ट्रेडिंग प्लेटफार्मों

सलाहकारों विदेशी मुद्रा

सलाहकारों विदेशी मुद्रा

विदेशी मुद्रा प्रबंधन की चुनौती पर निबंध | Essay on Challenge for Management of Foreign Currency in Hindi

सचमुच अब वह समय बीत गया है, जब भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिए पसीना बहाना पड़ता था । अब तो विदेशी मुद्रा भारत की ओर दौड़ लगाकर आते हुए दिखाई दे रही है । इतना ही नहीं, देश में विदेशी पूंजी के बढ़ते ढेर से तरह-तरह के खतरे उत्पन्न हो रहे हैं ।

देश में निवेश का उपयुक्त माहौल, उदार नीतियां और सरल प्रक्रियाओं के साथ-साथ रुपये की मजबूती पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक के भारी दखल की वजह से नवम्बर 2011 में देश में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 320 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच चुकी है ।

अक्टूबर 2006 से विदेशी मुद्रा भडार की स्थिति उत्साहवर्द्धक है वर्ष 1991 में हमारे सामने विदेशी मुद्रा का संकट पैदा हो गया था, जब हमारा मुद्रा भंडार सिर्फ दो सप्ताह के आयात के लायक रह गया था और पर्याप्त विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिए हमें सोना ब्रिटेन के पास बंधक रखना पड़ा था । अब विदेशी मुद्रा के भरपूर प्रवाह का प्रबंधन चुनौती बन गया है ।

देश में बढते विदेशी निवेश से सरकार असमंजस की स्थिति में है और अब उसे कुछ सूझ नहीं पा रहा है कि बढ़ते विदेशी मुद्रा प्रवाह का प्रबंधन कैसे किया जाये? भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. सुब्बाराव के मुताबिक आज सवाल यह नहीं है कि विदेशी मुद्रा कैसे आकर्षित की जाये बल्कि अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि देश में पहुंच रही विदेशी मुद्रा को उत्पादक कार्यो में कैसे लगाया जाये? उनका कहना है कि इस समय देश में कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब तीन प्रतिशत विदेशी मुद्रा प्रवाह हो रहा है, लेकिन इसमें से केवल 1.1 प्रतिशत का ही उत्पादक कार्यो में उपयोग हो पा रहा है ।

शेष विदेशी मुद्रा रिजर्व बैंक के आरक्षित भंडार में जमा हो रही है । विदेशी मुद्रा का आना शुभ है, लेकिन इस मुद्रा भंडार का बिना सदुपयोग के पड़े रहना अशुभ है । चीन के लगभग 1300 अरब डालर के भंडार की तुलना में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार खासा कम है । रूस, दक्षिण कोरिया से लेकर हांगकांग तक कई ऐसे देश हैं, जो अपने भारी भरकम मुद्रा भंडार को ठीक से संभाल रहे है ।

देश में विदेशी मुद्रा के खतरे शेयर बाजार के परिप्रेक्ष्य में और बढ़ गये हैं । शेयर बाजारों में जो हाल ही में तेजी आई है उसका कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय शेयर बाजारों में निवेश बढाना है । निवेश अक्टूबर 2007 तक 11 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया था । वर्ष 2006-07 में करीब 10 अरब डॉलर का निवेश हुआ था । अनुमान था कि आगमी वर्षों में यह निवेश 15 अरब डॉलर तक पहुच जाएगा ।

अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में की गयी कटौती ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को नये जोश से भर दिया । कम से कम भारतीय शेयर बाजारों में उनके द्वारा किये गये भारी-भरकम निवेश से तो ऐसा ही प्रतीत होता है । एफआईआई के इस जोरदार निवेश के बलबूते ही शेयर बाजारों में लम्बे समय तक लगातार तेजी देखने को मिली ।

इस निवेश के सहारे ही सलाहकारों विदेशी मुद्रा सेंसेक्स 2007 में 20000 का आंकड़ा लांघने में कामयाब रहा । शेयर बाजार जहां एक ओर उफान के नित नये रिकॉर्ड बनाकर नई-नई ऊंचाइयों की ओर बढता नजर आता है, वहीं दूसरी ओर गिरावट के भी ऐतिहासिक स्तर बनाने में इसका कोई साथी नहीं है । बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस उतार-चढाव की अहम वजह बाजार में लगा विदेशी पैसा है ।

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायणन ने आशंका जाहिर की थी कि विदेशी निवेश की आड़ में भारतीय शेयर बाजार में आतंककारियों का धन लग रहा है । देश की खुफिया एजेंसियों का कहना है कि यह धन ड्रग माफियाओं, अंडरवर्ल्ड और आतंककारियों का हो सकता है । भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि पार्टीसियेटरी नोट (पीएन) रूट की मार्फत हॉट मनी या हैज फंड निवेश कर सकते हैं ।

सरकार और सेबी भी इस धन के बढते हुए प्रभाव से चिंतित है । कुछ दिन पहले देश की खुफिया एजेंसियां ऐसे निवेश के प्रति सरकार को आगाह कर चुकी है । एफआईआई अधिकांश निवेश पीएन द्वारा करते हैं । इस पीएन में कौन पैसा लगाता है, इसकी कोई जानकारी एफआईआई नहीं रखते हैं ।

पिछले कुछ साल से देश में यह मंथन चल रहा है कि पीएन रूट की मार्फत जो ‘अंजान’ निवेश हो रहा है उसको रोका जाना चाहिए । आतकवाद से जुड़ी संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों के कुछ मामले गृह मत्रालय, खुफिया ब्यूरो और सीबीआई को प्राप्त हुए हैं । वर्ष 2006-07 के दौरान वित्तीय खुफिया इकाई ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से मिली सूचना के आधार पर लेनदेन की 646 रिपोर्टों का विश्लेषण किया ।

इनमें से 39 मामलों को संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों का मानते हुए विभिन्न एजेंसियों को विचारार्थ भेजा गया है । संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के मुद्दे में शेयर बाजारों में वित्त पोषण भी शामिल है । सेबी ने एक जांच में यह पाया था कि किस तरह भारत से चला पैसा कई देशों से होते हुए वापस भारत में विदेशी कोष के रूप में आ रहा है । इस खेल को अंजाम देने वाले खिलाड़ी इसके लिए पीएन का ही रास्ता इस्तेमाल कर रहे थे ।

जहां शेयर बाजार में एफआईआई का निवेश जोखिमपूर्ण है, वहीं उफनते हुए विदेशी मुद्रा भंडार को ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया, तो उरपसे विनिमय दर हद से ज्यादा नुकसानदायक हो सकती है और रुपये का एक हद से ज्यादा मजबूत होना निर्यात उद्योग को गंभीर हानि पहुचा सकता है । इस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के बड़े हिस्से को अपेक्षाकृत कम ब्याज आय मिल रही है ।

यदि कुछ हिस्सा ढांचागत परियोजनाओं के लिए दिया जाता है तो सरकार को अच्छी आय होगी और परियोजनाओं के लिए उचित दर पर संसाधन उपलब्ध हो जायेंगे । घरेलू ऋणदाताओं को भी इससे राहत मिलेगी और उनके संसाधन भी बढेंगे ।

'पीएम केयर्स फंड' के लिए हुई नए ट्रस्टियों और सलाहकार बोर्ड की घोषणा

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। भारत में ‘‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष’’ यानी ‘‘पीएम केयर्स फंड’’ के बारे में हर कोई जानता है कि, देश के किसी भी राज्य को जब भी कोई आर्थिक जरूरत होती है या देश में कोई आपात स्थिती आ जाने पर पीएम केयर्स फंड (PM Care Fund) से ही मदद की जाती है। वहीं, इसके लिए कई ट्रस्टियों को भी निर्धारित किया जाता है। वहीं, मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड के लिए न्यासी मंडल के साथ एक बैठक का आयोजन किया। इस दौरान नए ट्रस्टियों के नाम की घोषणा भी की गई।

नए ट्रस्टियों के नाम की घोषणा :

दरअसल, मंगलवार को पीएम केयर्स फंड के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यासी मंडल के साथ एक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक के बाद नए ट्रस्टियों के नाम की घोषणा करते हुए कोष में योगदान देने के लिए देशवासियों की तारीफ भी की। वहीं, पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट के नए ट्रस्टियों के नाम में रतन टाटा (Ratan Tata), पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस केटी थॉमस (former Supreme Court Judge Justice Katie Thomas), पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा (former Lok Sabha Deputy Speaker Karia Munda), वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman ) और गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के नाम शामिल है। यह घोषणा PM मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक के एक दिन बाद की गई है।

पीएम केयर्स फंड के सलाहकार बोर्ड :

बताते चलें, पीएम केयर्स फंड के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई न्यासी मंडल के साथ बैठक में अमित शाह और निर्मला सीतारमण के साथ नए सदस्य भी शामिल हुए थे। ट्रस्टियों के साथ ही पीएम केयर्स फंड में सलाहकार बोर्ड के नाम की भी घोषणा की गई। इन नामों में कई मशहूर शख्सियत जैसे भारत के पूर्व CAG राजीव महर्षि, इन्फोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्ष सुधा मूर्ति, टीच फॉर इंडिया के सह-संस्थापक और इंडिकॉर्प्स और पीरामल फाउंडेशन के पूर्व सीईओ आनंद शाह के नाम शामिल हैं।

पीएम केयर्स फंड की शुरुआत :

बताते चलें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 28 मार्च 2020 को ‘‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष’’ यानी ‘‘पीएम केयर्स फंड’’ की शुरुआत हुई थी। इस फंड का इस्तेमल आपातकालीन और संकट की स्थिति में राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। यह फंड पूरी तरह से लोगों या संगठनों की तरफ से मिलने वाले ऐच्छिक सहयोग से काम करता है। इसके पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री ही हैं। इस फंड के तहत आने वाली राशि आयकर से पूरी तरह मुक्त है। ​​​केंद्र सरकार द्वारा जारी तजा आंकड़ों के अनुसार, '2020-21 के बीच पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 7,031.99 करोड़ रुपए की रकम जमा हुई थी। वर्तमान समय में पीएम केयर्स फंड का टोटल बैलेंस 10990.17 करोड़ रुपए है।'

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

तेजी से बढ़ रहा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, सितंबर तक पहुंच सकता है 400 अरब डॉलर

मॉर्गन स्टेनली के शोध नोट में कहा गया है कि यदि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की दर पिछले चार सप्ताह की तरह की रहती है तो 8 सितंबर, 2017 को यह 400 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा.

तेजी से बढ़ रहा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, सितंबर तक पहुंच सकता है 400 अरब डॉलर

पिछले 12 माह में जापान को छोड़कर एशिया में विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे अधिक वृद्धि भारत में हो रही है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर तक 400 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है. मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूंजी का प्रवाह बढ़ने और ऋण के कमजोर उठाव से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा. वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की सलाहकारों विदेशी मुद्रा कंपनी के अनुसार देश का विदेशी मुद्राभंडार अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर है और 2015 से यह काफी तेज रफ्तार से बढ़ रहा है. 4 अगस्त को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 393 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया.

मॉर्गन स्टेनली के शोध नोट में कहा गया है कि यदि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की दर पिछले चार सप्ताह की तरह की रहती है तो 8 सितंबर, 2017 को यह 400 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा.

नोट में कहा गया है कि पिछले 12 माह में जापान को छोड़कर एशिया में विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे अधिक वृद्धि भारत में हो रही है.

मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह पूंजी का सतत प्रवाह और ऋण का कमजोर उठाव है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

भारतीय वैश्विक परिषद

अपनी वर्तमान विदेशी मुद्रा संकट के बीच श्रीलंका ने अगस्त 2021 में देश में आपातकाल की घोषणा की थी। श्रीलंका के ज्यादातर बैंक आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए धन मुहैया कराने हेतु विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे हैं। देश के राजस्व में करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई है। [i] सेंट्रल बैंक ने एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 200 रुपये से अधिक की दर से वायदा कारोबार और रुपये के स्पॉट ट्रेडिंग (हाज़िर कारोबार) पर प्रतिबंध लगा दिया है [ii] । इसके कारण इस द्वीपीय राष्ट्र में विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है। हालांकि, यह स्थिति रातोंरात नहीं बनी है। इसके कई कारण हैं जैसे 2019 में ईस्टर बम हमले, कोविड-19 महामारी का फैलना और कई राजनीतिक फैसले जिन्होंने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए। आसन्न संकट को भांपते हुए सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही वाहनों, खाद्य तेलों और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर इसे टालने की कोशिश की लेकिन इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। इस संकट की ओर ले जाने वाले कई महत्वपूर्ण कारकों में से कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।

2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम विस्फोट के बाद से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 10% का योगदान करने वाला पर्यटन उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। 21 अप्रैल 2019, ईस्टर रविवार को, आत्मघाती हमलावरों ने कोलंबो के तीन चर्च और तीन आलिशान होटलों को अपना निशाना बनाया था। हमले के बाद से काफी समय तक श्रीलंका में पर्यटकों का आना कम रहा। पर्यटन के क्षेत्र में 70% तक की गिरावट दर्ज की गई और इसके कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। पर्यटकों की कमी के कारण विदेशी मुद्रा संकट पैदा हो गया, जुलाई 2020 के आखिर में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो कर 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया जबकि पिछले वर्ष की तुलना में अर्थव्यवस्था में 3.6% [iii] की कमी दर्ज की गई।

इससे पहले की स्थिति सामान्य होती और पर्यटन उद्योग रफ्तार पकड़ता, कोविड -19 ने श्रीलंका समेत पूरे विश्व को प्रभावित कर दिया। हालांकि पहली दो लहरों ने श्रीलंका में कम बर्बादी मचाई लेकिन तीसरी लहर ने तो पूरे द्वीप को बर्बाद ही कर दिया। हालांकि कोविड महामारी के शुरुआती लहरों के दौरान श्रीलंका की स्थिति अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छी रही, लेकिन चीन और यूरोपीय संघ के देशों जैसे इसके प्रमुख निर्यात गंतव्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर आपात स्थितियों से जूझ रहे थे। इसलिए, इन देशों में श्रीलंका से किया जाना वाला निर्यात स्वाभाविक रूप से प्रभावित हुआ। परिधान के कई कारखाने, जो निर्यात की एक प्रमुख वस्तु और श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत हैं, महीनों तक बंद पड़े रहे।

निर्माण क्षेत्र को छोड़कर, बीते कुछ वर्षों में श्रीलंकाई उद्योगों को शायद ही कोई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला हो। इसके अलावा, मार्च 2020 में, कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज (सीएसई/ CSE) में विदेशी फंडों के बहिर्वाह के कारण एक दिन में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों द्वारा रखी गई सरकारी हुंडी और सरकारी बॉन्ड में 9.03% (8.236 अरब रुपये) की जबरदस्त कमी हुई, इसके कारण इसी माह के पहले दो सप्ताहों में 19.6 अरब रुपयों का कुल विदेशी मुद्रा बहिर्वाह हुआ [iv] । स्टॉक एक्सचेंज में हुई गिरावट निश्चित रूप से कोविड-19 का नतीजा था। साल 2020 के दौरान विदेशी प्रेषण में 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट के साथ समस्या बढ़ गई थी सलाहकारों विदेशी मुद्रा क्योंकि विदेशों में काम करने वाले श्रीलंकाई महामारी से बुरी तरह प्रभावित थे [v] ।

अब तक श्रीलंका पहले से ही मुद्रा संकट के कठिन दौर से गुजर रहा था। नकदी की कमी से निपटने के लिए श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने बीते 18 महीनों में 800 अरब रुपए छापे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ रही है [vi] । पैसे के इस प्रवाह ने आपूर्ति को स्थिर बनाए रखते हुए मांग में वृद्धि की है। इसके कारण उच्च मुद्रास्फीति की बुनियादी आर्थिक समस्या पैदा हुई जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा का अवमूल्यन हुआ, आयात महंगा हो गया और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बहुत बढ़ गया। मार्च 2020 के पहले सप्ताह से ज्यादातर प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये का अवमूल्यन शुरु हो गया। विशेष रूप से, यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हुआ और 198.46 रुपये (30 मई 2021 को) के स्तर पर पहुँच गया, यह इतिहास में अब तक के सबसे बड़े अवमूल्यन में से एक था [vii] । रुपये के वर्तमान अवमूल्यन ने अनिवार्य रूप से देश के आयात खर्च में वृद्धि की और परिणामस्वरूप इसका विदेशी ऋण बोझ बढ़ गया।

इस विदेशी मुद्रा संकट का एक अन्य कारण देश का अपनी आवश्यक वस्तुओं के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भरता भी है। श्रीलंका दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं जैसे चीनी, दालें, अनाज और दवाओं के लिए लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है और इस स्थिति में देश अपने आयात बिलों का भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, भोजन की कमी भी है। सरकार द्वारा जैविक खेती करने और रसायानिक उर्वरकों के प्रयोग पर रोक लगाने के अचानक किए गए फैसले से घरेलू खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट आई और खाद्य मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हुई।

उपरोक्त सभी कारकों ने श्रीलंका को गंभीर विदेशी मुद्रा संकट में डाल दिया है। अब वह ऐसी स्थिति में है जहां सरकार के लिए आपातस्थिति से बाहर निकलने के लिए दूसरे देशों से मदद लेना अनिवार्य हो गया है। देखना यह होगा कि अब श्रीलंका की सरकार क्या कदम उठाती है।

*डॉ. राहुल नाथ चौधरी, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।

डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।

[i] Central Bank of Sri Lanka.

[iv] Deyshappriya, N R Ravindra. (17 Jul, 2021). Covid 19 and the Sri Lankan Economy. Engage-Economic and Political Weekly. Vol. 56, Issue No. 29

[v] Gunadasa, S (2020): Sri Lankan Government Responds to COVID-19 by Mobilising the Military and Helping the Financial Elite. World Socialist Website, Available at: https://www.wsws.org/en/articles/2020/03/18/sril-m18.html. Accessed on10.9.2021

[vi] Nirupama Subramanian (Sep. 9,2021) Explained: The perfect storm that has led to Sri Lanka’s national ‘food emergency’. Indian Express. Available at: https://indianexpress.com/article/explained/sri-lanka-food-emergency-debt-burden-7496044/ Accessed on: 10.9.2021

[vii] Deyshappriya, N R Ravindra. (17 Jul, 2021). Covid 19 and the Sri Lankan Economy. Engage-Economic and Political Weekly. Vol. 56, Issue No. 29

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 01 July, 2022 UPSC CNA in Hindi

 Image Source: BBC

1. संशोधित PSLV ने तीन विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी53 ने इसरो, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने दूसरे समर्पित मिशन में सिंगापुर के तीन उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया।
  • इस मिशन ने वैज्ञानिक प्रयोगों के संचालन के लिए कक्षा में एक स्थिर मंच के रूप में अपने पीएसएलवी-चौथे चरण “पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम)” का उपयोग करके इसरो के लिए एक अतिरिक्त उद्देश्य भी पूरा किया।
  • इसरो द्वारा ps 4 stage ko हासिल करने तथा आकाशीय कक्षाओं में लागत सलाहकारों विदेशी मुद्रा प्रभावी प्रयोग , स्टार्टअप, स्टूडनेट्स और वैज्ञानिक समुदाय की बढ़ती मांगो को पूरा कर सकता है।

2. निजी क्षेत्र में कुष्ठ रोग की दवाओं की कमी पर चिंता:

  • भारत में निजी क्षेत्र क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine) की कमी का सामना कर रहा है जो कुष्ठ रोग के इलाज के लिए एक प्रमुख दवा है जबकि वैकल्पिक दवाएं बहुत महंगी हैं तथा पहुँच से दूर है।
  • क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine), मल्टीबैसिलरी लेप्रोसी (Multibacillary Leprosy (MB-MDT) ) मामलों के मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट में तीन आवश्यक दवाओं रिफैम्पिसिन और डैप्सोन में से एक है।
  • क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine) ने मल्टीड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस के खिलाफ सक्रियता दिखाई है और डब्ल्यूएचओ द्वारा दवा प्रतिरोध के इलाज के लिए इसकी सिफारिश की गई है।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में हर साल कुष्ठ रोग के 1,25,000 से अधिक नए रोगियों की संख्या में इजाफा होता है।
  • क्लोफ़ाज़िमाइन की कमी भारतीय कुष्ठ उपचार परिदृश्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है क्योंकि त्वचा और कुष्ठ रोग विशेषज्ञ कुष्ठ रोगियों के इलाज में एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. एंथ्रेक्स के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. एंथ्रेक्स एक गंभीर संक्रामक रोग है जो बेसिलस ऐंथरैसिस नामक ग्राम-ऋणात्मक, छड़ी के आकार के जीवाणु के कारण होता है।
  2. यह मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करता है। मनुष्य किसी जानवर के संपर्क में आने या साँस के द्वारा जीवाणुओं को अंदर लेने से संक्रमित हो सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: एंथ्रेक्स एक गंभीर संक्रामक रोग है जो बेसिलस एन्थ्रेसीस नामक ग्राम-पॉजिटिव (सकारात्मक), रॉड के आकार के बैक्टीरिया के कारण होता है।
  • कथन 2 सही है: एंथ्रेक्स मुख्य रूप से पशुधन और जंगली जानवरों को प्रभावित करता है और मनुष्य बीमार जानवरों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क से यासाँस के द्वारा जीवाणुओं को अंदर लेने से संक्रमित हो सकता है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) चार चरणों वाला रॉकेट है।
  2. PSLV कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (POEM) एक ऐसा मंच है जो कक्षीय प्रयोग में मदद करेगा।
  3. POEM, PS4 टैंक के चारों ओर लगे सौर पैनल और लीथियम -आयन बैटरी से ऊर्जा प्राप्त करेगा।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) एक चार चरणों वाला रॉकेट है,जिस बारी-बारी से ठोस और तरल प्रणोदन प्रणाली का उपयोग में किया जाता है।
  • कथन 2 सही है: पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम) एक ऐसा मंच है जो इसरो के पीएसएलवी के अंतिम चरण का उपयोग करके कक्षा में प्रयोग करने में मदद करेगा।
  • कथन 3 सही है: POEM PS4 टैंक के चारों ओर लगे सौर पैनलों और ली-आयन बैटरी से अपनी ऊर्जा प्राप्त सलाहकारों विदेशी मुद्रा करेगा और यह चार सन सेंसर, एक मैग्नेटोमीटर, जायरोस और एनएवीआईसी का उपयोग करके उन्हें नेविगेट करेगा।

प्रश्न 3. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई थी।
  2. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के गठन से पूर्व, इसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का निष्पादन मंत्रिमंडल सचिव द्वारा किया जाता था।
  3. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) करता है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: NSC की स्थापना 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा की गई थी।
  • ब्रजेश मिश्रा ने देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में कार्य किया।
  • कथन 2 सही नहीं है: NSC के गठन से पहले, इन कार्यों को प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव द्वारा किया जाता था।
  • कथन 3 सही नहीं है: NSC का नेतृत्व प्रधान मंत्री करते हैं।
  • एनएसए एनएससी का सचिव होता है। (NSA is the Secretary of NSC.)

प्रश्न 4. हाल ही में चर्चा में रहा स्नेक आइलैंड किसका भाग है? (स्तर – सरल)

उत्तर: c

व्याख्या:

  • स्नेक आइलैंड जिसे सर्पेंट आइलैंड या ज़मीनी द्वीप (Zmiinyi Island/Snake Island) भी कहा जाता है, काला सागर में स्थित एक द्वीप है जो यूक्रेन के अधीन आता है।
  • स्नेक आइलैंड डेन्यूब नदी के मुहाने के करीब स्थित सलाहकारों विदेशी मुद्रा है, जो यूक्रेन के साथ रोमानिया की सीमा बनता है।

प्रश्न 5. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित “गुच्ची” के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. यह एक कवक है।
  2. यह कुछ हिमालयी वन क्षेत्रों में उगता है।
  3. उत्तर-पूर्वी भारत के हिमालय की तलहटी में इसकी वाणिज्यिक रूप से खेती की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: गुच्ची मशरूम एस्कोमाइकोटा (Ascomycota) के परिवार मोरचेलासी (Morchellaceae) के कवक की एक प्रजाति है।
  • कथन 2 सही है: गुच्ची मशरूम कुछ हिमालयी वन क्षेत्रों में उगती है।
  • कथन 3 सही नहीं है: गुच्ची मशरूम की खेती व्यावसायिक रूप से नहीं की जा सकती है क्योंकि यह जंगलों में ही उगती हैं।
  • वे समशीतोष्ण क्षेत्रों एवं हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल तथा जम्मू और कश्मीर की तलहटी में शंकुधारी जंगलों में उगते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. रुपया क्यों गिर रहा है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था और लोगों को कैसे प्रभावित करेगा? [जीएस-3, अर्थव्यवस्था] (150 शब्द, 10 अंक)

प्रश्न 2. भारत में फिल्म सेंसरशिप से सम्बंधित विवादों के बारे में चर्चा कीजिए। [जीएस-2, राजनीति] (150 शब्द, 10 अंक)

रेटिंग: 4.25
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 708
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *