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मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका

मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका

यदि कभी ऐसी स्थिति आ जाए तब समझ लें कि आपका काम धंधा किसी की नजर अथवा जादू-टोने का शिकार हो गया है। इस अवस्था में तो आप सामान्य पूजा-पाठ के साथ ही दोनों में से किसी एक मंत्र का जप और दो तीन टोटकों का प्रयोग करें। सामान्य रूप से भी इनमें से एकाध टोटका दुकान अथवा कार्यालय में लगा लें, बुरी मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका नजर से आपका व्यवहार बचा रहेगा। इसी प्रकार कोई भी नया व्यापार या उद्योग धंधा प्रारंभ करते समय भी इन टोटकों का प्रयोग अवश्य करें, जिससे भविष्य में कोई बाधा न आए।

क्षेत्रीय व्यापार संधियां और मुक्त व्यापार

भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग संधि (सीईसीए) में आ रहा धीमापन देश की मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नीति में आ रही कमजोरी का एक और संकेत है। एफटीए वार्ता में यह धीमापन आंशिक रूप से इसलिए आ रहा है क्योंकि भारत को दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के समूह आसियान से दबाव का सामना करना पड़ रहा है। यह दबाव क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) को निपटाने से संबंधित है। आरसीईपी के देश पिछले छह साल से इस वार्ता में उलझे हुए हैं। यह उलझन काफी हद तक भारत की ओर से सीमित और अलग-अलग टैरिफ उदारीकरण से ताल्लुक रखती है। हाल ही में वस्तु एवं सेवा कारोबार को उदार करने के लिए ऐसी ही एक वार्ता पर जोर दिया गया। अमेरिका-चीन व्यापार युद्घ के माहौल को देखते हुए आसियान के सदस्य आरईसीपी की बातचीत को समाप्त करने के अपने तय लक्ष्य के प्रति गंभीर हैं। वे नवंबर 2018 की आसियान शिखर बैठक में इस पर हस्ताक्षर चाहते हैं। मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका काफी संभावना है कि अगर भारत पहले जैसे हालात बरकरार रखता है तो अन्य सदस्य देश बिना भारत के समझौते पर आगे बढ़ जाएंगे। देश के नीति निर्माता इस संभावना को लेकर सहज हैं लेकिन देश की एफटीए नीति की समीक्षा की आवश्यकता है ताकि हम इस भागीदारी को लेकर सही रुख अपना सकें।

पहली बात, एफटीए को बहुपक्षीय या विश्व व्यापार संगठन की भागीदारी के बरअक्स अनैतिक नहीं माना जाना चाहिए। एफटीए एकदम वैध व्यापारिक तरीका है। इसे जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स ऐंड ट्रेड (गैट) के अनुच्छेद 24 के तहत मंजूरी प्राप्त है। इनकी प्रकृति प्राथमिकता वाली होती है और ये अधिकाधिक देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने का काम करते हैं। ये डब्ल्यूटीओ के मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के लक्ष्य के अनुरूप ही है। कई विकसित और विकासशील देशों ने बहुपक्षीय व्यापार उदारीकरण के साथ एफटीए को अपना कर लाभ कमाया। सन 2000 के दशक में एफटीए की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। दोहा विकास एजेंडे के तहत डब्ल्यूटीओ मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका की प्रक्रिया धीमी पडऩे के बाद इसमें और प्रगति हुई। कई देशों को यह द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार का आसान जरिया लगा। सन 2000 से 2017 के बीच क्षेत्रीय व्यापार संधियों की संख्या 79 से बढ़कर 287 हो गई। इतना ही नहीं हर वर्ष वस्तुओं ने सेवा क्षेत्र को पीछे छोड़ा। पूर्वी एशिया जो विश्व व्यापार के तीन ध्रुवों में से एक है (दो अन्य हैं यूरोप और उत्तरी अमेरिका), वहां 83 क्षेत्रीय समझौते प्रवर्तन में हैं। यूरोप 97 समझौतों के साथ शीर्ष पर है।

दूसरा, मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य में अमेरिका और चीन की कारोबारी जंग छाई हुई है। इस दौरान डब्ल्यूटीओ के तरजीही मुल्क के सिद्घांत की अनदेखी हुई है और इस बात ने बहुपक्षीय व्यवस्था को कमजोर किया है। अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ की विवाद निस्तारण अपीलीय संस्था को अवरुद्घ किया है। इससे भी बहुपक्षीय व्यवस्था को ठेस पहुंची है। प्रासंगिकता बनाए रखने के क्रम में डब्ल्यूटीओ अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों के दबाव में ई-कॉमर्स आदि को लेकर नए नियम बना सकता है। वह राज्य आपूर्ति या सब्सिडी कार्यक्रम में पारदर्शिता और सीमा को लेकर नियम प्रस्तुत कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो भविष्य में बहुपक्षीय व्यवस्था में भारत की भागीदारी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। भारत पहले ही निर्यात सब्सिडी कार्यक्रम को लेकर अमेरिका द्वारा उत्पन्न विवाद से जूझ रहा है।

तीसरा, आरसीईपी को एक व्यापक समझौते के रूप में तैयार करने का विचार था जहां वस्तुओं और सेवाओं को लेकर एक साथ बातचीत हो सके। परंतु फिलहाल भारत आसियान के साथ एफटीए के कारण अनावश्यक प्रभाव में आ रहा है। भारत-आसियान सेवा एफटीए पर वस्तु एफटीए के चार साल बाद हस्ताक्षर किए गए। अभी भी इसे सभी सदस्य देशों की मंजूरी का इंतजार है। वस्तु क्षेत्र के एफटीए ने द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित नहीं किया है और व्यापार संतुलन आसियान के पक्ष में है। यह भी सच है कि कुछ आसियान सदस्यों के साथ भारत के व्यापार समझौते का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रीय देशों के समक्ष प्रदर्शन से कुछ खास अलग नहीं रहा है। भारत-कोरिया व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) फिलहाल समीक्षाधीन है। भारतीय कारोबारी सख्त नियमों के चलते सीईपीए का पूरा लाभ उठा पाने में नाकामयाब रहे हैं। कोरिया के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा है लेकिन भारत से कोरिया को होने वाला निर्यात स्थिर रहा है।

समीक्षा की प्रक्रिया में जहां नियम आसान किए जाने हैं वहीं सीईपीए का विस्तार सेवा क्षेत्र में करने की बात भी इसमें शामिल है। ये वे सेवा क्षेत्र हैं जो भारत के अनुकूल हैं। उदाहरण के लिए स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र। चुनिंदा उत्पादों के लिए कोरियाई बाजार की पहुंच सुधारना भी इसके लक्ष्यों में शामिल है। 2011 में सीईपीए पर हस्ताक्षर के बाद से ही भारत-जापान द्विपक्षीय व्यापार में ठहराव रहा या गिरावट आई। मलेशिया के साथ व्यापार भी यही कहानी कहता है। जापान भारत में सबसे बड़ा निवेशकों में से एक है लेकिन आवक का आकार छोटा है और सीईपीए के बाद भी निवेश में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। सेवा क्षेत्र में व्यापार काफी छोटा है। भारत-सिंगापुर सीईसीए पर 2005 में हस्ताक्षर हुए थे। यहां शुरुआती वर्षों में वस्तु व्यापार में प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन सेवा व्यापार वृद्घि 2015 तक सिंगापुर के अनुकूल रही। निवेश वृद्घि इसलिए दिखी क्योंकि तीसरे मुल्कों ने सिंगापुर के जरिये निवेश किया।

भारत के लिए आरसीईपी वार्ता में मुद्दा वस्तु और सेवाओं के क्षेत्र में उदारीकरण को समान रूप से उठाना नहीं होना चाहिए बल्कि यह देखना होगा कि क्या यह भागीदारी भारत को अहम अवसर मुहैया कराती है या नहीं? चीन से आयात वृद्घि की आशंका को आरसीईपी में घबराहट का मुद्दा नहीं बनने देना चाहिए। प्रतिस्पर्धा को लेकर खुलापन घरेलू उत्पादकों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्घ बढ़ेगा और कंपनियां चीन से अपनी फैक्टरियां हटा कर अन्य देशों में ले जाएंगी, भारत को विकल्प बनने का अवसर मिलेगा। ऐसा तभी होगा जबकि भारत अन्य क्षेत्रीय सहयोग संधियों में शामिल रहे। आरसीईपी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसे अवसर मुहैया कराती है। सरकार को आरसीईपी को लेकर अधिक समझदारी भरा रुख अपनाना चाहिए। वस्तु व्यापार को उदार बनाने की प्रक्रिया में क्षेत्रवार सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए ताकि घरेलू उत्पादकों के हितों का बचाव किया जा सके। जहां तक सेवा क्षेत्र के उदारीकरण की बात है, मौजूदा सीईसीए समीक्षा प्रक्रिया आदि की मदद से जरूरी मुद्दों पर बात हो सकती है।

(लेखिका जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं। लेख में प्रस्तुत विचार निजी हैं।)

जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? इसे Olymp Trade पर कैसे उपयोग करें

जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? इसे Olymp Trade पर कैसे उपयोग करें

व्यापारियों को उनके सक्रिय व्यापार और वफादारी के लिए एक इनाम के रूप में जोखिम मुक्त व्यापार मिलता है। इस तरह के व्यापार उपयोगकर्ताओं को वित्तीय बाजारों के बारे में कुछ भी नहीं समझने पर भी ध्यान केंद्रित करने, बचाने और पैसा बनाने में मदद करते हैं।

तो जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? क्या यह एक बोनस है, एक धोखा कोड है या सिर्फ एक ट्रेडर का रिजर्व फंड है? इस लेख में हम आपको Olymp Trade के उपयोगकर्ताओं के लिए सबसे दिलचस्प विशेषाधिकार के बारे में विस्तार से बताएंगे।


जोखिम मुक्त व्यापार क्या है?

किसी भी फंड को जोखिम में डाले बिना एक निश्चित राशि के साथ व्यापार करने का यह एक व्यापारी का अधिकार है।

यदि पूर्वानुमान सही है तो उपयोगकर्ता को उनके द्वारा अर्जित लाभ प्राप्त होता है। लेकिन अगर यह गलत है, तो जोखिम मुक्त व्यापार की राशि व्यापारी के खाते में वापस कर दी जाती है।

जोखिम-मुक्त व्यापार कितना फंड सुरक्षित कर सकता है?

प्रत्येक जोखिम-मुक्त-व्यापार का अपना मौद्रिक मूल्य होता है। यह वह राशि है जो उपयोगकर्ता को प्राप्त होती है यदि उनका पूर्वानुमान गलत है।

मान लें कि एक ट्रेडर $50 के जोखिम-मुक्त व्यापार को सक्रिय करता है और $100 की स्थिति खोलता है। असफल होने की स्थिति में, उन्हें $50 वापस मिलेंगे। और अगर पूर्वानुमान सही है, तो उन्हें $100 के निवेश पर प्रतिफल मिलेगा।


जोखिम मुक्त व्यापार पाने का पहला तरीका।

जोखिम मुक्त व्यापार एक विशेषज्ञ स्थिति के विशेषाधिकारों में से एक है। एक उपयोगकर्ता को उनकी पहली जमा राशि का 5% ($2000/€2000/R$5000 से शुरू) जोखिम-मुक्त ट्रेडों के रूप में उनके खाते में क्रेडिट किया जाता है। उपयोग में आसानी के लिए कुल राशि को कई जोखिम-मुक्त ट्रेडों में विभाजित किया गया है।

जोखिम मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका

उन्हें प्राप्त करने का दूसरा तरीका प्रोमो कोड का उपयोग करना है। हमारे सोशल मीडिया और ब्लॉग पर आयोजित होने वाले हमारे कॉन्टेस्ट, टूर्नामेंट और अन्य अभियानों पर नज़र रखें। आप सवालों के जवाब देने और कार्यों को पूरा करने के लिए जोखिम मुक्त व्यापार प्राप्त करने के लिए अपना प्रोमो कोड प्राप्त कर सकते हैं।

व्यापार को आनंद के साथ मिलाने का एक तरीका भी है - हमारे वीआईपी विभाग द्वारा आयोजित मुफ्त वेबिनार को देखने से न चूकें। इस तरह के आयोजनों की अवधि के दौरान, वेबिनार में उपस्थित लोगों को जोखिम-मुक्त ट्रेडों में $ 100,000 से अधिक प्राप्त हुए।

जोखिम मुक्त व्यापार पाने का तीसरा तरीका

जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? इसे Olymp Trade पर कैसे उपयोग करें

सक्रिय रूप से ट्रेड करें, अनुभव अंक प्राप्त करें और ट्रेडर्स वे पर आगे बढ़ें। आपको अलग-अलग राशियाँ जोखिम-मुक्त ट्रेडों के साथ-साथ अन्य पुरस्कारों के रूप में प्राप्त होंगी जो स्तरों के बीच आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं।


जोखिम मुक्त व्यापार कितनी जल्दी समाप्त होता है?

व्यापारी उस समय की अवधि के बारे में बहुत चिंतित हैं जब वे जोखिम मुक्त व्यापार का उपयोग कर सकते हैं। क्या यह समाप्त हो सकता है? यहां उनके लिए अच्छी खबर है: ऐसे ट्रेडों की समय सीमा समाप्त नहीं होती है। आप जब चाहें अपना मौका ले सकते मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका हैं।

ओलम्पिक व्यापार पर जोखिम मुक्त व्यापार का उपयोग कैसे करें?

चरण 1. शील्ड आइकन पर क्लिक करें। फिर "सक्रिय करें" का चयन करें, जिस व्यापार राशि की आपको आवश्यकता है उसे चुनकर। आप प्लेटफ़ॉर्म के मोबाइल संस्करण का उपयोग करके भी ऐसा ही कर सकते हैं।

चरण 2. यदि सब कुछ ठीक है, तो ट्रेड की दिशा चुनने के लिए उपयोग किए जाने वाले बटन पर शील्ड आइकन दिखाई देंगे, और आपको ट्रेड राशि इनपुट फ़ील्ड में जोखिम-मुक्त ट्रेडों का मूल्य दिखाई देगा।

चरण 3. एक व्यापार करें। कृपया ध्यान दें कि आप केवल पोजीशन खोलने से पहले जोखिम मुक्त व्यापार को निष्क्रिय कर सकते हैं।

ओलंपिक व्यापार पर जोखिम मुक्त व्यापार का उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका

अनुभवी व्यापारियों का कहना है कि जोखिम मुक्त व्यापार आपका आरक्षित कोष है, जिसका उपयोग आपको केवल असाधारण मामलों में ही करना चाहिए।

हालांकि, इन ट्रेडों का बुद्धिमानी से उपयोग करने के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक उन्हें नुकसान क्षतिपूर्ति प्रणाली के एक और "कदम" के रूप में सक्रिय कर रहा है।

5 दिन करें ये काम, व्यापार में होगा उम्मीद से भी अधिक लाभ

Astro tips for business: जब कोई व्यक्ति बीमार होता है, तब वह कितनी भी अच्छी खुराक खाए, वह उसको लगती ही नहीं। ठीक यही स्थिति मकान, दुकान, फैक्टरी, आफिस अथवा अन्य किसी भी व्यवसाय की है। जब कोई आपकी दुकान अथवा व्यवसाय को नजर लगा देता है अथवा बांध देता है, तब चलता हुआ काम भी अचानक ही रुक जाता है।

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यदि कभी ऐसी स्थिति आ जाए तब समझ लें कि आपका काम धंधा किसी की नजर अथवा जादू-टोने का शिकार हो गया है। इस अवस्था में तो आप सामान्य पूजा-पाठ के साथ ही दोनों में से किसी एक मंत्र का जप और दो तीन टोटकों का प्रयोग करें। सामान्य रूप से भी इनमें से एकाध टोटका दुकान अथवा कार्यालय में लगा लें, बुरी नजर से आपका व्यवहार बचा रहेगा। इसी प्रकार कोई भी नया व्यापार या उद्योग धंधा प्रारंभ करते समय भी इन टोटकों का प्रयोग अवश्य करें, जिससे भविष्य में कोई बाधा न आए।

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प्रति सप्ताह किए जाने वाले कार्य
प्रत्येक शुक्रवार को निर्धनों में चना एवं गुड़ बांट दिया करें।

शुक्रवार के दिन भुने हुए चने लें और गुड़ में मिलाएं। उनमें बच्चों की खट्टी-मीठी गोलियां भी मिला दें और इस सामग्री को आठ वर्ष तक के बच्चों में बांट दें। रोजगार में वृद्धि होगी।

बुधवार के दिन लड्डू खाएं और जो व्यक्ति रोजगार चलाता हो उसके ऊपर से सात बार लड्डू उतारकर रख दें। दूसरे दिन परिवार का कोई व्यक्ति सूरज उगने से पहले जब तारे दिखाई दे रहे हों उठे और उन लड्डुओं को किसी भी सफेद गाय को खिला दें और मुड़कर न देखें। रोजगार में वृद्धि होगी।

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व्यापार बंध दूर करने की साधना
सामग्री : मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका गुलाल, गोरोचन, छारछबीला और कपूर काचरी।
माला : कोई भी।
समय : दिन या रात्रि का कोई भी समय।
आसन : कोई भी।
दिशा : कोई भी।
जप संख्या : नित्य इक्कीस बार।
अवधि : पांच दिन।
मंत्र :ॐ दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध, तंत्र बंध, निग्रहनी, सर्व शत्रु संहारिणी कार्य सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा।

सामग्री की चारों चीजों को बराबर मात्रा में लेकर उन्हें पीस कर मिलाकर मंत्र की इक्कीस बार उच्चारण करते हुए, यह मिला-जुला पाऊडर दुकान के सामने बिखेर देना चाहिए। इस प्रकार पांच दिन प्रयोग करने से व्यापार-बंध दूर हो जाता है।

WTO के मौलिक सिद्धांत (Fundamental Principles)

WTO के बारे में जानना हमारे लिए काफी जरूरी है, क्योंकि जिस प्रकार के नियम और समझौते इसके अंतर्गत लिए जाते हैं उसका असर सीधे हमारे देश, उसके लोग, उसकी अर्थव्यवस्था और हमारी जिंदगी के ऊपर पड़ता है। जो हम खाते हैं, पहनते हैं और खरीदते-बेचते हैं- यह सब कुछ इससे जुड़ा हुआ है।

Table of Contents

(1) “सबसे पसंदीदा राष्ट्र” व्यवहार Most Favoured Nation (MFN) treatment> :

WTO के सदस्य देश अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार के साथ कोई भेदभाव नहीं कर सकेंगे। सभी को बराबरी का दर्जा दिया जाएगा और सबके साथ ‘सबसे पसंदीदा देश के रूप में व्यवहार किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई देश किसी दूसरे देश को कोई विशेष छुट देता है (जैसे किसी उत्पाद पर आयात प्रशुल्क पर छुट) मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका तो उसे यह छुट WTO के सभी सदस्य देशों को देना होगा। इस सिद्धांत के अनुसार जब भी कोई देश किसी विशिष्ट सामान या सेवा के लिए अपना बाजार खोलेगा तो वह सभी सदस्यों पर लागू होगा। यह सिद्धांत GATS (Article 2) और TRIPS (Article 4) में भी लागू होता है।

हालांकि इस सिद्धांत में कहीं-कहीं छुट दी गई है, जैसे मुक्त व्यापार क्षेत्र, करटम यूनियन और विशेशाधिकारों वाली व्यवस्था । कुछ देश एक समूह बनाकर आपस में ‘मुक्त ब्यापार समझौता’ (Free Trade Agreement) कर सकते हैं। ऐसे में दूसरे देशों के उत्पादों या माल के साथ भेद -भाव किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसा भी हो सकता है कि सिर्फ विकासशील देशों को अपने बाजार तक विशेष प्रवेश दिया जाए: या सिर्फ उन देशों के प्रति व्यापार अवरोध खड़ा किया जाए जो अनुचित तरीके से व्यापार करते हैं।

(2) राष्ट्रीय व्यवहार (National Treatment) :

WTO का दूसरा मौलिक सिद्धांत है कि आयातित और स्थानीय उत्पादों या सेवाओं में कोई भेदभाव मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका नहीं किया जाएगा। आयातित सामान के बाजार में पहुंचने के बाद, दोनों तरह के उत्पादों को समान दर्जा दिया जाएगा। आयात करते वक्त लगाए गए सीमा-प्रशुल्कों को इस सिद्धांत का उल्लंघन नहीं माना जाएगा बावजूद इसके कि स्थानीय उत्पादों के ऊपर इस तरह का कोई शुल्क नहीं लगता है। पर एक बार उत्पाद देश में प्रवेश कर जाए तो आयातित उत्पादों के ऊपर ऐसा मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आंतरिक कर या शुल्क नहीं लगाया जाएगा जो वहां के स्थानीय उत्पादों पर नहीं लगते हों। यह सिद्धांत विदेशी और घरेलू रोवाओं और स्थानीय ट्रेडमार्क, कापीराइट और पेटेंट (जैसे एकाधिकार के कानून जो TRIPS में आते हैं) पर भी लागू होता है।

(3) विमुक्त व्यापार (Freer Trade):

WTO का तीसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत विमुक्त व्यापार है – अर्थात् व्यापार अवरोधों को धीरे-धीरे कम करते हुए व्यापार को और मुक्त बनाना। व्यापार अवरोधों से आशय है – सीमा शुल्क (या प्रशुल्क), गैर -प्रशुल्क अवरोध (Non- Tariff Barrier) के साथ-साथ आयात निशेध या कोटा जिनसे मात्राओं पर प्रतिबनध लगता हो।

(4) पूर्वकथनीयता और पारदर्शिता (Predictability and Transparency) :

यह सिद्धांत विदेशी कम्पनियों, निवेशकों और सरकारों को यह आश्वस्त करता है कि व्यापार अवरोधों को मनमाने ढंग से नहीं बढ़ाया जाएगा तथा सभी व्यापार संबंधित नीतियों और विनियमन ढांचों को विदेशियों के लिए पारदर्शी रखा जाएगा। व्यापार व्यवस्था को टिकाऊ और पारदर्शी बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सरकारें अपनी नीतियों और पद्धतियों को अपने देश में सार्वजनिक करें या कम से कम WTO को सूचित करें।

(5) निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा (Promotion of Fair Competition):

इस सिद्धांत के अनुसार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए व्यापार के अनुचित तरीकों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए जैसे निर्यात में सब्सिडी या विदेशी बाजार में उत्पादों की डम्पिंग। ‘डम्पिंग’तब होती है जब बाजार को अत्यधिक राब्सिडी वाले रास्ते उत्पादों से भर कर घरेलू बाजार से कम दाम में बेचा जाए । इस तरह विदेशी बाजार के उद्योगों को काफी नुकसान पहुंचता है। WTO का मौलिक सिद्धांत होने के बावजूद विकसित देश इसका ठीक तरह से पालन नहीं करते हैं और वे अपने देश के अत्यधिक साब्सिडी वाले उत्पादों से विकासशील देशों के बाजार को भर देते हैं और उन्हें काफी कम कीमत पर बेचते हैं।

(6) विकास और आर्थिक सुधार को प्रोत्साहन (Encouragement of Development and Economic Reform) :

बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था में इस बात को स्वीकार किया गया है कि मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका सभी देश बराबर नहीं हैं और इसलिए कम विकसित देशों के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए । उदाहरण के तौर पर, प्रशुल्क में कटौती के अनुरूप अपने आप को ढालने के लिए स्थानीय उद्योगों को ज्यादा वक्त मिलना चाहिए। इस तरह विकासशील देशों को WTO के जटिल प्रावधानों को अपनाने के लिए थोड़ा वक्त दिया जाता है। कम विकसित देशों को और भी ज्यादा वक्त दिया जाता है। उरुग्वे दौर में यह भी कहा गया है कि सक्षम देशों को कम विकसित देशों द्वारा निर्यात किए गए उत्पादों के लिए बाजार प्रवेश को सरल और सुगम बनाना चाहिए । इसके साथ-साथ इन देशों के लिए तकनीकी सहायता भी बढ़ाना चाहिए। इसीलिए कुछ विकसित देशों ने कम विकसित साझेदार देशों के उत्पादों के आयात को शुल्क-मुक्त और कोटा-मुक्त रखा है। हालांकि इस सिद्धांत का भी पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है। कम विकसित देश अभी भी अपने उत्पादों को विकसित देशों में शुल्क मुक्त, कोटा मुक्त (Duty free, quota free) करवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके साथ-साथ वर्ष 2001 में दोहा दौर के दौरान विकासशील देशों को ‘विशेष और विभिन्न व्यवहार’ देने का निर्णय लिया गया था जिसको पाने के लिए अभी तक ये देश संघर्ष कर रहे हैं।

(7) एकमात्र प्रतिज्ञा (Single Undertaking) :

इस सिद्धांत के अनुसार WTO के समझौते का प्रत्येक विषय एक बड़े और अविभाज्य पैकेज का हिस्सा है मुक्त व्यापार पाने का दूसरा तरीका जिसे अलग-अलग नहीं किया जा सकता। “जब तक सब कुछ रवीकार न किया जाए तब तक कुछ भी रवीकार नहीं होता” – अर्थात WTO के साभी समझौतों को एक साथ एक ही प्रतिज्ञा के रूप में देखा जाता है। कोई भी सदस्य देश यह चयन नहीं कर सकता की वह किसी एक विशेष समझौते के साथ ही जुड़ेगा । WTO और उसके सभी समझौते एक ही पैकेज हैं जिसे सदस्य देश या तो पूरा स्वीकार करें या फिर जरा भी नहीं।

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