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सिग्नल कैसे काम करते हैं

सिग्नल कैसे काम करते हैं
प्रसारण टीवी बनाम सैटेलाइट टीवी और केबल टीवी

भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में कटोरे की जगह किताब दे रहा है यह अनोखा सिग्नल स्कूल, नगर निगम ने की शुरुआत

अहमदाबाद नगर निगम की नेक पहल- सिग्नल स्कूल

अहमदाबाद नगर निगम की नेक पहल- सिग्नल स्कूल

तेजश्री पुरंदरे

  • अहमदाबाद ,
  • 26 सितंबर 2022,
  • (Updated 26 सितंबर 2022, 8:37 AM IST)

अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की नेक पहल

जब भी आपकी गाड़ी सिग्नल पर रुकती है तब छोटे-छोटे बच्चे आपकी गाड़ी के शीशे को खटखटाकर पैसे या खाना मांगने लगते हैं. किसी को इन पर दया आती है तो किसी को गुस्सा. पर कोई भी इनके भीख मांगने की वजह को नहीं समझ नहीं पाता. इन बच्चों के लिए भीख मांगना मजबूरी है जो पैसे की कमी से ज्यादा शायद शिक्षा की कमी के कारण है.

माता-पिता दो वक्त की रोटी कमाने में इतना व्यस्त रहते हैं कि बच्चों की शिक्षा के बारे में सोच ही नहीं पाते. और ये बच्चे शिक्षा से कोसों दूर रह जाते हैं. लेकिन इन्हीं बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहा है अहमदाबाद का एक सिग्नल स्कूल.

अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की नेक पहल
सिग्नल स्कूल अहमदाबाद के उन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहा है जो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. वे बच्चे जो सड़कों पर दुर्भाग्यवश मजबूरी में भीख मांगते हैं. इन्हीं बच्चों को एक अच्छा भविष्य देने के लिए अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से सिग्नल स्कूल नाम की एक पहल की गई है.

iPhone 14: सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करेगी? भारत में क्या है इसका भविष्य ?

iphone 14 series Support Satellite Connectivity

एपल ने इस साल के अपने सबसे बड़े इवेंट में iPhone 14 सीरीज को लॉन्च कर दिया है। इस इवेंट को एपल ने ‘Far Out' नाम दिया गया था। इस इवेंट में iPhone 14 सीरीज के तहत चार नए आईफोन लॉन्च किए हैं जिनमें आईफोन 14, आईफोन 14 प्लस, आईफोन 14 प्रो और आईफोन 14 प्रो मैक्स को लॉन्च किया गया है। iPhone 14 सीरीज को ई-सिम सपोर्ट और सैटेलाइट कनेक्टिविटी के साथ पेश किया गया है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी के इमरजेंसी कॉन्टेक्ट फीचर्स में सपोर्ट के लिए एपल ने ग्लोबलस्टार से साझेदारी भी की है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से यूजर्स बिना सेल्युलर कवरेज के भी कॉल्स और मैसेज भेज सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करती है और भारत में इसका भविष्य क्या है। चलिए जानते हैं

विस्तार

एपल ने इस साल के अपने सबसे बड़े इवेंट में iPhone 14 सीरीज को लॉन्च कर दिया है। इस इवेंट को एपल ने ‘Far Out' नाम दिया गया था। इस इवेंट में iPhone 14 सीरीज के तहत चार नए आईफोन लॉन्च किए हैं जिनमें आईफोन 14, आईफोन 14 प्लस, आईफोन 14 प्रो और आईफोन 14 प्रो मैक्स को लॉन्च किया गया है। iPhone 14 सीरीज को ई-सिम सपोर्ट और सैटेलाइट कनेक्टिविटी के साथ पेश किया गया है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी के इमरजेंसी कॉन्टेक्ट फीचर्स में सपोर्ट के लिए एपल ने ग्लोबलस्टार से साझेदारी भी की है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से यूजर्स बिना सेल्युलर कवरेज के भी कॉल्स और मैसेज भेज सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करती है और भारत में इसका भविष्य क्या है। चलिए जानते हैं

सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए मोबाइल टावर नहीं होने पर भी स्मार्टफोन में सीधे सैटेलाइट के जरिए नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलती है। इस प्रक्रिया में स्मार्टफोन लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट से कम्युनिकेशन करता है और इमरजेंसी सर्विस प्रोवाइडर्स तक फाइंड माई (Find My) एप के इस्तेमाल से अपनी लोकेशन शेयर कर सकता है या सीधे कॉल-मैसेज से भी कॉन्टेक्ट कर सकता है। हालांकि, सैटेलाइट से कम्युनिकेशन करने और सिग्नल मिलने में एक से दो मिनट तक का समय लग सकता है। सैटेलाइट नेटवर्क उस समय बहुत उपयोगी हो जाता है जब दूर-दराज के क्षेत्र में मोबाइल टावर से नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलना मुश्किल होता है। इसमें यूजर्स स्मार्टफोन पर सेल्युलर नेटवर्क के बिना भी सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से कॉल और मैसेज कर सकते हैं। यानी कि फोन में नेटवर्क कनेक्टिविटी होने से यूजर्स को मोबाइल टावर से नेटवर्क की चिंता नहीं करनी पड़ती, बल्कि यूजर्स इसके बिना भी कॉल और मैसेज कर सकेंगे। बता दें कि नए आईफोन में शुरू के दो साल के लिए ही सैटेलाइट कनेक्टिविटी फ्री में उपलब्ध कराया जाएगा। दो साल के बाद एपल इसके लिए शुल्क लेना शुरू करेगी।

एपल ने की ग्लोबलस्टार से साझेदारी

एपल ने सैटेलाइट कनेक्टिविटी के इमरजेंसी कॉन्टेक्ट फीचर्स में सपोर्ट के लिए ग्लोबलस्टार से सिग्नल कैसे काम करते हैं साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत ग्लोबलस्टार और एपल के बीच में 450 मिलियन डॉलर यानी करीब 4,000 करोड़ रुपये की डील हुई है, जिसमें एपल अपने नए सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर को सपोर्ट करने के लिए ग्लोबलस्टार के एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग का यूज करेगा। बता दें कि ग्लोबलस्टार लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट की मैन्युफैक्चरिंग का काम करती है और हाल ही में ग्लोबलस्टार ने टी-मोबाइल और स्पेसएक्स के सैटेलाइट को एक्वॉयर भी किया था।

बता दें कि इससे पहले गूगल और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने भी सैटेलाइट कनेक्टिविटी को लेकर बयान जारी किया था। एलन मस्क ने कहा था कि स्पेसएक्स अपने सैटेलाइट इंटरनेट के जरिए उन इलाकों तक भी स्मार्टफोन में सिग्नल पहुंचाएगी, जहां मोबाइल टावर काम नहीं करते हैं। इसके बाद गूगल ने भी आगामी एंड्रॉयड 14 में सैटेलाइट कनेक्टिविटी का सपोर्ट देने की बात कही थी। गूगल प्लेटफॉर्म्स और इकोसिस्टम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हिरोशी लॉकहाइमर ने कहा था कि नए Android 14 ऑपरेटिंग सिस्टम में सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर का सपोर्ट दिया जाएगा। फिलहाल कंपनी सैटेलाइट के लिए डिजाइनिंग का काम कर रही है।

सेलफोन जैमर का उपयोग

सेलफोन जैमर का उपयोग आमतौर पर मोबाइल के नेटवर्क को जाम करने के लिए होता है. वैसे इससे रिमोट से निकालने वाले सिग्नल को भी रोका जा सकता है. आम व्यक्ति काफी कम इसका उपयोग करता है. ज्यादातर इसका उपयोग सुरक्षा के उद्देश्य से निम्न जगहों पर होता है.

– आपने देखा होगा की जब कहीं पर Raid डाली जाती है जैसे Income tax raid तो वहाँ पर कोई व्यक्ति किसी से संपर्क न कर पाये इसलिए सेलफोन जैमर का उपयोग किया जाता है.

– यदि कोई वीआईपी व्यक्ति कहीं जा रहा हो तो उनकी गाड़ियों पर भी सेलफोन जैमर का उपयोग किया जाता है ताकि उनके आसपास में कोई व्यक्ति Detonator की मदद से बल्स्त न कर सके.

– जिस जगह पर किसी बड़े नेता की रैली या जनसभा होती है वहाँ पर भी संदेह होने पर सेलफोन जैमर का उपयोग किया जाता है ताकि वहाँ कोई व्यक्ति कोई ऐसा काम न कर पाये जिससे वहाँ भगदड़ मच जाए.

सेलफोन जैमर की रेंज

सेलफोन जैमर की रेंज कुछ मीटर से लेकर 5 से 7 मील तक की हो सकती है. इसका साइज़ भी मोबाइल के आकार से लेकर एक बड़े सूटकेस के बराबर हो सकता है. इसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से ले सकते हैं. याद रखें जितनी ज्यादा रेंज होगी उतनी ज्यादा इसकी कीमत होगी.

अगर आप सिग्नल कैसे काम करते हैं सेलफोन जैमर को खरीदना चाहते हैं तो आप इसे Online खरीद सकते हैं. Internet पर आपको Amazon और indiamart नाम की वेबसाइट पर सेलफोन जैमर मिल जाते हैं. इसके अलावा आप इन्हें अपने नजदीकी इलेक्ट्रोनिक मार्केट में भी ढूंढ सकते हैं.

सेलफोन जैमर कैसे बनाएँ?

अगर आप घर बैठे सेलफोन जैमर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको थोड़ा बहुत Electronic चीजों का ज्ञान होना चाहिए इसके अलावा ये पता होना चाहिए की सर्किट वगैरह कैसे बनते हैं. अगर आप घर बैठे सेलफोन जैमर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए ये विडियो देखें.

सेलफोन जैमर क्या होता और कैसे काम करता है इस बात को तो आप समझ ही गए होंगे. अब अगर कभी ऐसा होता है की आपके मोबाइल के नेटवर्क किसी भीड़ वाली जगह पर या किसी नेता के आने पर चले जाये तो आप समझ सकते हैं की ये काम सेलफोन जैमर का है. वैसे आप चाहे तो आप भी इसका उपयोग कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे की इसका उपयोग सार्वजनिक रूप से न करें क्योंकि ये गैर कानूनी काम है. आप अपने घर में अपने जानने वाले लोगों को बता के इसका उपयोग कर सकते हैं. एक Experiment के तौर पर.

iPhone 14: सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करेगी? भारत में क्या है इसका भविष्य ?

iphone 14 series Support Satellite Connectivity

एपल ने इस साल के अपने सबसे बड़े इवेंट में iPhone 14 सीरीज को लॉन्च कर दिया है। इस इवेंट को एपल ने ‘Far Out' नाम दिया गया था। इस इवेंट में iPhone 14 सीरीज के तहत चार नए आईफोन लॉन्च किए सिग्नल कैसे काम करते हैं हैं जिनमें आईफोन 14, आईफोन 14 प्लस, आईफोन 14 प्रो और आईफोन 14 प्रो मैक्स को लॉन्च किया गया है। iPhone 14 सीरीज को ई-सिम सपोर्ट और सैटेलाइट कनेक्टिविटी के साथ पेश किया गया है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी के इमरजेंसी कॉन्टेक्ट फीचर्स में सपोर्ट के लिए एपल ने ग्लोबलस्टार से साझेदारी भी की है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से यूजर्स बिना सेल्युलर कवरेज के भी कॉल्स और मैसेज भेज सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करती है और भारत में इसका भविष्य क्या है। चलिए जानते हैं

विस्तार

एपल ने इस साल के अपने सबसे बड़े इवेंट में iPhone 14 सीरीज को सिग्नल कैसे काम करते हैं लॉन्च कर दिया है। इस इवेंट को एपल ने ‘Far Out' नाम दिया गया था। इस इवेंट में iPhone 14 सीरीज के तहत चार नए आईफोन लॉन्च किए हैं जिनमें आईफोन 14, आईफोन 14 प्लस, आईफोन 14 प्रो और आईफोन 14 प्रो मैक्स को लॉन्च किया गया है। iPhone 14 सीरीज को ई-सिम सपोर्ट और सैटेलाइट कनेक्टिविटी के साथ पेश किया गया है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी के इमरजेंसी कॉन्टेक्ट फीचर्स में सपोर्ट के लिए एपल ने ग्लोबलस्टार से साझेदारी भी की है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से यूजर्स बिना सेल्युलर कवरेज के भी कॉल्स और मैसेज भेज सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करती है और भारत में इसका भविष्य क्या है। चलिए जानते हैं

सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए मोबाइल टावर नहीं होने पर भी स्मार्टफोन में सीधे सैटेलाइट के जरिए नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलती है। इस प्रक्रिया में स्मार्टफोन लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट से कम्युनिकेशन करता है और इमरजेंसी सर्विस प्रोवाइडर्स तक फाइंड माई (Find My) एप के इस्तेमाल से अपनी लोकेशन शेयर कर सकता है या सीधे कॉल-मैसेज से भी कॉन्टेक्ट कर सकता है। हालांकि, सैटेलाइट से कम्युनिकेशन करने और सिग्नल मिलने में एक से दो मिनट तक का समय लग सकता है। सैटेलाइट नेटवर्क उस समय बहुत उपयोगी हो जाता है जब दूर-दराज के क्षेत्र में मोबाइल टावर से नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलना मुश्किल होता है। इसमें यूजर्स स्मार्टफोन पर सेल्युलर नेटवर्क के बिना भी सैटेलाइट कनेक्टिविटी की मदद से कॉल और मैसेज कर सकते हैं। यानी कि फोन में नेटवर्क कनेक्टिविटी होने से यूजर्स को मोबाइल टावर से नेटवर्क की चिंता नहीं करनी पड़ती, बल्कि यूजर्स इसके बिना भी कॉल और मैसेज कर सकेंगे। बता दें कि नए आईफोन में शुरू के दो साल के लिए ही सैटेलाइट कनेक्टिविटी फ्री में उपलब्ध कराया जाएगा। दो साल के बाद एपल इसके लिए शुल्क लेना शुरू करेगी।

एपल ने की ग्लोबलस्टार से साझेदारी

एपल ने सैटेलाइट कनेक्टिविटी के इमरजेंसी कॉन्टेक्ट फीचर्स में सपोर्ट के लिए ग्लोबलस्टार से साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत ग्लोबलस्टार और एपल के बीच में 450 मिलियन डॉलर यानी करीब 4,000 करोड़ रुपये की डील हुई है, जिसमें एपल अपने नए सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर को सपोर्ट करने के लिए ग्लोबलस्टार के एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग का यूज करेगा। बता दें कि ग्लोबलस्टार लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट की मैन्युफैक्चरिंग का काम करती है और हाल ही में ग्लोबलस्टार ने टी-मोबाइल और स्पेसएक्स के सैटेलाइट को एक्वॉयर भी किया था।

बता दें कि इससे पहले गूगल और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने भी सैटेलाइट कनेक्टिविटी को लेकर बयान जारी किया था। एलन मस्क ने कहा था कि स्पेसएक्स अपने सैटेलाइट इंटरनेट के जरिए उन इलाकों तक भी स्मार्टफोन में सिग्नल पहुंचाएगी, जहां मोबाइल टावर काम नहीं करते हैं। इसके बाद गूगल ने भी आगामी एंड्रॉयड 14 में सैटेलाइट कनेक्टिविटी का सपोर्ट देने की बात कही थी। गूगल प्लेटफॉर्म्स और इकोसिस्टम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हिरोशी लॉकहाइमर ने कहा था कि नए Android 14 ऑपरेटिंग सिस्टम में सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर का सपोर्ट दिया जाएगा। फिलहाल कंपनी सैटेलाइट के लिए डिजाइनिंग का काम कर रही है।

टेलीविजन प्रसारण कैसे काम करता है

जबकि लाखों लोग हर दिन टेलीविज़न देखते हैं, उनमें से बहुत से निश्चित नहीं हैं कि तकनीक कैसे काम करती है। टेलीविज़न लगभग कई दशकों से है और हालांकि इसके कुछ घटक पिछले कुछ वर्षों में बदल गए हैं, जिस तरह से टेलीविज़न प्रसारण का काम बहुत अधिक है।

प्रसारण टेलीविजन के तत्व

टेलीविजन प्रसारण प्राप्त करने के लिए कई प्रमुख भाग आवश्यक हैं। उनमें एक छवि स्रोत, एक ध्वनि स्रोत, एक ट्रांसमीटर, एक रिसीवर, एक प्रदर्शन डिवाइस और एक ध्वनि उपकरण शामिल हैं।

1। छवि स्रोत
छवि स्रोत को कार्यक्रम के रूप सिग्नल कैसे काम करते हैं में परिभाषित किया जा सकता है। यह एक फिल्म, टीवी शो, समाचार कार्यक्रम आदि हो सकता है। छवि स्रोत केवल स्रोत का वीडियो है और इसमें ध्वनि शामिल नहीं है। छवि स्रोत आमतौर पर कैमरा या फ्लाइंग स्पॉट स्कैनर पर रिकॉर्ड किया जाता है।

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