शुरुआती के लिए रणनीतियाँ

बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके

बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके
ग्राफिक: मनीषा यादव | दिप्रिंट

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बायनेन्स पर लाइटकॉइन (LTC) कैसे माइन करें

लाइटकॉइन (LTC) एक क्रिप्टो मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) है जो स्क्रीप्ट प्रूफ ऑफ वर्क एल्गोरिथ्म द्वारा संचालित है। LTC का उद्देश्य मूल बिटकॉइन प्रोटाकॉल में संशोधन कर बिटकॉइन का विकल्प प्रदान करना है। लाइटकॉइन (LTC) पहले बनाए गए अल्टकॉइन में से एक था। लाइटकॉइन नेटवर्क को 13 अक्टूबर 2011 को लॉन्च किया गया था। जब से इसे पहली बार बनाया गया था, तब से LTC अभी भी बाजार पूंजीकरण द्वारा सबसे बड़ी क्रिप्टो मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) में से एक है।

लाइटकॉइन का उद्देश्य व्यापारियों के लिए बिटकॉइन ब्लॉकचेन की तुलना में तेजी से लेनदेन कर LTC भुगतान को स्वीकार करना आसान बनाना है। लाइटकॉइन और बिटकॉइन में कुछ प्रमुख अंतर हैं, उदाहरण के लिए, लाइटकॉइन पर लेनदेन तेज है और इसकी कुल आपूर्ति (8.4 करोड़ LTC) है। इसके अलावा, लिटकॉइन के पड़ावों में भी बदलाव किया गया है। बिटकॉइन अर्धीरण 210,000 ब्लॉक है, जबकि लाइटकॉइन अर्धीरण 840,000 ब्लॉक है।

मैं बायनेन्स पर LTC माइनिंग के साथ कैसे शुरुआत कर सकता/सकती हूं?

लागू माइनर

LTC माइनिंग स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

आधिकारिक बायनेन्स पूल वेबसाइट पर जाएं और एक माइनिंग खाता बनाने के लिए एक बायनेन्स पूल खाते के लिए रजिस्ट्रेशन करें। अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप अनेक उप-खनन खाते कैसे बनाएं, इसके संबंध में कृपया नीचे दिए गए लिंक का संदर्भ लें:बायनेन्स माइनिंग खाता क्या है और इसे कैसे बनाएं।

पूल 1: stratum+tcp://ltc.poolbinance.com:3333
पूल 2: stratum+tcp://ltc.poolbinance.com:443
पूल 3: stratum+tcp://ltc.poolbinance.com:25

"MiningAccount.Worker" के रूप में कार्यकर्ता नाम बनाएं और एक पासवर्ड सेट करें। कार्यकर्ता के नाम संख्याएं या संख्याएं और अक्षर हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके माइनिंग खाते का नाम MiningLTC है, तो बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके आपके कार्यकर्ता का नाम "MiningLTC.001" हो सकता है। पासवर्ड वैकल्पिक है।

यहां एक उदाहरण के रूप में एंटमाइनर को लें। अपने एंटमाइनर में लॉग इन करें और "माइनर कॉन्फिगरेशन" पर क्लिक करें। अपना विवरण दर्ज करें और सेटअप समाप्त करने के लिए "सेव करें और लागू करें" पर क्लिक करें। स्थिर माइनिंग सुनिश्चित करने के लिए, हम कई पोर्ट स्थापित करने की सलाह देते हैं। जब एक पोर्ट कनेक्ट करने में विफल रहेगा, तो माइनर स्वचालित रूप से अगले पोर्ट पर स्विच हो जाएगा और माइनिंग जारी रखेगा।

माइनर के उठने और चलने के बाद, प्रदर्शन के आंकड़े लगभग 10 मिनट में लाइव होने की उम्मीद है। सक्रिय हैशरेट देखने के लिए आप माइनिंग पूल होमपेज पर [कार्यकर्ता] का चयन कर सकते/सकती हैं।

नोट: यदि आप एक ही समय में BTC/ETH माइनिंग कर रहे/रही हैं या BTC/ETH माइनिंग खाता बनाया है, तो कृपया सुनिश्चित करें कि सक्रिय हैशरेट देखने के लिए आपने सही एल्गोरिथ्म का चयन किया है।

परिनिर्धारण चक्र की गणना पिछले दिन के 00:00 से वर्तमान दिन (UTC) के 00:00 बजे तक की जाती है। माइनिंग पूल भुगतान का समय हर दिन 02:00 से 10:00 (UTC) तक है।

परिनिर्धारण पूरा होने के बाद, माइनिंग आय आपके बायनेन्स फंडिंग वैलेट में जमा की जाएगी। आप बायनेन्स पूल[ कमाई ] पेज से दैनिक आय रिकॉर्ड देख सकते/सकती हैं या [वैलेट] - [ फंडिंग वैलेट ] पर जा सकते/सकती हैं। आप लेनदेन शुल्क के बिना अपनी कमाई को अपने स्पॉट वैलेट या अन्य बायनेन्स वैलेट में भी अंतरित कर सकते/सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हम अनुशंसा करते हैं कि आप स्थिर और टिकाऊ माइनिंग सुनिश्चित करने के लिए कई पोर्ट सेट करें। यदि उनमें से एक निष्क्रिय है, तो माइनिंग जारी रखने के लिए माइनर स्वचालित रूप से अगले पोर्ट पर चला जाएगा।

माइनर के लगभग 10-20 मिनट तक चलने के बाद स्टेटस सक्रिय हो जाएगा। यदि कार्यकर्ता अमान्य शेयर प्रस्तुत करते रहते हैं, तो कृपया डैशबोर्ड पर अपनी सेटिंग जांचें। यदि समस्या अनसुलझी रहती है, तो कृपया बायनेन्स सपोर्टसे संपर्क करें।

बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके

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क्रिप्टोकरेंसी अनियमित डिजिटल एसेट हैं, यह वैध मुद्रा नहीं हैं. इनका पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गांरटी नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश या ट्रेड करना बाजार जोखिमों और कानूनी जोखिमों के अधीन है.

Cryptocurrency: युवा निवेशक क्रिप्टो में जमकर लगा रहे है पैसा

आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं।

Cryptocurrency: युवा निवेशक क्रिप्टो में जमकर लगा रहे है पैसा

आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं। जयपुर में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट को लेकर होड़ सी मची है। यहीं कारण है वर्तमान में अब तक जयपुर में करीब एक लाख लोगों क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है और यह आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बात अगर पूरे भारत की करें तो करीब 2 करोड़ लोग भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है। जयपुर के एक लाख लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में करीब 150 करोड़ का निवेश कर रखा है।

युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो
करोड़पति युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो बन चुका है, अमेरिका में अधिकांश युवा करोड़पति अपना पैसा, क्रिप्टो करेंसी में ही लगा रहे हैं, दुनिया बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके के कई और देशों में भी इसी तरह का चलन देखने को मिल रहा है, लेकिन कुछ देश इसे कानूनी मान्यता भी दे चुके हैं, जबकि भारत में अभी तक क्रिप्टो का भविष्य साफ नहीं है, बावजूद इसके, लोग इसमें बिना डर पैसा लगा रहे हैं।

क्रिप्टो के विरोध में आरबीआई हमेशा से
वैकल्पिक मुद्राओं को मान्यता देने के विरोध में आरबीआई हमेशा से अडिग रहा है। हालांकि केंद्रीय बैंक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध को वापस लेने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इसने क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी राय नहीं बदली है।

क्यों बना हुआ डर.
इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी इसे जारी नहीं करती है। इसके अलावा टैक्स, मनी लॉन्ड्रिंग, इनसोल्वेंसिंग कोड, पेमेंट सिस्टम, निजता और डाटा प्रोटेक्शन भी बड़ी चुनौतियां होंगी।

घोटालों की संख्या बढ़कर 3300 हुई
साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में सक्रिय वित्तीय घोटालों की संख्या 2020 के 2052 के आंकड़े से बढ़कर 3300 हो गई है। दुनिया की लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम और बिटकॉइन के मूल्य में वृद्धि के साथ इनमें निवेश करने वाले निवेशकों के साथ घोटाले होने की वारदातों में भी इजाफा हुआ बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके है।

क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके जरिए व्यापार होता है।

क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने के लिए कुछ नियम बनाने होंगे। इनकी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है। क्रिप्टो करेंसी के सार्वजनिक और केंद्रीय बैंक साथ-साथ चल सकते हैं। पूरी दूनिया में इसका चलन बढ़ रहा है। अगर भारत में इसपर बैन लगता है, तो हम एक बार फिर डिजिटल रूप में दूनिया से पीछड़ जाएंगे।
आयुष अग्रवाल, एडवाइजर, क्रिप्टो

क्रिप्टो एक्सचेंज पॉइंट नो यॉर कस्टमर (केवाईसी) इक_ा करके इसकी लेन-देन सिर्फ बैंक अकाउंट के जरिए कर सकते हैं। इस तरीके से कुछ बुरे तत्व इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक में यह सार्वजनिक पारदर्शिता की व्यवस्था कर पाएगा।
अशोक जालान, विशेषज्ञ, इक्विटी बाजार

RBI के डिजिटल रुपया के कॉन्सेप्ट के कई फायदे मगर भारत की वित्तीय स्थिरता के लिए कई जोखिम भी

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) में व्यापक वित्तीय समावेश की संभावना, मगर भारतीय बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके रिजर्व बैंक के कॉन्सेप्ट नोट में उपभोक्ता सुरक्षा पर जोर देना भी वाजिब है.

चित्रण: प्रज्ञा घोष | दिप्रिंट

हाल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया. नोट में सीबीडीसी जारी करने के उद्देश्य, विकल्प, नफा-नुकसान और खतरे की पर चर्चा है. नोट में सीबीडीटी से बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले असर की भी चर्चा है और उसके डिजाइन विकल्पों, टेक्नोलॉजी और संभावित उपयोगों की भी बातें हैं.

कॉन्सेप्ट नोट में उसके प्रमुख उद्देश्यों में सीबीडीसी को प्राइवेट वर्चुअल करेंसी के मुकाबले सुरक्षित बताया गया है. हालांकि, दोनों के बीच तुलना शायद सही न हो. बिटकॉइन जैसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी को लेनदेन के माध्यम के बदले संपत्ति की तरह देखा जाता है. उन्हें मोटे तौर पर जोखिम विस्तार के साधन के रूप में देखा जाता है.

Graphic: Manisha Yadav | ThePrint

ग्राफिक: मनीषा यादव | दिप्रिंट

सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी संप्रभु डिजिटल करेंसी है. यह डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाए लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा.

सीबीडीसी से अधिक वित्तीय समावेश और भुगतान प्रणाली में नए तरीके और उपयोगिता संभव है. हालांकि, सीबीडीसी के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए उसकी ऑफलाइन उपयोगिता से जुड़ी बातों को साफ करना जरूरी होगा. सबको उपलब्ध कराने के लिए उसका डिजाइन तय करने में संबंधित पक्षों से सलाह-मशविरा और उसके अंतरराष्ट्रीय अनुभव के विश्लेषण से मदद मिलेगी.

नोट में उपभोक्ता सुरक्षा को सही ही वित्तीय स्थिरता का अहम स्तंभ बताया गया है. नए डिजिटल रुपए-पैसे के चलन से टेक्नीकल अड़चनों, धोखाधड़ी जैसे शिकयतें बढ़ सकती हैं. शिकायतों के फौरन हल का कारगर ढांचा भरोसा पैदा करेगा और सीबीडीसी के चलन का आसान बनाएगा.

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सीबीडीसी का मकसद

फिलहाल 105 देश सीबीडीसी जैसी मुद्रा को आजमा रहे हैं, जो वैश्विक जीडीपी का 95 प्रतिशत हैं. उनमें अटलांटिक काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार जी20 देशों में से 19 शामिल हैं, जिनमें 50 देश लॉन्च, पायलट प्रोजेक्ट या विकास के चरण में हैं.

Graphic: Manisha Yadav | ThePrint

ग्राफिक: मनीषा यादव | दिप्रिंट

अंतरराष्ट्रीय अनुभव की समीक्षा से पता चलता है कि सीबीडीसी जारी करने की प्रमुख मकसद वित्तीय समावेश को बढ़ावा देना है. मसलन, बहामास में वित्तीय समावेश की सुविधा के लिए सैंड डॉलर लाया गया, क्योंकि उसकी आबादी 30 द्वीपों में फैली हुई थी, जिनमें कई दूरदराज थे.

स्वीडन जैसे नकदी के घटते उपयोग से जूझ रहे देशों में केंद्रीय बैंक नकदी के डिजिटल विकल्प के रूप में सीबीडीसी जारी किया गया. जापान जैसे कुछ देश भुगतान के लिए नकदी के साथ-साथ सीबीडीसी के भी इस्तेमाल के तरीके तलाश रहे हैं, ताकि भुगतान प्रणाली को स्थाई और कारगर बनाया जा सके.

भारत में सीबीडीसी जारी करने का प्रमुख मकसद भौतिक नकदी प्रबंधन की लागत कम करना है. सीबीडीसी से बैंक नोटों की छपाई, भंडारण, एक-दूसरे जगह ले जाने की लागत में कमी आएगी. डिजिटलीकरण को बहुत हद तक बढ़ावा मिलने के बावजूद नकदी का उपयोग अधिक बना हुआ है, खासकर छोटे मूल्य के लेनदेन में. नकदी के इस्तेमाल को गोपनीयता बनाए रखने के लिए बेहतर माना जाता है. अगर पर्याप्त गोपनीयता का भरोसा मिल जाता है, तो आम लोग रोजमर्रा की लेनदेन और छोटे भुगतान के लिए नकदी के बदलेे सीबीडीसी का इस्तेमाल करने लग सकते हैं. इस तरह डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है.

सीबीडीसी का चलन लोगों को भुगतान और वित्तीय निपटान के लिए एक और साधन मुहैया कराके प्रतिस्पर्धा और नए-नए तरीके ईजाद करने में मददगार हो सकता है. सीबीडीसी उन इलाकों में वित्तीय समावेश को बढ़ावा दे सकता हैं, जहां बैंक नदारद हैं या बैंकिंग सेवाओं की सहूलियत नहीं है. इसके लिए सीबीडीसी की ऑफलाइन चलन और उपयुक्त डिजाइन की आवश्यकता होगी.

सीबीडीसी के प्रकार और डिजाइन

कॉन्सेप्ट नोट उपलब्धता के आधार पर सीबीडीसी को थोक और खुदरा दो हिस्सों बांटा गया है. खुदरा सीबीडीसी सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा: निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ता और कारोबार. थोक सीबीडीसी का डिजाइन ऐसा किया गया है, जो सिर्फ वित्तीय संस्थानों को ही उपलब्ध होगा.

कॉन्सेप्ट नोट में इस संभावना पर विचार किया गया है कि थोक सीबीडीसी के जरिए सरकारी बिटकॉइन पर कमाई के लिए वैकल्पिक तरीके प्रतिभूतियों, वाणिज्यिक पत्रों और सरकारी प्रतिभूतियों की प्राथमिक नीलामी जैसी संपत्ति खरीद-बिक्री के लिए बैंकों के रास्ते न जाना पड़े.

खुदरा सीबीडीसी नकदी का ही इलेक्ट्रॉनिक रूप है. भारत में पहले से ही रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) से लेकर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) वगैरह के जरिए भुगतान बुनियादी डिजिटल ढांचा बन गया है. लेकिन कॉन्सेप्ट नोट की दलील है कि सीबीडीसी डिजिटल भुगतान में टेक्रीकल और दूसरी समस्याओं का एक वैकल्पिक साधन मुहैया करा सकता है.

सीबीडीसी टोकन या फिर एकाउंट के रूप में हो सकता है. टोकन सीबीडीसी एक डिजिटल टोकन है जिस पर केंद्रीय बैंक की मुहर है. टोकन एक से दूसरे व्यक्ति को उसी तरह हस्तांतरित होगा, जैसे बैंक नोट का आदान-प्रदान होता है. ये टोकन उसी तरह ‘वॉलेट’ में रहेंगे, जैसे क्रिप्टोकरेंसी के मामले में किया जाता है.

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ग्राफिक: मनीषा यादव | दिप्रिंट

एकाउंट वाला सीबीडीसी के मामले में केंद्रीय बैंक में सीबीडीसी खाता खोलना होगा. इसे खातों में जमा राशि की तरह रखा जाएगा. दोनों डिजाइनों में अलग-अलग कानूनी प्रावधान होंगे और कानून में उपयुक्त संशोधन की आवश्यकता होगी.

मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता पर असर

सीबीडीसी के कई संभावित लाभ हैं, लेकिन इसमें वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम भी हो सकता है. जोखिम इस पर निर्भर करेगा कि सीबीडीसी ब्याज वाला (मुनाफा देने वाला) या बिना ब्याज वाला (बिना मुनाफा वाला) होगा.

केंद्रीय बैंक अगर जमा खाते पर ब्याज देंगे, तो लोगों को बैंकों में अपनी जमा राशि को सीबीडीसी खातों में स्थानांतरित करने में फायदा लगेगा. इसका वाणिज्यिक बैंकों की कमाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. बैंकों को जमा पर ज्यादा ब्याज दरों की पेशकश करनी होगी, जिससे उनकी फंडिंग की लागत बढ़ जाएगी.

बैंकों को कर्ज उठाने वालों पर अतिरिक्त बोझ डालने पर मजबूर होना पड़ सकता है. बैंक ज्यादा मुनाफे के लिए जोखिम भरे स्रोतों की ओर रुख कर सकते हैं. केंद्रीय बैंक की नकदी पर निर्भरता भी बढ़ सकती है.

अगर सीबीडीसी जमा पर ब्याज नहीं मिलेगा, तो लोगों को बैंक जमा खातों को स्थानांतरित करने में कम दिलचस्पी होगी. हालांकि, अगर बैंकिंग क्षेत्र की सेहत या आर्थिक अस्थिरता को लेकर आशंका होती है, तो जमाकर्ता बैंक जमा से सीबीडीसी में स्विच कर सकते हैं.

सीबीडीसी के चलन से बैंकों, मौद्रीक नीति और केंद्रीय बैंक के बैलेंस-शीट पर पडऩे वाले असर पर और ज्यादा विचार-विमर्श की जरूरत है, ताकि सीबीडीसी को पर्याप्त सुरक्षा और जोखिम मुक्त बनाया जा सके.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

राधिका पांडेय और कृति वट्टल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी में सलाहकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.

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