदा व्यक्तियों को, इसे निजी प्लेसमेंट के रूप में जाना जाता है.

    जारी करने वाली संस्था को यह रास्ता अपनाने के लिए संघीय एजेंसियों के विभिन्न दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता होती है.

    मौजूदा शेयरधारक को बिना किसी विचार के रिकॉर्ड तिथि पर शेयर जारी करना बोनस इश्यू के रूप में जाना जाता है.

    सेकेंडरी इक्विटी मार्केट (Secondary Equity Market)

    सेकेंडरी इक्विटी मार्केट को हिंदी में द्वितीयक इक्विटी बाजार कहते हैं. जिसे आप से मार्केट के नाम से जानते हैं, सही मायने में इसी को सेकेंडरी इक्विटी मार्केट कहते हैं.

    हम आपके बीच में जो शेयर मार्केट फेमस है वह यही सेकेंडरी इक्विटी मार्केट है. सूचीबद्ध कंपनियां यहां पर अपने शेयरों को बेच सकती है. निवेशक भी यहां पर अपने द्वारा खरीदे गए शेयरों की बिक्री कर सकता है और नए शेयर को खरीद भी सकता है.

    निष्कर्ष

    आखिर में सारांश – एक ऐसा मंच है जहां पर कंपनी बाजार से पूंजी जुटाने के लिए अपने हिस्सेदारी को शेयर के तौर पर बेचती है और निवेशक उसे खरीदते हैं, उसे इक्विटी बाजार कहते हैं. यह दो प्रकार के होते हैं प्राइमरी एवं सेकेंडरी.

    मुझे पूर्ण रूप से भरोसा है कि इक्विटी मार्केट मीनिंग इन हिंदी से संबंधित आर्टिकल पसंद आया होगा. अगर आपके पास इससे संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप पूछ सकते हैं. अपने प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में लिखिए उत्तर जल्द मिलेगा.

    ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है

    ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है

    ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है आपके मन मे भी ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर स्टॉक मार्केट में कितने प्रकार की ट्रेडिंग होती है. मै आपको बता दू स्टॉक मार्केट में चार प्रकार की ट्रेडिंग होती है intraday trading. Swing trading. Short term trading. Long term trading. ये चार प्रकार की ट्रेडिंग कैसे की जाती है ये हम आज आपको बतायेंगे तो चलीये जानते है.शेअर मार्केट मे ट्रेडिंग कैसे होती है. और कितने प्रकार की होती है.

    Intraday trading – इंट्राडे ट्रेडिंग

    जब मार्केट 9 बजकर 15 मिनिट में शुरू होता है. और 3 शेयर बाजार के प्रकार बजकर 30 मिनिट मे बंद होता है. उस टाइम के अंदर आप जो कोई भी शेअर्स खरीद लेते है. या बेज देते है उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है. यांनी की आपको इसी टाइम के अंदर शेअर्स खरीद लेना है और बेच देना है. अब हम जानते है इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

    इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

    इंट्राडे ट्रेडिंग मे आपको शेअर बाजार के उतार-चढाव के बारे मे पता होना बेहात जरुरी है. इंट्राडे ट्रेडिंग से अगर अच्छे स्टॉक का शेअर्स आप खरीद लेते है तो आप 8000 रुपये per day से भी ज्यादा कमा सकते हो

    इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

    इंट्राडे ट्रेडिंग मे जितना फायदा होता है उतना ही रिक्स और loss होता है,इस ट्रेडिंग मे आपको कोई ये नही बताएगा आखिर इंट्राडे मे ट्रेडिंग कैसे करे अगर आपके पास knowledge नही है और आप नये हो तो मेरी ये राय रहेगी आपके लिए ये ट्रेडिंग नही है. क्युकी नये लोग सबसे पहले यही ट्रेडिंग करना शुरू करते है और बाद में उनको असफलता मिलती है अब हम जानते है स्विंग ट्रेडिंग

    Swing trading स्विंग ट्रेडिंग

    इस ट्रेडिंग मे कोई भी स्टॉक खरीदकर कुछ दिनो मे या कुछ हप्तो के अंदर बेच सकते हो इसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है .इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर loss और profit को आसानी से झेल सकते हो

    स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

    अगर आप नये हो तो सुरुवात मे आपको यही ट्रेडिंग करनी चाहिए तभी आप अच्छा स्टॉक select कर पाओगे और शेअर मार्केट के उतार और चढाव के बारे मे आसानी से और बारीकीसे जान पाओगे

    स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

    स्विंग ट्रेडिंग मे अगर आप अच्छे स्टॉक को नही चुन, पाओगे तो आपको लॉस ही होगा क्यूकी इस ट्रेडिंग मे अच्छे स्टॉक को चूनना बेहद जरूरी है ताकी आप ज्यादा दिन तक अच्छे से स्टॉक मे invest कर सके

    Short term trading शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग

    जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो मे complete होता है.उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक active trade investment हे आपको इसमे अपने स्टॉक पर नजर रखनी पडती है तभी आप अपने स्टॉक को minimise कर सकते है

    शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

    वैसे तो इस ट्रेडिंग मे आप अगर पुरी research के साथ stock स्सिलेक्ट करोगे तो आप अपने लॉस ओर प्रॉफिट को मिनिमाईज कर पावोगे

    शॉर्ट ट्रेडिंग के नुकसान

    अगर आप किसीके कहने पर या YouTube पर video देखकर किसी स्टॉक को खरीद लेते हो तो आपको पक्का लॉस ही होगा क्युकी आप जिस किसी भी स्टॉक को सिलेक्ट करते हो ऊस कंपनी के fundamentals के बारे मे हि आपको पता नही होता तभी आप लॉस मे जाते हो

    Long term trading लॉंग टर्म ट्रेडिंग

    अब आप इसके नाम से ही जान गये होंग आखिर लॉंग टर्म ट्रेडिंग क्या है. इस ट्रेडिंग में आप जो कोई स्टॉक एक साल या उससे ज्यादा के लिये खरीद लेते हो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है

    लॉंग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान और फायदे

    इसमे अगर आप कोई अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नही कर पाओगे तो आपको नुकसान होगा .और रिसर्च करके अगर सिलेक्ट करोगे तो आपको बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है

    दोस्तो आशा करता हु आपको यह आर्टिकल देहत पसंद आया होगा अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमे नीचे comment मे जरूर बताये और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे

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    FAQ

    ट्रेडिंग कितने प्रकार कि होती है

    ट्रेडिंग चार प्रकार की होती है
    1, Intraday trading
    2, Swing trading
    3, Short term trading
    4, Long term trading

    नमस्ते दोस्तों आपका स्वागत है आपको इस website पर शेयर मार्केट, म्यूचल फंड, शेयर प्राइस टारगेट, इन्वेस्टमेंट,से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी रिसर्च के साथ हिंदी मे दी जाएगी

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