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पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है?

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है?

Stocks Portfolio Manager Widge

स्टॉक्स पोर्टफोलियो मैनेजर विजेट होम स्क्रीन विजेट के साथ एक सरल और सुविधाजनक ऐप है जो आपके पोर्टफोलियो से स्टॉक मूल्य उद्धरण प्रदर्शित करता है और बिना किसी परेशानी के आसानी से आपके शेयर मार्केट पोर्टफोलियो को प्रबंधित करने में आपकी सहायता करता है।
दुनिया भर के विभिन्न लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंजों के स्टॉक को एक ही स्थान पर बिना किसी शुल्क या पैसे का भुगतान किए अपनी वॉचलिस्ट में जोड़ें।
आप चुन सकते हैं कि स्टॉक एक्सचेंजों से डेटा को कितनी बार और कब ऑटो सिंक करना है। आपको अपने पोर्टफोलियो के प्रदर्शन के बारे में दिन के कारोबारी सत्र के अंत में एक सारांश भी मिलता है।
निपटने के लिए कोई अनावश्यक पॉपअप या सूचनाएं नहीं। महत्वपूर्ण चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करने में आपकी सहायता करने के लिए बस सरल शुद्ध उत्पादकता।
यह एक ऐप है जिसे केवल आपके लिए डिज़ाइन किया गया है जैसे कि आपको ढेर सारे विकल्पों में से चुनने को मिलता है जैसे: सिंकिंग स्टार्ट और एंड टाइम, सिंक इंटरवल, सिंकिंग डेज, थीम, विभिन्न मुद्राओं में मल्टीपल एक्सचेंज सपोर्ट आदि।
इतना ही नहीं, आप अपने पोर्टफोलियो को सेव, शेयर, एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट भी कर सकते हैं। आसानी से अपने दोस्तों और परिवार के पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? साथ साझा करें।

विशेषताएं:
★ अपने ट्रैक किए गए प्रतीकों के लिए हाल की खबरें देखें
★ अपनी पसंद की विभिन्न अवधि के लिए अपने ट्रैक किए गए प्रतीकों के लिए ग्राफ़ देखें
★ आप कस्टम रीफ्रेश अंतराल और प्रारंभ/समाप्ति समय सेट कर सकते हैं
★ पूरी तरह से आकार बदलने योग्य, यह आपके द्वारा निर्धारित चौड़ाई के आधार पर संख्या कॉलम में फिट होगा।
★ एकाधिक विजेट्स में एकाधिक पोर्टफोलियो जोड़ें
★ स्क्रॉल करने योग्य दृश्य, इसलिए आपको एकाधिक विजेट जोड़ने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है
★ स्टॉक प्रतिशत में परिवर्तन (अवरोही) द्वारा क्रमबद्ध हैं, या आप उन्हें स्वयं पुनर्व्यवस्थित कर सकते हैं
★ आप अपने पोर्टफोलियो को टेक्स्ट फ़ाइल या JSON . से आयात और निर्यात कर सकते हैं
★ बेहतर अनुकूलन के लिए विभिन्न विषयों में से चुनें।

डेटा की सुरक्षा

आपके डेटा की सुरक्षा, इस बात पर निर्भर करती है कि डेवलपर, डेटा को कैसे इकट्ठा और शेयर करते हैं. डेटा को निजी और सुरक्षित रखने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं. ये आपकी जगह, उम्र, और ऐप्लिकेशन के इस्तेमाल के हिसाब से तय किए जाते हैं. यह जानकारी डेवलपर उपलब्ध कराता है और समय-समय पर इस जानकारी को अपडेट भी किया जा सकता है.

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है?

NPS खाते में धीमे बढ रहा पैसा? घर बैठे आसानी से बदलें पोर्टफोलियो मैनेजर और निवेश पैटर्न

National Pension System: एनपीएस (NPS) एक ऐसी योजना है कि जिसके तहत रिटायरमेंट के बाद नियमित आय का इंतजाम किया जाता है. इस योजना के तहत जब तक आप काम करते हैं, थोड़ी-थोड़ी राशि इस योजना के तहत निवेश की जाती है और उसके बाद रिटायरमेंट होने पर एक हिस्से को एकमुश्त निकाल कर बची राशि से नियमित तौर पर पेंशन सुनिश्चित किया जाता है. पेंशन कितना मिलेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि आपने कितनी राशि इस योजना के तहत जमा की है और इस पर कितना रिटर्न मिला है.

इसमें रिटर्न फंड मैनेजर और इंवेस्टमेंट च्वाइस पर निर्भर करता है यानी कि आपके जमा पैसे किस अनुपात में इक्विटी, डेट या बॉन्ड इत्यादि में फंड मैनेजर निवेश कर रहे हैं. अगर आपको लगता है कि आपका पैसा कम बढ़ रहा है तो आप घर बैठे ही फंड मैनेजर और इंवेस्टमेंट पैटर्न में बदलाव कर सकते हैं. पीएफआरडीए की वेबसाइट पर दिए गए 14 जनवरी 2022 तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट, आईसीआईसीआई प्रू पेंशन फंड मैनेजमेंट, एसबीआई पेंशन फंड और यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस ने 15 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया है.

ऑनलाइन ऐसे बदल सकते हैं फंड मैनेजर और इंवेस्टमेंट पैटर्न

• एनपीएस खाते के फंड मैनेजर और इंवेस्टमेंट पैटर्न में ऑनलाइन बदलाव के लिए https://cra-nsdl.com/CRA/ पोर्टल पर लॉग इन करें. लॉन इन आईडी PRAN (परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) है.
• इंवेस्टमेंट पैटर्न में बदलाव के लिए ‘ट्रांजैक्ट ऑनलाइन’ टैब पर क्लिक करें और ‘चेंज स्कीम प्रिफरेंस’ के तहत एक्टिव च्वाइस या ऑटो च्वाइस में कोई एक विकल्प चुनें. ऑटो च्वाइस के तहत कंजरवेटि/मॉडरेट और एग्रेसिव में किसी एक विकल्प को चुनने का मौका मिलेगा. विकल्प चुनने के बाद रिक्वेस्ट सबमिट कर दें.
• पोर्टफोलियो मैनेजर में बदलाव के लिए ‘ट्रांजैक्ट ऑनलाइन’ टैब पर क्लिक करें और ‘चेंज पोर्टफोलियो मैनेजर’ चुनें. इसके बाद स्क्रीन पर पोर्टफोलियो मैनेजर की लिस्ट दिखेगी जिसमें अपने हिसाब से बेहतर विकल्प को चुनकर रिक्वेस्ट सबमिट कर दें.

ऑफलाइन ऐसे कर सकते हैं बदलाव
अगर आप एनपीएस खाते में ऑनलाइन बदलाव नहीं कर पा रहे हैं तो नजदीकी पीओपी-एसपी (प्वाइंट पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? ऑफ प्रेजेंस-सर्विस प्रोवाइडर्स) ऑफिस जा सकते हैं. वहां जाने पर आपको पोर्टफोलियो मैनेजर और इंवेस्टमेंट पैटर्न में बदलाव के लिए एक फॉर्म मिलेगा. इसे भरकर वहां जमा कर दें और आपका काम हो जाएगा.

इंवेस्टमेंट पैटर्न में बदलाव के मिल सकते हैं अधिक मौके
सब्सक्राइबर को खाता खोलते समय फंड मैनेजर का चयन करना होता है जिसमें बदलाव किया जा सकता है. अभी एनपीएस सब्सक्राइबर्स को किसी एक वित्त वर्ष में दो बार निवेश पैटर्न को बदलने का मौका मिलता है. हालांकि इसे बढ़ाकर चार बार करने की बात चल रही है जिसकी जानकारी पिछले साल के आखिरी महीने दिसंबर 2021 में इंडस्ट्री बॉडो एसोचैम द्वारा एनपीएस पर आयोजित वेबिनार में पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए के चेयरमैन ने दी थी. सब्सक्राइबर्स सरकारी सिक्योरिटीज, डेट इंस्ट्रूमेंट्स, शॉर्ट टर्म डेट इंवेस्टमेंट्स और इक्विटी व इससे जुड़े इंवेस्टमेंट्स इत्यादि में मिला-जुलाकर पूंजी निवेश कर सकते हैं.

एक बार फंड मैनेजर में बदलाव की मंजूरी
सब्सक्राइबर्स को अभी एक वित्त वर्ष पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? में एक बार फंड मैनेजर में बदलाव की मंजूरी है. फंड मैनेजर सब्सक्राइबर्स की च्वाइस के आधार पर उनके पैसों को विभिन्न एसेट्स में निवेश करते हैं. अभी एनपीएस के तहत आईसीआईसीआई प्रू पेंशन फंड्स मैनेजमेंट कंपनी, एलआईसी पेंशन फंड, कोटक महिंद्रा पेंशन फंड, एसबीआई पेंशन फंड, यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस, एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट और बिरला सन लाइफ पेंशन मैनेजमेंट पेंशन फंड मैनेजर्स हैं.

Portfolio Management in Hindi

शेयर मार्केट में invest करने का तभी फायदा है यदि आपके द्वारा बनाया पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? गया portfolio strong है। एक अच्छे portfolio के द्वारा ही अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है और यह तभी संभव है यदि portfolio का management smart तरीके से किया जाए। यह काम बहुत सूझ बुझ का होता है, इसीलिए इसका जिम्मा portfolio manager का होता है।

आज के इस post में हम जानेंगे कि portfolio meaning in hindi क्या होता है? इस article के माध्यम से हम आपको portfolio से संबंधित जानकारी विस्तृत रूप से देने वाले हैं। तो आप हमारे साथ इस post के अंत तक जरूर बने रहे।

Portfolio का क्या मतलब होता है?

  • बिजनेस के मामले में portfolio का अर्थ projects या कार्यक्रम की सूची से है।
  • शेयर बाजार की बात करें तो, शेयर बाजार में portfolio shares के समूह को कहा जाता है।
  • Investment के मामले में portfolio का मतलब invest उपायों की list से होता है।

Portfolio management क्या होता है? (Portfolio management meaning in Hindi)

Business में portfolio management वह होता है जो ऐसे project और कार्यक्रम बनाता है, जिसके द्वारा किसी कंपनी या संस्थान को अधिक से अधिक मुनाफा हो और नुकसान की गुंजाइश काफी कम हो।

ऐसे projects को चुनना, priority तय करना और उनका control वगेरह् भी portfolio management का ही हिस्सा होता है और इस जिम्मेदारी को निभाने वाली संस्था या व्यक्ति को portfolio manager कहा जाता है।

Portfolio manager क्या होता है?

Portfolio manager वह व्यक्ति या संस्था होती है जो किसी निवेशक व्यक्ति या निवेशक कंपनी की financial जरूरतों को समझते हुए, उनकी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, ऐसी रणनीति तैयार करता है, जिससे अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके और नुकसान की गुंजाइश को काफी कम किया जा सके। इस रणनीति को बनाने वाले व्यक्ति या संस्था को portfolio manager कहा जाता है।

निवेशक के द्वारा portfolio manager को ही रणनीति तैयार करके, उस पर पैसा लगाने की जिम्मेदारी दी जाती है।

Portfolio management के प्रकार

Portfolio management मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:-

  1. Active portfolio management अर्थात क्षत्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन
  2. Passive portfolio management अर्थात निष्क्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन
  3. Discretionary portfolio management अर्थात विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन
  4. Non – Discretionary portfolio management अर्थात गैर विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन

सक्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन (Active portfolio management)

इस प्रकार के पोर्टफोलियो प्रबंधन में portfolio manager के द्वारा मार्केट की चाल को देखते हुए रणनीति बनाई जाती है। ऐसा खासकर तब किया जाता है जब आपकी investment का अधिकतर हिस्सा शेयरों में invest हो। Portfolio manger का उद्देश्य अच्छी रिटर्न प्राप्त करना होता है इसीलिए जब शेयरों के दाम घटते हैं तो वह खरीद लेता है और जब दाम में बढ़ोतरी होती है, तो वह उसे बेच देता है।

निष्क्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन (passive portfolio management)

इस तरह की management long पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? term निवेश के लिए काफी अच्छी साबित होती है। इस प्रकार के पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में बाजार की चाल को देखते हुए शुरू में ही शेयरों की list fix कर दी जाती है और उससे बाद में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाती। इस तरह से पैसा index funds में लगाया जाता है, जिससे काफी अच्छे return की उम्मीद होती है।

विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन (Discretionary portfolio mangement )

विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन में, portfolio manger को पूरी तरह से छूट होती है कि वह निवेशकों के पैसे को अपनी सूझबूझ के द्वारा निवेश करें। इस प्रकार के management में पोर्टफोलियो मैनेजर निवेशक के लक्ष्य और उसकी risk की क्षमता के अनुसार एक अच्छी रणनीति बनाकर निवेश करता है। इसमें पोर्टफोलियो पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? मैनेजर को अपने client के शेयर कभी भी खरीदने या बेचने की पूरी छूट होती हैं।

गैर विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन (Non – Discretionary portfolio management )

इस तरह की management में portfolio manger केवल advise दे सकता है अर्थात उसकी भूमिका केवल financial adviser की होती है। इसमें पोर्टफोलियो मैनेजर अपनी knowledge के मुताबिक investor को उसकी investment choices के अनुसार सलाह देता है। उस सलाह पर अमल करना, उसमें पैसा निवेश करना या फिर खारिज करना यह पूरी तरह से investor पर depend होता है।

Portfolio manage कैसे करें?

हम कुछ तरीके बताने वाले हैं जिनके जरिये आपको अपने पोर्टफोलियो को manage करने में मदद मिलेगी:-

  1. आप किसी professional की मदद ले सकते हैं। प्रोफेशनल market के movment के हिसाब से आपका portfolio manage करता है। कौन सा share कितने टाइम तक रखना है या कब खरीदना और बेचना है, यह सभी चीज़े एक professional ही manage करता है और time to time आपको update करता रहता है। यदि आप ऐसा करते है तो आपको personally अपने portfolio के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती।
  2. यदि आप स्वयं अपना पोर्टफोलियो manage कर रहे हैं तो आपको बाजार की बारीकियों से ज़रूर अवगत होना चाहिए। तभी आप अपने portfolio को strong बना सकते हैं।
  3. यदि आपका portfolio, fund मैनेजर handle कर रहा है तो उससे कम से कम 3 महीने में अपने portfolio की regarding उससे चर्चा करें।
  4. जब भी आप स्वयं पोर्टफोलियो handle करें तो वह बाजार की चाल पर जरूर नजर बनाए रखें। यदि किसी भी कारण से बाजार में अस्थिरता आती है तो वह आपके पोर्टफोलियो को effect करती है।
  5. आप technical और fundamental analysis जरूर सीखें, ताकि आप यह सुनिश्चित कर पाए कि कौन सा सstock कब खरीदना या बेचना है। से updated रहे। Market की खबरों से updated रहे।
  6. यदि आप portfolio मैनेजर से अपना पोर्टफोलियो manage करवाते हैं तो वह आपकी जरूरतों को समझते हुए रणनीति तैयार करता है और उसी हिसाब से पोर्टफोलियो में stock रखता है।

Portfolio management मे ध्यान रखने योग्य बाते

  1. सभी तरह की term and conditions को अच्छे से समझ ले।
  2. जरूरत के हिसाब से रणनीति तैयार करें।
  3. Portfolio की निगरानी रखना जरूरी होता है।
  4. यदि आप एक portfolio मैनेजर है तो कस्टमर की जरूरतों के हिसाब से portfolio की रणनीति तैयार करें।
  5. Market से updated रहे।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज के इस post में हमने जाना कि portfolio meaning in hindi क्या होता है। इस पोस्ट में हमने आपको portfolio से संबंधित जानकारी से अवगत करवाया है। आशा करते हैं कि यह post आपको पसंद आया होगा। इस जानकारी को आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी जरूर शेयर करें।

यदि इस post से संबंधित कोई भी सुझाव आप हमें देना चाहते हैं तो हमें कमेंट जरूर करें और यदि इस post से संबंधित कोई भी प्रश्न आप हम से पूछना चाहते हैं तो हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं।

Investors की जरूरतों को समझना, invest करने के लिए रणनीति तैयार करना, पोर्टफोलियो का निर्माण करना, portfolio की निगरानी रखना, सुरक्षा विश्लेषण करना इत्यादि।

Finance में portfolio का अर्थ, किसी संस्था या कंपनी के द्वारा किए गए निवेश का एक collection होता है।

Portfolio management मे एक ऐसी निवेश योजना को तैयार करना होता है जिससे किसी संस्था या व्यक्ति की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, उसे अधिक से अधिक फायदा मिल सके और कम से कम जोखिम हो।

Income Tax : क्‍या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर लगने वाली फीस टैक्‍स फ्री है, एक्‍सपर्ट से समझें क्‍या इस पर ले सकते हैं क्‍लेम?

निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर दो तरह से कैपिटल गेन टैक्‍स लगता है.

ज्‍यादातर निवेशक अपने पोर्टफोलियो के प्रबंधन के लिए मैनेजर्स की मदद लेते हैं और इसके एवज में उन्‍हें शुल्‍क का भुगतान करना पड़ता है. सवाल ये उठता है कि जब निवेशक अपने पैसे पर कमाए लाभ पर कैपिटल गेन टैक्‍स देता है तो क्‍या उसे पोर्टफोलियो मैनेजर को दी गई फीस पर टैक्‍स छूट का लाभ मिलना चाहिए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 02, 2022, 15:09 IST

हाइलाइट्स

आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता है.
फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी कोई फैसला नहीं दे सका है.
पोर्टफोलियो मैनेजर्स करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति का प्रबंधन करते हैं.

नई दिल्‍ली. हर निवेशक की यह चाह होती है कि उसके लगाए पैसे पर तगड़ा रिटर्न मिले और इसके लिए एक्‍सपर्ट की सलाह लेना सबसे कॉमन चीज है. लिहाजा निवेशक को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का सहारा लेना पड़ता है, जिसके बाद हर निवेश विकल्‍प पर एक्‍सपर्ट का ओपिनियन मिल जाता है.

यहां तक तो बात सामान्‍य लगती है, लेकिन असर मुद्दा तब उठता है जबकि निवेशक को अपने पैसों पर कमाए रिटर्न पर आयकर विभाग को कैपिटल गेन के रूप में टैक्‍स देना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या इस टैक्‍स का भुगतान करने वाला निवेशक अपने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए दे रहे शुल्‍क पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. यानी इस राशि को अपनी टैक्‍स देनदारी में शामिल कर सकता है.

क्‍या कहता है आयकर कानून
टैक्‍स मामलों के जानकार बलवंत जैन का कहना है कि आयकर की धारा 48 के तहत कैपिटल गेन के रूप में हुई आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता है. यह शेयर ट्रांसफर के पूरी तरह और विशेष रूप से जुड़े सभी खर्चों को शामिल करता है. पोर्टफोलियो मैनेजर को भी दी गई फीस के संबंधन में यह कहा जा सकता है कि इनका शेयरों के ट्रांसफर में निकट संबंध है

हालांकि, टैक्‍स अथॉरिटी का कहना है कि यह फीस शेयर ट्रांसफर से पूरी तरह अथवा विशेष रूप से कतई नहीं जुड़ी है. लिहाजा निवेशक पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? इस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं कर सकते हैं. फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी इस मसले पर कोई फैसला नहीं दे सका है.

अभी तक क्‍या रहें हैं ट्रिब्‍यूनल के फैसले
इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण की पुणे पीठ ने एक फैसले में कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फीस को भी कर शेयर ट्रांसफर खर्च का हिस्‍सा माना जाना चाहिए और इस पर निवेशक टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. हालांकि, मुंबई ट्रिब्‍यूनल ने पुणे पीठ के फैसले को सही नहीं बताया और कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजर को दी गई फीस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद कोलकाता टिब्‍यूनल ने जॉय ब्‍यूटी केयर प्राइवेट लिमिटेड के मामले में अपना फैसला पुणे पीठ के पक्ष में दिया. कोलकाता ट्रिब्‍यनल ने कहा कि निवेशक पोर्टफोलियो फीस पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. बैंगलोर ट्रिब्‍यूनल ने एक फैसले में कहा कि इस फीस पर टैक्‍स कटौती को लेकर आयकर कानून में कभी सवाल नहीं उठाया गया है.

कितनी राशि का प्रबंधन करते हैं पोर्टफोलियो मैनेजर
पोर्टफोलियो मैनेजर्स की ओर से सेबी को दी गई जानकारी के अनुसार, अभी देश में रजिस्‍टर्ड पोर्टफोलियो मैनेजर्स के पास करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति है, जिसका वे प्रबंधन करते हैं. अगर सरकार इस फीस पर टैक्‍स छूट के दावे को स्‍वीकार करती है तो निवेशकों के लिए यह बड़ा कदम होगा. मामले में बाम्‍बे हाईकोर्ट को भी फैसला देना है, जिससे उम्‍मीद लगाई जा रही कि निवेशकों को कुछ स्‍पष्‍ट डिसीजन मिल सकता है.

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पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें

पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें

विविधता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अलग-अलग एसेट्स में निवेश करने से निवेशकों का जोखिम कम होता है। इसके साथ ही यह बाजार के उतार-चढ़ाव से भी निवेशकों को बचाता है। यह मुनाफा बनाने की रणनीति में भी मददगार साबित हो सकता है।

सभी पैसों को एक ही बस्ते में नहीं रखना चाहिए: यह बात विविधता को बहुत अच्छी तरह बताती है। पोर्टफोलियो में विविधता या एसेट एलोकेशन से आप अलग-अलग एसेट वर्ग में निवेश करते हैं। अगर किसी एक वर्ग में गिरावट आती है, तो दूसरा एसेट आपको नुकसान से बचाता है।

एसेट एलोकेशन कैसे करें?
बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए पोर्टफोलियो में विविधता लाना जरूरी है। विभिन्न एसेट क्लास में निवेश करके आप पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं।

एसेट कैटेगरी में निवेश के विकल्प नीचे दिए गए हैं
1) इक्विटी
इक्विटी आमतौर पर अन्य एसेट वर्गों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह एसेट वर्ग सरल और समझने में आसान होता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें निवेश में एक बड़ा दायरा चाहिए।

इक्विटी हर प्रकार के निवेशक को विकल्प देती है। इक्विटी में निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप शेयर्स के अनुसार विविधता दे सकते हैं। एग्रेसिव एप्रोच रखने वाले निवेशक विदेशी शेयर्स को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। ऐसे ETFs भी हैं जो कम लागत पर स्थिर लॉन्ग टर्म रिटर्न देते हैं।

बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए निवेशकों को अलग-अलग शेयर्स वाले पोर्टफोलियो में ही निवेश करना चाहिए। इसके लिए आपको कंपनी की हर अपडेट पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए। एक सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (जैसे तेजी मंदी ऐप) ऐसे निवेशकों की मदद करता है, जो निवेश की दुनिया में नए हैं या जिनके पास बाजार को ट्रैक करने का समय नहीं है।

ये सलाहकार सेबी द्वारा विनियमित होते हैं और इनके पास पोर्टफोलियो के हर शेयर पर बारीकी से नजर रखने वाली अनुभवी टीम होती है।

2) फिक्स्ड इंकम कैटेगरी
बॉन्डस में निवेश निश्चित आय प्रदान करता है और वे आमतौर पर उतार-चढ़ाव से दूर होते हैं। आय के स्थिर स्रोत की तलाश करने वाले लोगों के लिए ये कैटेगरी सबसे सुरक्षित और कारगर होती है। यह जरूर है कि यह आमतौर पर लंबी अवधि में धन बनाने में मददगार साबित नहीं होते हैं।

निवेशकों के पास बैंक फिक्स्ड डिपोजिट, सरकारी बॉन्ड और नॉन-कंवर्टेबल डिबेंचर (NCD) जैसे विकल्प होते हैं। NCD जोखिम भरा है, लेकिन अन्य निश्चित आय वाले एसेट की तुलना में अधिक रिटर्न देता है।

3) सोना
सोने में निवेश करने के तरीके में बदलाव आया है। पहले भौतिक रूप से इसमें निवेशक किया जाता था, पर अब नए रूपों जैसे गोल्ड म्यूचुअल फंड और ETF के माध्यम से भी सोने में निवेश किया जाता है।

सोना अन्य एसेट वर्गों के विपरीत काम करता है। जब अन्य एसेट वर्गों में मंदी आ रही होती है, तो सोने का मूल्य बढ़ रहा होता है। इसलिए सोना अस्थिरता और मुद्रास्फीति के खिलाफ एक प्रभावी बचाव बन सकता है। इसके बावजूद सोना लंबी अवधि में ज्यदा रिटर्न देने में ज्यादा मददगार साबित नहीं होता।

4) रियल एस्टेट
सभी एसेट वर्गों में से रियल एस्टेट सबसे ज्यादा अचल संपत्ति में आती है। इसलिए रियल एस्टेट में निवेश जरूरत के आधार पर होना चाहिए।

अचल संपत्ति में निवेश करने से हमेशा बचना चाहिए। चूंकि अचल संपत्ति में आपका निवेश एक लंबे समय तक अटका रह सकता है। इसमें आपके फंड आपकी जरूरत के वक्त मुश्किल से ही काम आते हैं क्योंकि इन्हें तुरंत बेच पाना मुश्किल होता है।

रियल एस्टेट में भी आप अलग-अलग क्षेत्रों या आवासीय या वाणिज्यिक जैसे विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में पूंजी को विभाजित कर सकते हैं। रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT), और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (InvITs) रियल एस्टेट की नई कैटेगरी हैं, जो निवेशकों को लुभा रही हैं।

5)म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड के जरिए निवेशक एक फंड में निवेश करते हैं। इस फंड को पेशेवर फंड मैनेजर नियंत्रित करता है। म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए इक्विटी में निवेश करने का सबसे आसान तरीका है।

जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेशक इक्विटी फंड या डेट (debt) फंड में निवेश कर सकता है। हाइब्रिड फंड के जरिए वह दोनों पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? फंड का फायदा एकसाथ उठा सकते हैं। इसके अलावा निवेशक सेक्टोरल फंड, मल्टी-कैप फंड या कमोडिटी फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

पारंपरिक म्यूचुअल फंड के अलावा निवेशक नए उभरते इक्विटी ट्रेडेड फंड (ETF) और इंडेक्स फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड के कुछ नुकसान भी हैं। इसमें वास्तविक होल्डिंग्स, कमीशन, उच्च निकास भार और उच्च व्यय अनुपात पर नियंत्रण की कमी शामिल है। निवेशकों को निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड से जुड़ी लागतों के बारे में जान लेना चाहिए।

6) बिटकॉइन, एथेरियम (Ethereum) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक ट्रेंडिंग एसेट वर्ग है जिसमें निवेशक निवेश कर सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए कई एक्सचेंज और प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं।

बता दें कि एसेट कैटेगरी जोखिम भरी और नियामक अनिश्चितता से प्रभावित होने वाली होती हैं। यह ज्यादातर लोगों के लिए जटिल भी होती हैं।

निवेशक को इस अस्थिर और फायदेमंद एसेट वर्ग में अपने जोखिम को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करना चाहिए। आपको उतना ही निवेश करना चाहिए, जिसे खोने के लिए आप तैयार हों, इसे ही रिस्क कैपेसिटी भी कहते हैं।

पोर्टफोलियो में विविधता के क्या लाभ हैं?
एक अच्छा पोर्टफोलियो वही है जिसमें जोखिम विभिन्न एसेट्स वर्ग में बंटा हुआ हो। यानी एक ही कैटेगरी पर सारा निवेश करने से आपका जोखिम बढ़ जाता है। बाजार में गिरावट के दौरान विविधता भरा पोर्टफोलियो आपको ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचने देता।

यह मन की शांति देता है क्योंकि एक ही जगह आपका पूरा पैसा लगा नहीं होता है, तो जोखिम कम हो जाता है। विभिन्न वर्गों में निवेश करने से निवेशकों को विभिन्न क्षेत्रों में विकास के अवसर भी प्राप्त होते हैं।

पोर्टफोलियो में विविधता के क्या नुकसान हैं?
सबसे पहले एक निवेशक को यह समझने की जरूरत है कि निवेश के अच्छे अवसर बहुत कम होते हैं। पोर्टफोलियो में जितनी विविधता होती है, उनमें गलती की गुंजाइश भी उतनी ही बढ़ जाती है। विविधता लाने की कोशिश करते समय गलत निवेश को चुनने का जोखिम होता है। नतीजतन आपके पोर्टफोलियो की क्वॉलिटी कम हो जाती है और आपको कम या कोई रिटर्न नहीं मिलता है।

हर एसेट्स वर्ग का काम करने का अपना तरीका होता है। बहुत ज्यादा विविधता लाने के चक्कर में हो सकता है कि आप बिना किसी एसेट वर्ग को समझे उसमें निवेश कर दें। इससे जटिलताओं को बढ़ावा मिलता ही है इसके साथ ही यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

विविधता कर में भी बढ़ोतरी कर सकती है क्योंकि हर वर्ग में कर लागू करने तरीका अलग होता है। टैक्स प्लानिंग एक बहुत ही जटिल विषय है और बहुत कम निवेशकों को इसकी जानकारी होती है। इसलिए विविधता लाने के चक्कर में कई बार निवेशक को बहुत अधिक कर देना पड़ता है तो कई बार उसे टैक्स प्लानर की बहुत अधिक फीस भी देनी पड़ सकती है।

बेहतर होगा कि आप कुछ ही एसेट्स क्लास में निवेश करें। निवेशकों को यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि पिछला पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है? प्रदर्शन भविष्य के बेहतर प्रदर्शन की गारंटी नहीं देता है। इसलिए आप उन्हीं एसेट्स में निवेश करें, जिनकी आपको जानकारी है। या फिर आप किसी भरोसेमंद सलाहकार के साथ जुड़कर निवेश कर सकते हैं।

तेजी मंदी 15 शेयर्स का एक विविध पोर्टफोलियो देता है। शेयर बाजार में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए यह पोर्टफोलियो निवेश की शुरुआत करने का बहुत अच्छा जरिया है। इससे निवेशक शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के स्टॉक्स का लाभ उठा सकते हैं।

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