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एक विदेशी मुद्रा व्यापार खाता क्या है?

एक विदेशी मुद्रा व्यापार खाता क्या है?
1992-93 में पहली बार केंद्रीय आम बजट ने भारतीय रुपये को आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा में परिवर्तनीय बना दिया था । यह विश्व के साथ कि भारतीय अर्थव्यवस्था के तत्कालीक एकीकरण हेतु एक अनिवार्य कदम था। इसी क्रम में भुगतान संतुलन में चालू खाते के गंभीर संकट अथवा घाटे की स्थिति से उबरने के लिए भारत सरकार ने 1 मार्च, 1992 से रुपये की आंशिक विनिमयता की शुरुआत की।

सभी फेमा या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के बारे में

विदेशी देशों को बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, (FEMA) को 1999 में पारित किया। इस अधिनियम ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम को बदल दिया। (फेरा), जो सरकार की प्रो-उदारीकरण नीतियों के बाद अस्थिर हो गया था। नए अधिनियम ने एक नए प्रबंधन शासन को सक्षम किया, जो विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप था। एफईएमA ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त किया, जो जुलाई 2005 में अस्तित्व में आया। FEMA ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को विदेशी मुद्रा से संबंधित नियमों और नियमों को पारित करने में भी सक्षम बनाया। भारत की विदेश व्यापार नीति के साथ।

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विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त बरकरार, लगातार दूसरी बार 500 अरब डॉलर के पार

हफ्ते में 5.942 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2020,
  • (अपडेटेड 20 जून 2020, 5:36 PM IST)
  • इस हफ्ते में 5.942 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की एक विदेशी मुद्रा व्यापार खाता क्या है? गई है
  • कुल विदेशी मुद्रा भंडार 507 अरब डॉलर पर पहुंच गया है

बीते 12 जून को समाप्त सप्ताह में एक एक विदेशी मुद्रा व्यापार खाता क्या है? बार फिर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने नया मुकाम हासिल किया है. दरअसल, इस हफ्ते में 5.942 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल विदेशी मुद्रा भंडार 507.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इसी तरह, सप्ताह में सोने का रिजर्व भंडार 82.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 33.173 अरब डॉलर हो गया.

भारत में मुद्रा की परिवर्तनीयता

प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरी दुनिया में स्वर्णमान (गोल्ड स्टैण्डर्ड) के मानक होते थे, जिसके तहत मुद्राओं का मूल्य सोने के रूप में एक स्थिर दर पर निश्चित किया जाता था । लेकिन 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की विफलता के बाद इस प्रणाली को बदल दिया गया। मुद्रा की परिवर्तनीयता से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है और विलोमशः भी। 1994 के बाद से भारतीय रुपया चालू खाते के लेन-देन में पूरी तरह से परिवर्तनीय बना दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरी दुनिया में स्वर्णमान (गोल्ड स्टैण्डर्ड) के मानक होते थे, जिसके तहत मुद्राओं का मूल्य सोने के रूप में एक स्थिर दर पर निश्चित किया जाता था । लेकिन 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की विफलता के बाद इस प्रणाली को बदल दिया गया। मुद्रा की परिवर्तनीयता से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है और विलोमशः भी। 1994 के बाद से भारतीय रुपया चालू खाते के लेन-देन में पूरी तरह से परिवर्तनीय बना दिया गया।

एक विदेशी मुद्रा व्यापार खाता क्या है?

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भारत का व्यापार घाटा दो गुने से भी ज्यादा, जानिए इसका क्या बुरा असर होता है?

By: ABP Live | Updated at : 15 Sep 2022 01:18 PM (IST)

अगस्त महीने में बढ़ा एक विदेशी मुद्रा व्यापार खाता क्या है? है व्यापार घाटा

केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने यानी अगस्त 2022 में देश का व्यापार घाटा दोगुने से भी ज्यादा रहा है. इसका मतलब है कि अगस्त महीने में भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है. अगस्त, 2021 में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर था. इस साल अगस्त में आयात 37.28 प्रतिशत बढ़कर 61.9 अरब डॉलर रहा.

व्यापार घाटा का मतलब है जब कोई देश अपनी जरूरत की सामान अन्य देशों से खरीद तो ज्यादा रहा हो लेकिन ऐसा कुछ बना नहीं रहा जिसे अन्य देश खरीदना चाह रहे हों. आसान भाषा में समझे तो भारत पिछले महीने यानी अगस्त में आयात ज़्यादा कर रहा है और निर्यात कम. जिसका मतलब है कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार भरने की तुलना में ख़ाली ज़्यादा हो रहा है और यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है.

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