रिवर्स निवेश

रिवर्स निवेश
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यदि NOT गेट पर निवेश 1 है, तो .
Updated On: 27-06-2022
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Aap ko kya acha रिवर्स निवेश nahi laga
हेलो 205 दिया है यदि नॉट गेट पर निवेश एक है तो निर्गत होगा ठीक है बात कर रहा है नॉट गेट की कि नॉट गेट पर जो निवासी मतलब कि इनपुट में एक बेर है तो उसके निर्गत मतलब कि उसके आउटपुट हमें क्या प्राप्त होगा प्रश्न में आ से चारों ऑप्शन दिए गए हम बात कर लेते हैं नॉट गेट की ठीक है नॉट गेट क्या होता है नॉट गेट 1 प्रतिलोम रेट है मतलब कि जो भी मुझ पर निवेश में देते हैं हमें निर्गत उसका प्रतिलोम प्राप्त होता है उसका रिवर्स प्राप्त होता है उसका उल्टा प्राप्त होता है इसके प्रत्येक सिंबल की बात करें तो इसमें एक निवेश ही होता है केवल ठीक है और हमें निर्गत भी यहां से एक ही प्राप्त होता है एक निवेश होता है और एक निर्गत होता है इसका प्रतीक सिंबल होता है अगर यहां से हम मान ले कि हमने निर्गत में अगर निवेश ही में माल लेके हमने दिया हुआ है इसके निर्यात हवाई में हमें जो प्राप्त होगा वह एक आदेश प्राप्त होगा यह कैनवस प्राप्त आय का प्रतिलोम प्राप्त होता है मतलब कि यहां से अगर इसकी सत्यता सारणी देखें अगर हम यहां से जीरो देते हैं इसके निवेश पर निर्णय प्राप्त होगा अगर हम 1 दिन
तुम्हें जीरो प्राप्त होगा मतलब कि इसका प्रतिलोम प्राप्त हो रहा है मगर देखें तो प्रश्न है यही पूछ रहा है कि अगर हम इस के निवेश ईमेल क्या दे रहा है एक दे रहा है तो मैंने देश में क्या प्राप्त हो रहा है सुनने प्राप्त हो रहा है यही इसका यहां से आंसर हो जाएगा कि हमें यहां से दूसरा ऑप्शन सही मिल जाएगा किस के निर्यात में में सूर्य प्राप्त होगा क्योंकि नॉट गेट जो होता है वह एक प्रतिलोम की तरह कार्य करता है जो निवेश पर देते हैं उसका हमें निर्यात पर प्रतिलोम प्राप्त होता है ठीक है धन्यवाद
SBI Reverse Mortgage Loan: सीनियर सिटिजन के लिए एसबीआई का खास प्लान, रिवर्स मॉर्गेज लोन के जरिए पा सकते हैं अतिरिक्त इनकम, चेक डिटेल
SBI Reverse Mortgage Loan: कर्ज लेने वाला शख्स अगर सिंगल है और उसने 60 साल की उम्र पार कर ली है तो वह एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन के लिए अप्लाई कर सकता है.
सीनियर सिटिजन जिनके पास खुद का घर है. वे चाहें तो अपने घर को एसबीआई के रिवर्स मॉर्गेज लोन फैसिलिटी के जरिए रिवर्स निवेश अतिरिक्त इनकम का जरिया बना सकते हैं.
SBI Reverse Mortgage Loan: सीनियर सिटिजन जिनके पास खुद का घर है. वे चाहें तो अपने घर को एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन (SBI Reverse Mortgage Loan) फैसिलिटी के तहत अतिरिक्त इनकम का जरिया बना सकते हैं. एसबीआई की वेबसाइट के मुताबिक बैंक की रिवर्स मॉर्गेज फैसिलिटी सीनियर सिटिजन के लिए काफी मददगार हो सकती है. खासकर उनके लिए जिनके पास गुजारा करने के लिए रिवर्स निवेश रिवर्स निवेश इनकम का कोई साधन उपलब्ध नहीं है.
एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन के तहत बैंक घर मकान जैसी प्रापर्टी के बदले कर्ज लेने वाले शख्स को फंड उपलब्ध कराती है. पति या पत्नी में से किसी जीवित होने पर प्रापर्टी पर लोन के रुप में इनकम जारी रहती है. हालांकि इस मामले में घर के मालिक को अपनी प्रीपर्टी बैंक के पास गिरवी रखनी पड़ती है. एसबीआई ने बताया कि कर्ज लेने वाला शख्स ये उम्मीद न करें कि उसे जीवनभर लोन की सेवा दी जाती है. एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन लेने वाले शख्स चाहे तो लोन चुका भी सकता है. क्योंकि इसमें बैंक की तरफ से ये विकल्प भी दिया जाता है.
एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन उन सीनियर सिटिजन के लिए कारगर साबित हो सकता है जिनके पास बचे जीवन का गुजर-बसर करने के लिए पर्याप्त इनकम नहीं है या फिर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड का कोई जरिया नहीं उपलब्ध है और न हीं वे लोन लौटा पाने में सक्षम हैं. रिवर्स मॉर्गेज लोन के लिए अप्लाई करने से पहले सीनियर सिटिजन को रिवर्स निवेश इन कुछ अहम बातों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए.
- रिवर्स मॉर्गेज लोन की पेशकश करने वाला बैंक एक निश्चित समय अंतराल पर गिरवी रखे गए घर या प्रापर्टी का जायजा करता है. आमतौर पर हर 5 साल में प्रापर्टी के रिवर्स मॉर्गेज लोन जारी करने वाली बैंक ऐसा करता है.
- महंगाई में इजाफा होने पर रिवर्स मॉर्गेज लोन के तहत बैंक की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली मंथली तय अमाउंट में कोई बदलाव नहीं होता है.
- रिवर्स मॉर्गेज लोन के तहत फंड देने वाला बैंक आमतौर पर प्रापर्टी की कीमत से 15 से 20 फीसदी कम पैसेा देता है. मिसाल के तौर अगर प्रीपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये है तो रिवर्स मॉर्गेज लोन जारी करने वाला बैंक प्रापर्टी के मालिक को सिर्फ 40 लाख रुपये जारी करता है.
- रिवर्स मॉर्गेज लोन पर भी बैंक ब्याज लेती है. मसलन प्रापर्टी पर बैंक की तरफ से लोन के रुप में फंड उपलब्ध कराई जाती है. उसमें से लोन स्लैब के हिसाब से ब्याज की कटौती भी की जाती है.
- प्रीपर्टी पर लोन लेने रिवर्स निवेश वाले शख्स की मृत्यु हो जाने के बाद बैंक गिरवी रखे घर को बेच देती है. अगर प्रापर्टी रिवर्स निवेश अधिक कीमत पर बेची जाती है तो कर्ज लेने वाले शख्स के उत्तराधिकारी कानूनन शेष राशि लौटा दी जाती है. उत्तराधिकारी चाहे तो लोन अमाउंट चुकता करके घर वापस भी ले सकता है.
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योग्यता
कर्ज लेने वाला शख्स अगर सिंगल है और उसने 60 साल की रिवर्स निवेश उम्र पार कर ली है तो वह एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन के लिए अप्लाई कर सकता है. अकेले की बजाय कर्ज लेने वाला शख्स के साथ परिवार को कोई सदस्य हो तो इस मामले में जिसके रिवर्स निवेश नाम प्रापर्टी है उसकी उम्र 58 से अधिक होनी चाहिए. तभा वह इस लोन के लिए अप्लाई कर सकेगा.
लोन टेन्योर और अमाउंट
रिवर्स मॉर्गेज लोन के तहत न्यूनतम 3 लाख रुपये और अधिकतम 1 करोड़ रुपये उपलब्ध कराई जाती है. इस लोन की अवधि कर्ज लेने वाले शख्स के उम्र के आधार पर, 10 से 15 साल होती है.
ब्याज दर और लोन प्रोसेसिंग फीस
एसबीआई प्रोसेसिंग फीस के नाम पर रिवर्स मॉर्गेज लोन अमाउंट का 0.50% चार्ज करता है. एसबीआई द्वारा अमाउंट लोन पर लागू टैक्स के साथ न्यूनतम 2000 रुपये और अधिकतम 20,000 रुपये प्रोसेसिंग फीस के रुप में चार्ज किया जा सकता है. लोन जारी हो जाने के बाद कर्ज लेने वाले शख्स को लोन एग्रीमेंट के लिए स्टांप ड्यूटी और प्रापर्टी इंश्योरेंस प्रीमियम का पेमेंट करना होता है. मौजूदा समय में एसबीआई रिवर्स मॉर्गेज लोन का ब्याज दर 10.95% है.
प्रीपेमेंट
सीनियर सिटिजन चाहे तो अपने रिवर्स मॉर्गेज लोन के अमाउंट को बिना जुर्माना दिए समय से पहले चुका सकता है.
पीरियॉडिक पेआउट
बैंक द्वारा रिवर्स मॉर्गेज लोन के लिए जारी किए गए अमाउंट को सीनियर सिटिजन चाहे तो मंथली, तिमाही, छमाही, सालाना या फिर एक साथ लेने के लिए विकल्प चुन सकता है.
Money Guru: अपना मकान दिलाएगा पेंशन! प्रॉपर्टी से रेगुलर इनकम का शानदार उपाय है REIT, जानें रिवर्स निवेश क्या हैं इसके फायदे?
निवेशकों का पैसा रियल एस्टेट में निवेश होता है. रेंटल आय के जरिए होती है कमाई. पहले जरूरी लक्ष्यों के लिए निवेश करें. डायवर्सिफिकेशन के लिए REIT में निवेश सही. रिवर्स मॉर्टगेज स्कीम होम लोन से विपरीत काम करती है. रिवर्स मॉर्टगेज में मकान गिरवी रखकर,बैंक रकम देते हैं. जिस मकान में रहते हैं,उससे रेगुलर आय मिल सकती है. रिटायरमेंट के बाद हर महीने निश्चित आय का जरिया: Amitkukreja.com के फाउंडर अमित कुकरेजा और FinFix रिसर्च, फाउंडर, प्रभलीन बाजपेयी.
छोटी अवधि के डेट फंड में निवेश पर टिकी नजर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखने की घोषणा करने के साथ ही ऐसे संकेत भी दिए कि आगे चलकर नीतिगत रूप से स्थिति सामान्य हो सकती है। बाजार से जुड़े जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में कम अवधि वाले फंड एवं मुद्रा बाजार फंड निवेशकों के लिए सबसे मुफीद होंगे। जहां नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला लेने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 'उदार' रुख जारी रखने का फैसला किया है वहीं ट्रस्ट परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी संदीप बागला का मानना है कि आरबीआई की यह नीति मार्जिन के लिहाज से काफी आक्रामक है। बागला कहते हैं 'आरबीआई ने मजूबत वृद्धि एवं मुद्रास्फीति के मोर्चे पर नकारात्मक आश्चर्यों की बात मानी है। एमपीसी के एक सदस्य उदार रुख में बदलाव के पक्षधर थे। इसकी संभावना है कि लंबी अवधि वाले फंडों का प्रतिफल धीरे-धीरे 6.5 फीसदी की ओर जाएगा। ऐसे में निवेशकों को ब्याज दरों का जोखिम कम करने के लिए तीन साल से कम परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड फंडों में निवेश करना चाहिए।'
अमूमन निर्धारित आय वाली प्रतिभूतियों की कीमतें तत्कालीन ब्याज दरों से तय होती हैं। ब्याज दर एवं कीमतों के बीच व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है। जब ब्याज दरें घटती हैं तो निर्धारित आय वाली प्रतिभूतियों की कीमतें बढ़ जाती हैं। वहीं ब्याज दरें बढऩे पर इन प्रतिभूतियों की कीमत गिर जाती है। इस तरह लंबी अवधि वाले डेट निवेश साधनों के ब्याज दर बढ़ते समय उठापटक का शिकार होने की आशंका अधिक होती है। व्यवस्था में अतिरिक्त तरलता को कम करने के लिए आरबीआई ने प्रतिफल बढऩे की संभावनाओं को देखते हुए एक परिवर्तनीय दर रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) कार्यक्रम शुरू करने का ऐलान किया। आरबीआई ने इस कार्यक्रम के तहत राशि को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर चार लाख करोड़ रुपये करने का फैसला रिवर्स निवेश किया है।
क्वांटम म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर (निर्धारित आय) पंकज पाठक कहते हैं कि हमें आरबीआई की तरफ से मौद्रिक नीति परिचालन को सामान्य करने के लिए एक नई तरह की कोशिश देखने को मिल सकती है। पाठक कहते हैं, 'अगले छह महीनों में हम आरबीआई से बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त तरलता को कम करने की उम्मीद करेंगे। इसके लिए हमें रिवर्स रीपो दर को 3.75 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी करने की उम्मीद रहेगी। और वृद्धि स्थिर होने पर आरबीआई अपने उदार रुख से थोड़ा दूर हो सकता है और धीरे-धीरे ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है।'
पिछले एक साल में मुद्रा बाजार फंड, अत्यंत कम अवधि के फंड और गतिशील बॉन्ड जैसे कुछ डेट श्रेणियों का रिटर्न 4 फीसदी के करीब रहा है।