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भारत में म्युचुअल फंड इतिहास

भारत में म्युचुअल फंड इतिहास

एचडीएफसी म्यूचुअल फंड ने बिजनेस साइकिल फंड एनएफओ किया लॉन्च

मुंबई एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड ने इक्विटी पेशकशों के अपने सूट के विस्तार करने के उद्देश्य से एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड के लॉन्च की घोषणा की है। एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड का लक्ष्य अनुकूल व्यापार चक्र के बीच संभावित रूप से व्यवसाय में निवेश करना है। उपरोक्त एनएफओ 11 नवंबर, 2022 को खुला है और 25 नवंबर, 2022 को बंद होगा।

जिस तरह से जीपीएस हमें अपने गंतव्य तक तेजी से पहुंचने, और बाधाओं / ट्राफिक वाले ले मार्गों से बचने के लिए के लिए बेहतर मार्ग चुनने में सक्षम बनाता है, एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड का उद्देश्य उन कंपनियों में निवेश करके बेहतर निवेश परिणाम प्राप्त करना है, जो कंपनियाँ अनुकूल व्यापार चक्र का लाभ उठाने वाली है, औऱ पर व्यापार डाउनसाइकिल में प्रवेश करने वाली कंपनियों को परहेज करते हुए।

व्यापार चक्र व्यापार चक्र पूर्वानुमान बनाम आर्थिक चक्र पूर्वानुमान पर उच्च विश्वास जैसे लाभ प्रदान करते हैं। व्यवसाय के उतार-चढ़ाव में, निवेशकों को आय में वृद्धि और मूल्यांकन में सुधार के दोहरे लाभों से लाभ हो सकता है। व्यापार चक्र निवेश में, किसी को विशेष निवेश रणनीति की आवश्यकता होती है जो व्यापार चक्रों के चरणों के आकलन के आधार पर निवेश को गतिशील रूप से प्रस्तुत करती है।

कंपनी के एमडी और सीईओ नवनीत मुनोट ने कहा, “बढ़ती जटिलताओं और व्यापार चक्रों को छोटा करने वाले युग में, पोर्टफोलियो की स्थिति अच्छी तरह से एक पुरस्कृत गतिविधि होनी चाहिए। एचडीएफसी एएमसी का लक्ष्य अपनी शोध और फंड प्रबंधन टीम में ताकत का लाभ उठाते हुए, टॉप डाउन और बॉटम अप दृष्टिकोण के मिश्रण का उपयोग करके निवेशकों को आगे रहने के लिए समर्थन देना है। इस एनएफओ की शुरुआत प्रत्येक भारतीय के लिए धन सृजनकर्ता बनने की दिशा में एक और कदम है।”

इस योजना का प्रबंधन राहुल बैजल द्वारा किया जाएगा, जिनके पास फंड प्रबंधन और इक्विटी अनुसंधान में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड पर टिप्पणी करते हुए, राहुल बैजल ने कहा, “हमने पूरे इतिहास में व्यापार चक्रों को देखा है, और वे बुनियादी बातों को कैसे प्रभावित करते हैं। एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न प्राप्त भारत में म्युचुअल फंड इतिहास करने और निवेशकों के लिए धन सृजन में सहायता करने के उद्देश्य से, अपने व्यापार चक्र में अनुकूल रूप से स्थित कंपनियों को चुनने के लिए टॉप-डाउन और बॉटम-अप दृष्टिकोण का मिश्रण लाता है।

भारत के सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने की उम्मीद है, और मजबूत बुनियादी बातों ने हमें बढ़ते जोखिमों के वैश्विक वातावरण में अच्छी स्थिति में रखा है। बैंकिंग और रियल एस्टेट सेक्टर की सेहत में सुधार, कॉरपोरेट्स द्वारा निवेश बढ़ाना जैसे कारक मध्यम से लंबी अवधि में इक्विटी के लिए अच्छे संकेत हैं। हमारा मानना ​​है कि बिजनेस साइकिल फंड में निवेश करना एक अच्छी आवंटन रणनीति हो सकती है और फंड को निवेशकों के पास लंबे समय तक रखा जा सकता है।

एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड सभी क्षेत्रों / उप क्षेत्रों / मार्केट कैप, और स्टॉक की संख्या में पर्याप्त रूप से विविध होने के द्वारा जोखिमों का प्रबंधन करेगा। इसलिए यह एक अच्छी तरह से विविधतापूर्ण फंड है जो एकमुश्त और एसआईपी दोनों के माध्यम से लंबी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त है।

निवेशक इस उत्पाद को व्यापार चक्र के चरणों भारत में म्युचुअल फंड इतिहास के आकलन के आधार पर निवेश के रोटेशन में चुस्त फंड के माध्यम से, और 3 या अधिक वर्षों के निवेश क्षितिज के साथ, अनुकूल व्यापार चक्रों के बीच में संभावित व्यवसायों के संपर्क में आने पर विचार कर सकते हैं। .

भारत में म्युचुअल फंड इतिहास

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शेयर बाजार में लिस्ट होगी चौथी म्यूचुअल फंड कंपनी: बिड़ला म्यूचुअल फंड का IPO 29 सितंबर से, 800 रुपए के करीब हो सकता है भाव

देश की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की यह चौथी कंपनी होगी जो शेयर बाजार में लिस्ट होगी। अभी तक HDFC म्यूचुअल फंड, निप्पोन म्यूचुअल फंड और UTI म्यूचुअल फंड लिस्टेड कंपनियां हैं। सबसे पहले साल 2017 में निप्पोन लिस्ट हुई थी। उसके बाद HDFC लिस्ट हुई थी। निप्पोन और HDFC के शेयर्स में निवेशकों को अच्छा फायदा हुआ है।

कंपनी का AUM 3.02 लाख करोड़ रुपए

आदित्य बिड़ला सनलाइफ का असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) अगस्त महीने में 3.02 लाख करोड़ रुपए रहा। 6 लाख करोड़ रुपए के AUM के साथ SBI म्यूचुअल फंड पहले नंबर पर जबकि उसके बाद ICICI प्रूडेंशियल और HDFC म्यूचुअल फंड हैं।

बिना बैंकिंग पैरेंट वाला फंड हाउस

बिड़ला म्यूचुअल फंड बिना किसी बैंकिंग पैरेंट वाला फंड हाउस है। इसके पास 26 सालों का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है। 72 लाख फोलियो है। कंपनी टॉप 30 शहरों से आगे वाले शहरों में अच्छा कारोबार करती है। IPO के दौरान कुल 3.88 करोड़ शेयर्स बेचे जाएंगे। कंपनी इसके जरिए 3 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखी है।

135 स्कीम्स थीं दिसंबर 2020 तक

बिड़ला म्यूचुअल फंड के पास दिसंबर 2020 तक 135 स्कीम्स थीं। इसमें 35 इक्विटी स्कीम्स, 93 डेट, 2 लिक्विड, 5 ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और 6 फंड्स ऑफ फंड स्कीम्स हैं। यह एक ट्रस्टेड ब्रांड है जिसके पास अनुभवी प्रमोटर्स हैं। म्यूचुअल फंड कंपनी में बिड़ला की 51% और सन लाइफ की 49% होल्डिंग है। बिड़ला ग्रुप कई सेक्टर्स में कारोबार करता है और इसके पास इनोवेटिव स्कीम्स हैं।

2018 में 15,942 करोड़ थी संपत्ति

बिड़ला म्यूचुअल फंड की कुल संपत्तियां 2018 में 15,492 करोड़ रुपए थी जो दिसंबर 2020 में 19,595 करोड़ रुपए हो गई। इसी दौरान कंपनी का शुद्ध फायदा 348 करोड़ रुपए से बढ़कर 369 करोड़ रुपए दिसंबर 2020 में हो गया। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसका फायदा 155 करोड़ रुपए रहा।

तेजी से ग्रोथ हुई फंड इंडस्ट्री की

देश की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने पिछले कुछ सालों में तेजी से ग्रोथ की है। इस समय इसका कुल AUM 36 लाख करोड़ रुपए के पार है। पिछले 10 सालों में इसमें सात गुना की ग्रोथ रही है। 2016 में फंड इंडस्ट्री का AUM 15.18 लाख करोड़ रुपए था। ICICI सिक्योरिटीज ने अनुमान लगाया है कि भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का साइज 2030 तक 100 लाख करोड़ रुपए हो सकता है। यानी अगले 9 सालों में यह इंडस्ट्री तीन गुना की ग्रोथ कर सकती है। फंड इंडस्ट्री में हर महीने 9 हजार करोड़ रुपए की रकम SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के तहत आती है।

निवेशकों ने अच्छा रिस्पांस दिखाया

HDFC और निप्पोन जैसी म्यूचुअल फंड कंपनियों में निवेशकों ने अच्छा रिस्पांस दिखाया था। जानकारों का मानना है कि यह इंडस्ट्री जिस तरह से पारदर्शी है और जिस तरह से रेगुलेट की जाती है, ऐसे में इसमें भारत में म्युचुअल फंड इतिहास आगे अच्छी ग्रोथ होगी। इसका फायदा निवेशकों को मिलेगा। हाल के सालों में कई सारे फंड हाउस की स्कीम्स ने 100% तक का रिटर्न निवेशकों को दिया है।

दुनिया के इन शहरों में सबसे ज्यादा अरबपति, अडानी-अंबानी के बावजूद भारत टॉप-20 में बाहर?

2022 की पहली छमाही में रियाद और शारजाह में सबसे तेजी से करोड़पतियों की संख्या बढ़ी है. साथ ही अबू धाबी और दुबई में भी अमीरों के आंकड़े ने रफ्तार भरी है. वहीं दूसरी ओर सबसे ज्यादा अमीरों का पलायन रूस से हुआ है और इस मामले में चीन के शहर हैं.

न्यूयॉर्क में सबसे ज्यादा करोड़पति

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 15 सितंबर 2022, 4:27 PM IST)

क्या आप जानते हैं कि दुनिया के ऐसे कौन-कौन से शहर हैं, जहां पर सबसे ज्यादा करोड़पति (Millionaires) रहते हैं. अगर नहीं तो हम आपको इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं. दरअसल, ब्लूमबर्ग (Bloomberg) ने हेनले एंड पार्टनर्स ग्रुप के हवाले से इससे जुड़ी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसके मुताबिक, अमीरों की संख्या के मामलें में अमेरिका के शहर टॉप पर हैं. ऐसे टॉप-10 शहरों में तो पांच शहर अमेरिका (American Cities) के ही हैं.

दुनिया में अमीरों की तादाद में गिरावट
हेनले एंड पार्टनर्स ग्रुप (Henley & Partners Group) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में अमीरों की तादाद में 12 फीसदी की कमी आने के बावजूद न्यूयॉर्क (New York) इस साल भी दुनिया में करोड़पतियों की संख्या के मामले में सबसे आगे है. बता दें, रिपोर्ट में वे करोड़पति शामिल हैं, जिनके पास निवेश लायक संपत्ति में 1 मिलियन डॉलर या इससे अधिक है. इसमें नकद, चेक, बचत खाते से लेकर स्टॉक मार्केट में निवेश, सरकारी बॉन्ड और म्यूचुअल फंड तक शामिल हैं. टॉप 10 देशों की लिस्ट में तो आधे शहर अमेरिका के हैं.

किन शहरों में कितने करोड़पति
अमीरों की पसंद वाले दुनिया के शहरों की लिस्ट में No.1 न्यूयॉर्क में 3.45 लाख करोड़पति (Millionaires) रहते हैं. इस शहर में 59 अरबपति (Billionaires) भी बसते हैं और यहां पर 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले अमीरों की संख्या 737 है. लिस्ट में दूसरे नंबर पर जापान की राजधानी टोक्यो (Tokyo) का नाम आता है, जहां पर 3.04 लाख करोड़पति और 12 अरबपति निवास करते हैं. इस शहर में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले अमीरों की संख्या 263 है.

वहीं करोड़पतियों की संख्या के लिहाज से तीसरे नंबर पर अमेरिकी शहर सैन फ्रैंसिस्को (San Frasisco) है, जहां 2.76 लाख करोड़पति और 62 अरबपति हैं. इस शहर में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति वाले अमीरों की संख्या 623 है.

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टॉप-10 में ये शहर भी शामिल
टॉप-10 की लिस्ट में चौथे स्थान पर ब्रिटेन की राजधानी लंदन (London) है. यहां कुल 2.72 लाख करोड़पति रहते हैं, जबकि अरबपतियों की संख्या यहा पर 38 है. इसके साथ ही लंदन में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति रखने वाले 406 अमीर लोग निवास करते हैं. पांचवे पायदान पर सिंगापुर (Singapore) आता है और अमीरों की संख्या की बात करें तो यहां पर 2.49 लाख करोड़पति रहते हैं. जबकि, 26 अरबपतियों वाले इस शहर में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा संपत्ति 336 लोगों के पास है. टॉप-10 शहरों की इस लिस्ट में छठे नंबर पर लॉस एंजिल्स, सातवें पर शिकागो, आठवें पर ह्यूस्टन, नौंवे स्थान पर बीजिंग और दसवें पायदान पर शंघाई का नाम है.

टॉप-20 में भी भारत का कोई शहर नहीं
Millionaires के पसंदीदा 20 शहरों की लिस्ट को देखें तो खास बात यह है कि भारत इसमें शामिल नहीं है. लिस्ट के मुताबिक, 11वें नंबर पर सिडनी है और उसके बाद 12 नंबर पर हांगकांग मौजूद है. जर्मनी का फ्रैंकफर्ट 13वां, कनाडा का टोरंटो 14वां और स्विट्जरलैंड का ज्यूरिक अमीरों के लिए 15वां सबसे पसंदीदा शहर है. अन्य शहरों की बात करें तो लिस्ट में कोरिया का भारत में म्युचुअल फंड इतिहास सियोल, ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न, अमेरिका का डलास, स्विट्जरलैंड का जिनेवा और फ्रांस की राजधानी पेरिस भी शामिल है.

इन भारतीय शहरों में सबसे ज्यादा रईस
जहां दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों की लिस्ट में भारतीय उद्योगपतियों गौतम अडानी और मुकेश अंबानी का दबदबा है. वहीं देश में रईसों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. इसके बावजूद अमीरों की संख्या के मामले में भारत को कोई भी शहर टॉप-20 तक में शामिल नहीं है. भारत की बात करें तो हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2022 के मुताबिक मुंबई में देश के सबसे ज्यादा 72 अरबपति रहते हैं. देश की राजधानी दिल्ली में 51 अरबपतियों के घर हैं, जबकि 28 अरबपतियों के घर के साथ बेंगलुरु तीसरे स्थान पर है.

रियाद-शारजाह में तेजी से बढ़े करोड़पति
2022 की पहली छमाही यानी जनवरी-जून के बीच न्यूयार्क में करोड़पतियों की संख्या 12 फीसदी घटी है. सैन फ्रांसिस्को में भी करोड़तियों की तादाद 4 फीसदी कम हो गई है. वहीं लंदन में करोड़पतियों की संख्या में 9 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. लेकिन इस दौरान रियाद और शारजाह में इस साल अब तक सबसे तेजी से करोड़पतियों की संख्या बढ़ी है. इसके साथ ही अबू धाबी और दुबई में भी करोड़पतियों के आंकड़े ने रफ्तार भरी है.

इस बीच सबसे ज्यादा अमीरों का पलायन रूस से हुआ है. चीन के बीजिंग और शंघाई में भी करोड़पतियों की संख्या कम हुई है, जिस वजह से ये धन गंवाने वाले देशों में रूस के बाद चीन दूसरे नंबर पर पहुंच गया है.

भारत -22 ईटीएफ -भारत के विकास के इतिहास में सशक्त भागीदार

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत-22 ईटीएफ की घोषणा की थी। यह घोषणा उनके 2017 -2018 के बजट के प्रावधानों के अनुरूप था, जिसमें उन्होंने ईटीएफ को शेयरों को विनिवेश करने का एक सशक्त साधन बनाने हेतु वादा किया था। फिलहाल बाजार में कई ईटीएफ के विभिन्न वेराइटी उपलब्ध हैं, तो ऐसे में यह जानना […]

भारत -22 ईटीएफ -भारत के विकास के इतिहास में सशक्त भागीदार

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत-22 ईटीएफ की घोषणा की थी। यह घोषणा उनके 2017 -2018 के बजट के प्रावधानों के अनुरूप था, जिसमें उन्होंने ईटीएफ को शेयरों को विनिवेश करने का एक सशक्त साधन बनाने हेतु वादा किया था। फिलहाल बाजार में कई ईटीएफ
के विभिन्न वेराइटी उपलब्ध हैं, तो ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि यह नया नवेला ईटीएफ बाकी दूसरों से किस तरह अलग है।

विशेष बातें-
इस ईटीएफ की विशेषता यह है कि इसमें सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेस (सीपीएसई), सार्वजनिक बैंक और एसयूयूटीआई के कुछ रणनीतिगत शेयर शामिल होते हैं। यह सभी नाम मुख्यतया 6 सेक्टरों जैसे कि बेसिक मटेरियल, उर्जा, वित्त, एफएमसीजी, उद्योग और सेवाएं के दायरे में आती हैं। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि इसके सूचकांक में सभी तरह के वृद्धि की संभावनाएं चाहे वह एफएमसीजी हो या सेवा आधारित वस्तुएं हों, या फिर उर्जा, धातु और उद्योग से संबंधित चक्रीय संभावनाएं हों।

ईटीएफ का यह घटक पहले के सीपीएसई ईटीएफ से काफी अलग है, जिसमें कुल पोर्टफोलियो का 85 फीसदी हिस्सा मुख्यतया उर्जा, धातु और वित्तीय सेवाओं से हुआ करती थी। पुरानी योजनाओं को थोड़ा और सुधारने के मद्देनजर भारत 22 ईटीएफ में सेक्टर के क्षेत्र में 20 फीसदी का कैप जबकि स्टॉक के क्षेत्र में 15 फीसदी का कैप लगा दिया गया है।

आपको क्यों निवेश करना चाहिए?
भारत के विकास के इतिहास में योगदान , भारत -22 पोर्टफोलियो में शामिल ज्यादातर स्टॉक ने भारत की बुनियाद और इसके आर्थिक वृद्धि
के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है। इसमें लार्सन एंड टूब्रो जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा 17 फीसदी का वेटेज मिला है। उसके बाद आईटीसी (15.2 फीसदी), एसबीआई (8.6 फीसदी) पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन (7.9 फीसदी) और एक्सिस बैंक 7.7 फीसदी का नंबर आता है। खुद वित्त मंत्री के अनुसार सेक्टरों का चयन उनमें आ रहे सुधारों को देखकर किया गया है और जिनके स्टॉक्स के
मूल्यांकन में इनका काफी प्रभाव रहा है।

निवेश को विविधीकृत कीजिए-
भारत 22 ईटीएफ किसी थीम विशेष सेक्टर पर आधारित नहीं है। इसके पोर्टफोलियो का ज्यादातर हिस्सा या यूं कह लीजिए कि 90 फीसदी हिस्सा लॉर्ज कैप स्टॉक में निवेशित है, जिससे पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है और इसमें उतार-चढ़ाव भी कम देखा जाता है। ईटीएफ निवेशकों को कुछ उच्च गुणवत्ता वाले मिड कैप और स्माल कैप स्टॉक्स में निवेश करने के उपरांत अच्छा खासा रिटर्न देने का अवसर देता है, जो कि कुल पोर्टफोलियो का 8 और 2 फीसदी तक हो सकता है । इस उद्देश्य से कि पोर्टफोलियो विविधीकृत होगा, भारत 22 के सूचकांक में प्रत्येक स्टॉक का 15 फीसदी उच्चतम सीमा तय कर दी गई है, जबकि किसी सेक्टर विशेष के स्टॉक्स की सीमा 20 फीसदी तक तय की
गई है ताकि ज्यादा निवेश की गुंजाइश न रहे।

आसानी से निवेश कीजिए-
हालांकि ईटीएफ को म्युचुअल फंड माना जाता है, परंतु इनकी प्रकृति काफी तरल होती है क्योंकि इन्हें स्टॉक एक्सचेंजों में ट्रेड किया जाता है। निवेशक आसानी से भारत 22 ईटीएफ के युनिट की खरीदी और बिक्री स्टॉक एक्सचेंजों में वास्तविक समय के आधार पर कर सकते हैं और ईटीएफ यूनिट का मूल्य इनमें मौजूद स्टॉक्स के मूल्य के अनुरूप गिरता या बढ़ता रहता है। चूंकि वे स्टॉक जिनमें भारत 22 निवेश करेगा, काफी तरल किस्म के हैं, अतएव ऐसी उम्मीद की जाती है कि इनमें निवेशकों का एक बहुत बड़ा वर्ग प्रवेश करेगा, जिससे इनके कारोबार की लागत भी कम होगी। इसके अतिरिक्त ईटीएफ 0.5 फीसदी से लेकर एक फीसदी तक का कमतर खर्च अनुपात वहन करेगा, क्योंकि इनका
प्रबंधन काफी सक्रियता से किया जाता है और इसके चलते लंबी अवधि में आपके धन संग्रह में वृद्धि होगी।

अच्छे रिटर्न प्राप्त कीजिए-
यह सच है कि भारत 22 ईटीएफ बेहद ही नया है, परंतु इसके पिछले रिटर्न बताते हैं कि इसने न सिर्फ बीएसई सेंसेक्स में उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया है, परंतु कई लॉर्ज फंडों में भी सबसे बेहतरीन रिटर्न दिया है। मार्च 2006 के (10 सालों में ) बाद भारत 22 सूचकांक ने भारत में म्युचुअल फंड इतिहास 12.9 फीसदी का रिटर्न दिया जबकि सेंसेक्स ने 9.2 फीसदी का रिटर्न दिया। इस अवधि में अगर आपने एक लाख रुपये का निवेश किया था तो भारत 22 से यह अब तक 3.4 लाख रुपये हो गया, जबकि यही राशि बीएसई सूचकांक में 2.4 लाख रुपये होती। भारत 22 सूचकांक ने लाभांश भी काफी अच्छा खासा दिया और यह वित्त वर्ष 2016-17 में 2 फीसदी तक की ऊंचाई पर पहुंच गया। जबकि बीएसई सेंसेक्स ने इसी दौरान 1.3 फीसदी का लाभांश ऑफर किया।

इससे पहले सरकार द्वारा सीपीएसई ईटीएफ द्वारा किये गए अॉफर ने भी निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न दिया, जिसने उन्हें पिछले एक साल में 17.5 फीसदी तक का रिटर्न दिया, और तब से वे निवेशकों से अच्छा खासा पैसा उगाहने में कामयाबी पाई है और इससे कुल परिसंपत्ति बढ़कर 5800 करोड़ रुपये तक हो गई है। इसके अतिरिक्त उन्हें खर्च का अनुपात भारत में म्युचुअल फंड इतिहास कम करने में भी काफी सफलता मिली है, और यह कम होकर 0.7 फीसदी तक पहुंच गई है जो कि दूसरे इक्विटी म्युचुअल फंड की 2 फीसदी की तुलना में काफी कम है।

ज्यादा संभावना है कि भारत 22 ईटीएफ के लिए सरकार बाजार मूल्य के लिए कोई विशेष छूट की पेशकश कर सकती है। अगर आप भारत के विकास की राह में एक सक्रिय योगदान निभाना चाहते हैं और इस हेतु सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं तो यह फंड आपके लिए सर्वोत्तम फंड है।

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