समर्थित क्रिप्टोकरेंसी

मान्यता दी जाए
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की बजाय इसे मान्यता दी जानी चाहिए क्योंकि डिजिटल युग में डिजिटल करेंसी की अति आवश्यकता समर्थित क्रिप्टोकरेंसी है।
-पांचाराम चौधरी, भीनमाल, जालौर
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डिजिटल मुद्रा : आज की आवश्यकता
बीते एक दशक में एथरियम और बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं या क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने विश्व भर के अधिकांश केंद्रीय बैंकों को उनके द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने पर गंभीरता से विचार करने के लिये मजबूर कर दिया है, जो कि कैशलेस सोसाइटी के लक्ष्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में डिजिटल मुद्रा की कमियों को दूर करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगी। इस संदर्भ में यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने यूरोपीय संघ के लिये 'सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा के मूल्यांकन का इरादा व्यक्त किया है। ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय संस्थाओं को किसी भी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देनों को सुविधा न प्रदान करने का निर्देश दिया था।
हालाँकि बीते दिनों रिजर्व बैंक ने संकेत दिया था कि वह सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) विकसित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहा है। विश्व भर में आज ऐसे तमाम देश हैं, जो सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा की संभावना की तलाश कर रहे हैं, जिसमें चीन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी शामिल हैं, ऐसे में भारत को डिजिटल मुद्रा विकसित करने हेतु प्रतिस्पद्र्धा में पीछे नहीं रहना चाहिये और जल्द-से-जल्द इस प्रकार की संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये।
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क्रिप्टोकरेंसी के लिए फिलहाल भारत में कोई कानून नहीं है।
महब कुरैशी. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि, इसमें शेयर बाजार के विपरीत तेजी से उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। ऐसे में बहुत से लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करके बड़ा लाभ कमाया है। वहीं जिन लोगों ने अभी तक इसमें कभी निवेश नहीं किया है। अब वह भी बिटकॉइन, डॉगकोइन और एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहते हैं। आपको बता दें क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत हुए अभी केवल 10 साल ही पूरे हुए है। लेकिन इसके बावजूद इसमें लोगों की रूचि दिन दूनी रात चौगनी बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं। तो आपको इस खबर को पूरा पढ़ना चाहिए। क्योंकि इसके बिना आपको तकड़ा नुकसान हो सकता है।
RBI बना रहा है बड़ा प्लान, जल्द देश में दिख सकती है डिजिटल करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी से होगा अलग, जानें डीटेल
नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। डिजिटल करेंसी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) नया प्लान बना रहा है। इस बात की जानकारी अजय कुमार चौधरी ने बुधवार को दी है। फिलहाल, आरबीआई थोक और खुदरा क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से डिजिटल करेंसी पर काम कर रहा है। इसका मतलब यह की बहुत जल्द आरबीआई देश में डिजिटल करेंसी को पेश कर सकता है। केन्द्रीय बैंक के कार्यकारी निर्देशक अजय कुमार के मुताबिक बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीबीडीसी पेश करने का ऐलान किया था, जिसका पालन सेंट्रल बैंक कर रहा है। इस कार्य के लिए वित्त विधेयक पारित किया गया था। साथ ही आरबीआई कानून, 1934 से जुड़े धारा में कुछ संशोधन भी किए गए थे और अब आरबीआई डिजिटल करेंसी पर काम करने के लिए तैयार है।
Cryptocurrency से आरबीआई की Digital Currency अलग कैसे? किसमें निवेश फायदेमंद, कौन डुबाएगा लुटिया
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: November 06, 2022 19:38 IST
Photo:INDIA समर्थित क्रिप्टोकरेंसी TV Cryptocurrency से आरबीआई की Digital Currency अलग कैसे?
Cryptocurrency vs Digital Currency: क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) दोनों ने पूरे भारत में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। डिजिटल एसेट्स के रूप में सामान्य स्थिति के बावजूद दोनों में काफी अंतर है। पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग का मानना है कि सीबीडीसी डीमैटरियलाइज्ड बैंक नोट की तरह होता है, और उसका क्रिप्टोकरेंसी से कोई लेना-देना नहीं है।
सीबीडीसी डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य
क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है। हालांकि, सीबीडीसी जैसे रेगुलेटेड डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य हो सकते हैं। मैकिन्से ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्टेबल कॉइन के प्रचलन में तेजी से वृद्धि के साथ केंद्रीय बैंकों ने अपनी स्टेबल डिजिटल करेंसी का पता लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
सीबीडीसी या भारतीय ई-रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया गया एक डिजिटल टोकन है और यह देश की फिएट करेंसी से जुड़ा हुआ है। ब्लॉकचैन विशेषज्ञों के एक समूह ब्लॉकचैन काउंसिल का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के विकास ने कैशलेस सोसाइटी और डिजिटल करेंसी में रुचि बढ़ा दी है, जिसके चलते दुनिया भर की सरकारें और केंद्रीय बैंक सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
सीबीडीसी के ये हैं बड़े फायदे
सीबीडीसी का प्राथमिक उद्देश्य कंपनियों और उपभोक्ताओं को गोपनीयता, हस्तांतरणीयता, सुगमता और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। काउंसिल का कहना है, सीबीडीसी एक जटिल वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक रखरखाव को भी कम करता है, सीमा पार लेनदेन लागत में कटौती करता है और उन लोगों को कम लागत वाले विकल्प देता है जो अब दूसरे धन हस्तांतरण विधियों का उपयोग करते हैं।
केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी डिजिटल करेंसी अपने मौजूदा स्वरूप में डिजिटल मुद्राओं के उपयोग से जुड़े खतरों को भी कम करती है। दूसरी ओर क्रिप्टोकरेंसी बहुत अस्थिर है, उनका मूल्य हर समय बदलता रहता है। उपयोग के मामलों के संदर्भ समर्थित क्रिप्टोकरेंसी में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति और मुद्रा दोनों के रूप में वगीर्कृत किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी के प्राइस पर अटकलें लगाने के लिए समर्थित क्रिप्टोकरेंसी व्यक्ति निवेश बाजारों में हिस्सा ले सकता है। वे खुद को मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता से बचाने के लिए बिटकॉइन जैसी विशेष परियोजनाओं का भी उपयोग कर सकते हैं।
आपकी बात, क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए?
सरकार का नियंत्रण नहीं
क्रिप्टोकरेंसी आधुनिक तकनीक पर आधारित करेंसी है। इसके लेन-देन में काफी गोपनीयता है, परंतु सरकार या सेंट्रल बैंक का इस पर कोई भी नियंत्रण नहीं है। इसलिए इस करेंसी का गलत कार्यों में इस्तेमाल होने की आशंका अधिक है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है। बेहतर तो यह है कि सरकार जल्द से जल्द क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दे ।
-योगिता वैष्णव, किशनगढ़
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शेयर बाजार की तरह नियंत्रित किया जाए
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पूर्ण प्रतिबन्धित होनी चाहिए, क्योंकि लोग लालच में आकर अपना मूल भी गंवा बैठते हंै। क्रिप्टोकरेंसी कोई वैधानिक करेंसी न होने की वजह से इसका अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें उतार-चढ़ाव बहुत-ज्यादा होते हैं और इसको नियंत्रित भी नहीं किया जाता है। अत: क्रिप्टोकरेंसी को पूर्णतया प्रतिबन्धित कर देना चाहिए। यदि सरकार इसको प्रतिबंधित नहीं करती है, तो इसके लिए नियामक की व्यवस्था करे। शेयर बाजार तथा कमोडिटी बाजार की तरह इसको नियंत्रित किया जाए।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चरू
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