रणनीति विदेशी मुद्रा

आर्थिक संकट से निपटने की कारगर रणनीति हो
सोमवार को शेयर बाजारों में कोहराम मचा। गिरावट इतनी जबर्दस्त थी कि देखते-देखते निवेशकों के करीब सात लाख करोड़ रुपए उड़न-छू हो गए। बॉम्बे शेयर बाजार की कुल कीमत सौ खरब रुपए से नीचे आ गई। मची घबराहट के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने भरोसा बंधाने की कोशिश की। जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुरुस्त है। गिरावट वैश्विक उथल-पुथल का परिणाम है। राजन ने कहा कि देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।
यानी रिजर्व बैंक अपने कोष का डॉलर बेचकर रुपए को संभालेगा। पिछले दस दिन में डॉलर की तुलना में रुपए के भाव में तकरीबन तीन रुपए की गिरावट आई है। नि:संदेह रुपए का मूल्य गिरना अधिक फिक्र की बात है, क्योंकि इसका अर्थव्यवस्था पर कहीं ज्यादा मारक असर होगा। अगस्त में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 2,000 करोड़ से अधिक रुपए निकाल लिए हैं। रुपए की कीमत और शेयर सूचकांक- दोनों इससे प्रभावित हुए। वैसे इन सारे रुझानों की जड़ में है चीन द्वारा अपनी मुद्रा युवान का अवमूल्यन। आर्थिक वृद्धि दर सुस्त होने से चीन में पहले से उदासी छायी थी। अवमूल्यन ने वहां की अर्थव्यवस्था में बढ़ती समस्याओं को अधिक साफ कर दिया।
अब दुनिया का ध्यान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में चीन की बहुत ऊंची कर्ज दर पर भी है। यह संकट की निशानी है। 11 खरब डॉलर वार्षिक जीडीपी के साथ चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वह हिचकोले खाती है, तो उसके साथ विश्व अर्थव्यवस्था का डगमगाना लाजिमी है। चीन में कारखाना उत्पादन गिरने के आंकड़े आए, तो बीते शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में 2011 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। उधर ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास के इस्तीफे ने यूरो जोन में नई चिंताएं पैदा कर दी हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव छह साल के सबसे निचले स्तर पर है। इससे आर्थिक मंदी का माहौल और भी गहराया है।
तो फिलहाल आशा की किरणें कम ही नजर आ रही हैं। 2007-08 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- अमेरिका- में मंदी आई तब तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसके असर से भारत को काफी हद तक बचा लिया था। अब दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के संकट से मंदी की चिंताएं फिर गहराई हैं। आशा है, वर्तमान सरकार इसके मद्देनजर कारगर तैयारी करेगी, ताकि आसन्न संकट को नियंत्रित रखा जा सके।
अमेरिका को टक्कर: विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर मुक्त करने के रूस के फैसले से खुश है चीन
विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों के असर से बचने के लिए रूस ने ये बड़ा कदम उठाया है। डॉलर में कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बहुत बुरा असर पड़ता है। रूस के वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस समय दुनिया के अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति संबंधी रूझानों को देखते हुए उसने डॉलर से खुद को मुक्त करने का फैसला किया.
रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर को हटाने का लक्ष्य पूरा कर लेने से चीन खुश है। उसका मनोबल इस बात से और ज्यादा बढ़ा है कि रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अब चीनी मुद्रा युवान को अधिक जगह देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि बीते हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया। इसके पहले तक उसके भंडार में रणनीति विदेशी मुद्रा 35 फीसदी हिस्सा डॉलर का था। दूसरी तरफ रूस ने युवान का हिस्सा बढ़ा कर 30.4 फीसदी करने का फैसला किया। यूरो के बाद सबसे ज्यादा अहमियत रूस ने युवान को ही दी है। यूरो का हिस्सा 39.7 फीसदी रखने का फैसला किया गया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि रूस के इस कदम से चीन के आर्थिक विकास में उसके भरोसे की झलक मिली है। साथ ही इससे यह जाहिर हुआ है कि रूस चीन के साथ अपने सहयोग को भविष्य में और बढ़ाने का पक्का इरादा रखता है। वांग ने कहा कि रूस और चीन के संबंध दोनों के लिए फायदेमंद हैं और चीन भी इसे बढ़ावा देता रहेगा।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन दुनिया के कारोबार में अपनी मुद्रा की भूमिका बढ़ाने की रणनीति पर चल रहा है। उसे भरोसा है कि साल 2050 तक युवान दुनिया भर में ‘पसंदीदा मुद्रा’ (करेंसी ऑफ चॉइस) बन जाएगी। ये लक्ष्य इसी साल मई के मध्य में हुई एक बैठक में तय किया गया था। उस बैठक में चीन ने अपने घरेलू बाजार के विकास का फैसला किया था, ताकि भविष्य में उसे निर्यात आधारित विकास रणनीति पर कम निर्भर रहना पड़े। चीन की सोच यह है कि वह अपने बड़े बाजार के कारण दुनियाभर के कारोबारियों को चीन की शर्तों पर व्यापार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
इसी रणनीति के हिस्से के तौर पर चीन युवान को वैश्विक मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल उसने डिजिटल युवान का प्रयोग इसी मकसद से शुरू किया था। उसने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कारोबार की व्यवस्था स्विफ्ट के साथ एक साझा उद्यम भी शुरू किया है। स्विफ्ट अमेरिका से संचालित व्यवस्था है।
पिछले हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं की भूमिका के बारे में नई योजना का एलान किया था। उसके उसके मुताबिक उसके भंडार में अब यूरो और युवान के अलावा ब्रिटिश पाउंड का हिस्सा पांच फीसदी, जापानी येन का 4.7 फीसदी और स्वर्ण का 20.2 फीसदी होगा। गौरतलब है कि रूस ऐसा पहला बड़ा देश है, जिसने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया है।
विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों के असर से बचने के लिए रूस ने ये बड़ा कदम उठाया है। डॉलर में कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बहुत बुरा असर पड़ता है। रूस के वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस समय दुनिया के अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति संबंधी रूझानों को देखते हुए उसने डॉलर से खुद को मुक्त करने का फैसला किया। उसने यूरो और युवान की भूमिका इसलिए बढ़ाई है, क्योंकि यूरोपियन यूनियन और चीन रूस के सबसे बड़े व्यापार भागीदार बन कर उभरे हैं।
विस्तार
रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर को हटाने का लक्ष्य पूरा कर लेने से चीन खुश है। उसका मनोबल इस बात से और ज्यादा बढ़ा है कि रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अब चीनी मुद्रा युवान को अधिक जगह देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि बीते हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया। इसके पहले तक उसके भंडार में 35 फीसदी हिस्सा डॉलर का था। दूसरी तरफ रूस ने युवान का हिस्सा बढ़ा कर 30.4 फीसदी करने का फैसला किया। यूरो के बाद सबसे ज्यादा अहमियत रूस ने युवान को ही दी है। यूरो का हिस्सा 39.7 फीसदी रखने का फैसला किया गया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि रूस के इस कदम से चीन के आर्थिक विकास में उसके भरोसे की झलक मिली है। साथ ही इससे यह जाहिर हुआ है कि रूस चीन के साथ अपने सहयोग को भविष्य में और बढ़ाने का पक्का इरादा रखता है। वांग ने कहा कि रूस और चीन के संबंध दोनों के लिए फायदेमंद हैं और चीन भी इसे बढ़ावा देता रहेगा।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन दुनिया के कारोबार में अपनी मुद्रा की भूमिका बढ़ाने की रणनीति पर चल रहा है। उसे भरोसा है कि साल 2050 तक युवान दुनिया भर में ‘पसंदीदा मुद्रा’ (करेंसी ऑफ चॉइस) बन जाएगी। ये लक्ष्य इसी साल मई के मध्य में हुई एक बैठक में तय किया गया था। उस बैठक में चीन ने अपने घरेलू बाजार के विकास का फैसला किया था, ताकि भविष्य में उसे निर्यात आधारित विकास रणनीति पर कम निर्भर रहना पड़े। चीन की रणनीति विदेशी मुद्रा सोच यह है कि वह अपने बड़े बाजार के कारण दुनियाभर के कारोबारियों को चीन की शर्तों पर व्यापार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
इसी रणनीति के हिस्से के तौर पर चीन युवान को वैश्विक मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल उसने डिजिटल युवान का प्रयोग इसी मकसद से शुरू किया था। उसने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कारोबार की व्यवस्था स्विफ्ट के साथ एक साझा उद्यम भी शुरू किया है। स्विफ्ट अमेरिका से संचालित व्यवस्था है।
पिछले हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं की भूमिका के बारे में नई योजना का एलान किया था। उसके उसके मुताबिक उसके भंडार में अब यूरो और युवान के अलावा ब्रिटिश पाउंड का हिस्सा पांच फीसदी, जापानी येन का 4.7 फीसदी और स्वर्ण का 20.2 फीसदी होगा। गौरतलब है कि रूस ऐसा पहला बड़ा देश है, जिसने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया है।
विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों के असर से बचने के लिए रूस ने ये बड़ा कदम उठाया है। डॉलर में कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बहुत बुरा असर पड़ता है। रूस के वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस समय दुनिया के अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति संबंधी रूझानों को देखते हुए उसने डॉलर से खुद को मुक्त करने का फैसला किया। उसने यूरो और युवान की भूमिका इसलिए बढ़ाई है, क्योंकि यूरोपियन यूनियन और रणनीति विदेशी मुद्रा चीन रूस के सबसे बड़े व्यापार भागीदार बन कर उभरे हैं।
रणनीति विदेशी मुद्रा
हमारा अनुसरण करो
ज्ञात हो कि 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार की इस गिरावट के साथ आंकड़ा दो साल के निचले स्तर पर आ गया है।
आर्थिक मोर्चे पर बुरी खबर आई है। दरअसल, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान 3.007 अरब डॉलर घटकर 561.046 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इससे पिछले 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार की इस गिरावट के साथ आंकड़ा दो साल के निचले स्तर पर आ गया है।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण हिस्सा रखने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट से कुल मुद्रा भंडार नीचे आया। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 2.571 अरब डॉलर घटकर 498.645 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के मुताबिक़ स्वर्ण भंडार भी 27.1 करोड़ डॉलर घटकर 39.643 अरब डॉलर पर आ गया।
रुपये की स्थिति को देखें तो शुक्रवार को रुपया 26 पैसे लुढ़ककर 79.82 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपया 79.63 पर खुला और दिन में कारोबार के दौरान 79.61 और 79.83 के दायरे में रहने के बाद अंत में यह पिछले बंद भाव के मुकाबले 26 पैसे फिसलकर 79.82 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपये का पिछला बंद भाव 79.56 प्रति डॉलर था।
रुपये में कमजोरी से गिरा विदेशी मुद्रा भंडार, एक्सचेंज रेट से 67 प्रतिशत तक आई गिरावट: RBI
रिजर्व दो अप्रैल को 606.47 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि 23 सितंबर को यह घटकर 537.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया. यह लगातार आठवां सप्ताह था, जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Sep 30, 2022 | 2:41 PM
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से विदेशी मुद्रा भंडार में हुई आई कमी की मुख्य वजह एक्सचेंज रेट में हुआ बदलाव है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी समीक्षा में कहा कि रिजर्व में आई कुल गिरावट का 67 प्रतिशत, एक्सचेंज रेट में हुए बदलाव से देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के बढ़ने से एक्सचेंज रेट में बदलाव देखने को मिला. गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में तेज गिरावट हुई है. वहीं इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट देखने को मिली है. भंडार दो अप्रैल को 606.475 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि 23 सितंबर को यह घटकर 537.5 अरब रणनीति विदेशी मुद्रा अमेरिकी डॉलर रह गया. यह लगातार आठवां सप्ताह था, जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई.
14 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा डॉलर इंडेक्स
चालू वित्त वर्ष में 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 प्रतिशत की तेजी आई है. ऐसे में दुनिया भर के करंसी मार्केट में भारी उथल-पुथल मची हुई है. दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि ज्यादातर दूसरे देशों की तुलना में भारतीय रुपये की गति व्यवस्थित रही है. उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई, जो अन्य करंसी के मुकाबले काफी बेहतर है.दास ने यह भी कहा कि एक स्थिर विनिमय दर वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता तथा बाजार के विश्वास का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि रुपया एक स्वतंत्र रूप से छोड़ी गई मुद्रा है और इसकी विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित होती है. उन्होंने कहा, ”आरबीआई ने (रुपये के लिए) कोई निश्चित विनिमय दर तय नहीं की है. वह अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है.” दास ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार की पर्याप्तता के पहलू को हमेशा ध्यान में रखा जाता है और यह मजबूत बना हुआ है. उनके अनुसार 23 सितंबर, 2022 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 537.5 अरब डॉलर था.
एक्सचेंज रेट से तय नहीं होती पॉलिसी
हालांकि गवर्नर ने कहा है कि मौद्रिक नीति के फैसले करंसी में आए के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होते. दास ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुद्रा का प्रबंधन रिजर्व बैंक के दायरे में है और केंद्रीय बैंक इसके लिए सभी उचित उपाय करेगा. उन्होने कहा कि केंद्रीय बैंक दरों पर रणनीति मुद्रास्फीति और वृद्धि से जुड़े घरेलू कारकों के आधार पर तय करता है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा प्राथमिकता मुद्रास्फीति को दी जाती है। हम वृद्धि के पहलू पर भी गौर करते हैं।दास ने यह भी कहा कि बैंकों में नकदी को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। व्यापक रूप से प्रणाली में पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक का कोष उपलब्ध है।