ब्रोकर टूल्स

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सही शेयर चुनने में ये 7 टूल्स करेंगे आपकी मदद
शेयरों की खरीद-फरोख्त में आप भी इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. इन टूल्स का बेसिक वर्जन बीएसई और एनएसई की वेबसाइटों पर उपलब्ध है.
क्या है जरूरत?
तकनीकी संकेतों के साथ केवल यही कमी है कि ये बाय या सेल के गलत सिग्नल दे देते हैं. इसका समाधान यह है कि एक समय में एक से अधिक इंडिकेटरों का इस्तेमाल किया जाए. अगर आपको विरोधाभासी संकेत मिलते हैं तो 2-3 इंडिकेटरों की पहचान करें. जब ये सभी एक जैसे सिग्नल दें तो ट्रेड करें.
1. अपट्रेंड लाइन
अपट्रेंड लाइन के ब्रेक होने पर सावधान हो जाएं
फरवरी 2020 में सेंसेक्स पर 3 साल की अपट्रेंड लाइन टूटने के बाद भारी बिकवाली देखने को मिली थी.
कैसे होता है कैलकुलेशन?
ज्यादा गिरावटों के स्थान को जोड़कर अपट्रेंड लाइन को बनाया जाता है. चार्ट में एल1, एल2 और एल3 को देखा जा सकता है.
इससे क्या पता चलता है?
जब अपट्रेंड लाइन मजबूत बनी रहती है तो निवेशकों को अपने निवेश को बनाए रखना चाहिए. इसके टूटने पर अपनी पोजिशन घटा देनी चाहिए. चार्ट में इसे ब्रेकिंग पॉइंट के तौर पर मार्क किया गया है.
क्या याद रखें?
अपट्रेंड तब बनता है जब खरीदारी के बढ़ते दबाव के चलते ज्यादा हाई और ज्यादा लो बनते दिखते हैं.
2. डाउनट्रेंड लाइन
सिप्ला जैसी मजबूत कंपनियां भी डाउनट्रेंड में आ सकती हैं
एक बार अच्छी कंपनी की पहचान कर लेने के बाद उसके डाउनट्रेंड से बाहर निकल आने तक खरीदारी करने से बचें.
कैसे होता है कैलकुलेशन?
डाउनट्रेंड लाइन को कम ऊंचे स्तरों को ब्रोकर टूल्स जोड़कर पहचाना जाता है. चार्ट में एच1, एच2, एच3 और एच4 को देखा जा सकता है.
इससे क्या पता चलता है?
निवेशकों को डाउनट्रेंड में शेयरों की खरीद से बचना चाहिए. इन्हें डाउनट्रेंड से निकलने के बाद ही खरीदना चाहिए.
क्या याद रखें?
डाउनट्रेंड तब बनता है जब बिकवाली के दबाव के चलते निचले स्तर के हाई और निचले स्तर के लो बनते हैं.
3. सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए)
निफ्टी पर 200 दिन के एसएमए ने निवेश का अच्छा संकेत दिया
यह ट्रेंड सिग्नल देने में थोड़ा वक्त लगाता है.
कैसे होता है कैलकुलेशन?
इसमें पिछले 'एन' दिनों के बंद भाव का औसत लिया जाता है. मसलन, 10 दिनों के लिए 10 दिन का मूविंग एवरेज, 20 दिन के लिए 20 दिन का मूविंग एवरेज इत्यादि. इसके बाद क्लाजिंग प्राइस के साथ प्लॉट बनाया जाता है.
इससे क्या पता चलता है?
मूविंग एवरेज शॉर्ट-टर्म फ्लक्चुएशन (छोटी अवधि की उठापटक) हटाने में मदद करता है. यह ट्रेंड की साफ तस्वीर दिखाता है. मूविंग एवरेज के नीचे जाने वाले मूल्य को 'सेल' सिग्नल के तौर पर लिया जाता है. मूविंग एवरेज के ऊपर जाने वाले दाम को 'बाय' सिग्नल के तौर पर देखा जाता है.
क्या याद रखें?
यह तकनीक ट्रेंडिंग मार्केट में बेहतर काम करती है.
4. मूविंग एवरेज कंवर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी)
साफ सिग्नलों के लिए लॉन्ग-टर्म एमएसीडी का इस्तेमाल करें
12, 26 और 5 हफ्तों के एमएसीडी पर आधारित ट्रिगर लाइनों ने सेंसेक्स पर साफ ट्रेडिंग सिग्नल दिया.
कैसे होता है कैलकुलेशन?
एमएसीडी का कैलकुलेशन शॉर्ट-टर्म एसएमए (अमूमन 12 दिन या हफ्ते) से मीडियम टर्म एसएमए (अमूमन 26 दिन या हफ्ते अगर वीकली चार्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं) को घटाकर किया जाता है. सिग्नल लाइन एमएसीडी का औसत (आमतौर से नौ दिन या पांच हफ्ते) होती है.
इससे क्या पता चलता है?
एमएसीडी सिग्नल में बदलाव ट्रेंड में बदलाव को दिखाता है. अगर मूविंग एवरेज ट्रिगर लाइन से ऊपर जाता है (अप ऐरो से मार्क किया गया है) तो वह बाय सिग्नल होता है. वहीं, यह ट्रिगर लाइन से नीचे है तो सेल का सिग्नल है.
क्या याद रखें?
हफ्तों पर आधारित मीडियम टर्म एमएसीडी निवेशकों को साफ तस्वीर दिखाता है.
5. बोलिंगर बैंड
अस्थिरता घटने पर सावधान हो जाएं
बहुत कम अस्थिरता को तूफान आने से पहले के सन्नाटे के तौर पर देखा जाता है.
कैसे होता है कैलकुलेशन?
अपर बैंड को 20 दिन के एसएमए के ऊपर दो स्टैंडर्ड डीविएशन पर प्लॉट किया जाता है. लोवर बैंड को 20 दिन ब्रोकर टूल्स के एसएमए के नीचे दो स्टैंडर्ड डीविएशन पर देखा जाता है.
इससे क्या पता चलता है?
यह अस्थिरता को नापने का पैमाना है. यह दिखाता है कि किसी ने कितना ज्यादा या कितना कम खरीदा है.
क्या याद रखें
बहुत कम अस्थिरता का मतलब है कि बैंड बहुत छोटा हो रहा है और ट्रेडर्स इसे ट्रेडिंग के मौके के तौर पर देख रहे हैं.
6. रिलेटिव स्ट्रेंथ ब्रोकर टूल्स ब्रोकर टूल्स इंडेक्स (आरएसआई)
आरएसआई जरूरत से ज्यादा खरीद/बिक्री का सिग्नल है
पिछले एक साल में आरएसआई खरीद और बिक्री के साफ सिग्नल देने में सफल रहा.
कैसे होता है कैलकुलेशन?
आरएसआई = 100 - (100+आरएस)
आरएस = अवधि के दौरान औसत फायदा या नुकसान
इससे क्या पता चलता है?
आरएसआई पिछले मूल्यों के मुकाबले मौजूदा कीमतों की मजबूती को बताता है. आरएसआई वैल्यू 70 से ऊपर जाने का मतलब जरूरत से ज्यादा खरीद है और इसका नीचे जाना सेल का सिग्नल है.
क्या याद रखें?
आरएसआई कीमतों में संभावित बदलाव का भी संकेत देता है. अगर शेयर भाव ऊपर जा रहे हैं और आरएसआई नीचे आ रहा है तो भविष्य में दाम घटने के आसार हैं.
7. रेट ऑफ चेंज (आरओसी)
रेगुलर ट्रेडरों के लिए सुविधाजनक टूल
चूंकी आरओसी कई तरह के क्रॉसओवर जेनरेट करता है. इसलिए निवेशकों के बजाय ट्रेडरों के लिए यह ज्यादा उपयोगी है.
कैसे होता है कैलकुलेशन
आरओसी = क्लोजिंग प्राइस - क्लोजिंग प्राइस के पिछले एन दिन / क्लोजिंग प्राइस के पिछले एन दिन * 100
इससे क्या पता चलता है?
यह दो अवधियों में मूल्य में प्रतिशत बदलाव को दिखाता है.
क्या याद रखें?
शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स जहां पांच या नौ दिन के आरओसी का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, मीडियम-टर्म ट्रेडर्स 14 या 26 दिन के आरओसी को उपयोग करते हैं.
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स्टॉक ब्रोकिंग के बारे मे कितना जानते हैं आप? शेयर मार्केट की जानकारी रहती है इनके पास
आज के युग मे मार्केटिंग, बैंकिग, स्टॉक ब्रोकिंग, अकाउंटेंसी के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन प्रगति हो रही है साथ ही इन क्षेत्रों में करियर के अवसर भी लगातार बढ़ रहे हैं। कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए स्टॉक ब्रोकर एक आकर्षक करियर माना जाता है। अगर आप यह समझते हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी कैसे काम करता है और आपको इन सब क्षेत्रों में रुचि है तो स्टॉक ब्रोकिंग क्षेत्र का चयन करना आपके करियर के लिए यकीनन सही होगा।
दरअसल, स्टॉक्स और अन्य सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की प्रोसेस को 'स्टॉक ब्रोकिंग' कहा जाता है। हमारे देश में स्टॉक मार्केट की फील्ड में स्टूडेंट्स के लिए बहुत अच्छे करियर ऑप्शन्स उपलब्ध हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में इंडियन ब्रोकिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट (पिछले वर्ष की मॉडरेट ग्रोथ रेट) 5-10 फीसदी से ज्यादा है और एस्टीमेटेड रेवेन्यु 19-20 हजार करोड़ के आस-पास रहेगा। इसलिए, भारत में स्टॉक ब्रोकिंग की फील्ड में कैंडिडेट्स का भविष्य आशाजनक है और कुछ वर्षों के वर्क एक्सपीरियंस के बाद इन प्रोफेशनल्स को काफी अच्छा सालाना सैलरी पैकेज भी मिलता है।
स्टॉक ब्रोकर किसे कहते हैं?
स्टॉक ब्रोकर वो होता है जो शेयर मार्केट में अपने क्लाइंट के लेन-देन के मामलों को देखता है। एक स्टॉक ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज और निवेशक के बीच एक कड़ी का काम करता है। बिना ब्रोकर के कोई भी निवेशक अपना सौदा शेयर मार्केट में नहीं डाल सकता है। अगर आप शेयर मार्केट में कदम रखना चाहते हैं तो आपको एक डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है, और आपके यह दोनों अकाउंट एक स्टॉक ब्रोकर संभालता है।
वह अपने क्लाइंट को शेयर मार्केट में हो रहें उतार-चढ़ाव की भी जानकारी देता है। वह शेयर मार्केट में कब, कैसे, क्यों पैसे निवेश करना चाहिए यह भी बताता है। अगर किसी को शेयर मार्केट में निवेश करना हो तो स्टॉक ब्रोकर ही सही राय दे सकता है जिससे कि निवेश करने वाले व्यक्ति को फायदा हो।
कोर्सेसस्टॉक ब्रोकर के रूप में अपना करियर बनाने के लिए उम्मीदवार बैंकिंग एंड फाइनेंस में डिप्लोमा कर सकते है। यह एक वर्ष का कोर्स होता है। इसमें बैंकिंग आपरेशंस, फाइने फाइनेस जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।
योग्यता
ग्रेजुएशन कर चुके छात्र और ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष के छात्र पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं और स्टॉक ब्रोकर बनने की दिशा में अपना पहला कदम रख सकते हैं। इस कोर्स के लिए छात्र को कॉमर्स स्ट्रीम से 50 प्रतिशत अंक के साथ उर्तीण होना चाहिए। इस फील्ड में करियर बनाने वाले छात्रों को बिजनेस अकाउंटिंग और फाइनेंस जैसे क्षेत्रा में रूचि होनी चाहिए।
प्रमुख संस्थान
गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
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टीकेडब्ल्यूएस इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस, नई दिल्ली,
www.tkwsibf.edu.in -
आज के युग मे मार्केटिंग, बैंकिग, स्टॉक ब्रोकिंग, अकाउंटेंसी के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन प्रगति हो रही है साथ ही इन क्षेत्रों में करियर के अवसर भी लगातार बढ़ रहे हैं। कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए स्टॉक ब्रोकर एक आकर्षक करियर माना जाता है। अगर आप यह समझते हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी कैसे काम करता है और आपको इन सब क्षेत्रों में रुचि है तो स्टॉक ब्रोकिंग क्षेत्र का चयन करना आपके करियर के लिए यकीनन सही होगा।
दरअसल, स्टॉक्स और अन्य सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की प्रोसेस को 'स्टॉक ब्रोकिंग' कहा जाता है। हमारे देश में स्टॉक मार्केट की फील्ड में स्टूडेंट्स के लिए बहुत अच्छे करियर ऑप्शन्स उपलब्ध हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में इंडियन ब्रोकिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट (पिछले वर्ष की मॉडरेट ग्रोथ रेट) 5-10 फीसदी से ज्यादा है और एस्टीमेटेड रेवेन्यु 19-20 हजार करोड़ के आस-पास रहेगा। इसलिए, भारत में स्टॉक ब्रोकिंग की फील्ड में कैंडिडेट्स का भविष्य आशाजनक है और कुछ वर्षों के वर्क एक्सपीरियंस के बाद इन प्रोफेशनल्स को काफी अच्छा सालाना सैलरी पैकेज भी मिलता है।
स्टॉक ब्रोकर किसे कहते हैं?
स्टॉक ब्रोकर वो होता है जो शेयर मार्केट में अपने क्लाइंट के लेन-देन के मामलों को ब्रोकर टूल्स देखता है। एक स्टॉक ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज और निवेशक के बीच एक कड़ी का काम करता है। बिना ब्रोकर के कोई भी निवेशक अपना सौदा शेयर मार्केट में नहीं डाल सकता है। अगर आप शेयर मार्केट में कदम रखना चाहते हैं तो आपको एक डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है, और आपके यह दोनों अकाउंट एक स्टॉक ब्रोकर संभालता है।
वह अपने क्लाइंट को शेयर मार्केट में हो रहें उतार-चढ़ाव की भी जानकारी देता है। वह शेयर मार्केट में कब, कैसे, क्यों पैसे निवेश करना चाहिए यह भी बताता है। अगर किसी को शेयर मार्केट में निवेश करना हो तो स्टॉक ब्रोकर ही सही राय दे सकता है जिससे कि निवेश करने वाले व्यक्ति को फायदा हो।
कोर्सेसस्टॉक ब्रोकर के रूप में अपना करियर बनाने के लिए उम्मीदवार बैंकिंग एंड फाइनेंस में डिप्लोमा कर सकते है। यह एक वर्ष का कोर्स होता है। इसमें बैंकिंग आपरेशंस, फाइने फाइनेस जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।
योग्यता
ग्रेजुएशन कर चुके छात्र और ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष के छात्र पीजी डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं और स्टॉक ब्रोकर बनने की दिशा में अपना पहला कदम रख सकते हैं। इस कोर्स के लिए छात्र को कॉमर्स स्ट्रीम से 50 प्रतिशत अंक के साथ उर्तीण होना चाहिए। इस फील्ड में करियर बनाने वाले छात्रों को बिजनेस अकाउंटिंग और फाइनेंस जैसे क्षेत्रा में रूचि होनी चाहिए।
शेयरों में भी सिप से कर सकते हैं निवेश
पैसा ब्रोकर टूल्स बनाने के लिए कई तरीके बताए जाते हैं. उन्हीं में से एक है नियमित रूप से ग्रोथ ओरिएंटेड इनेवस्टमेंट प्रोडक्टों में निवेश करना. शेयरों में भी सिप के जरिये धीरे-धीरे निवेश किया जा सकता है. सिस्टेमैटिक स्टॉक इनवेस्टमेंट टूल्स के जरिये आप ऐसा कर सकते हैं. यह सुविधा ब्रोकर उपलब्ध कराते हैं. इन टूल्स की मदद से आप कंपनियों के एक समूह में निवेश कर सकते हैं.
शेयरों में निवेश के लिए आपको डीमैट अकाउंट खुलवाने की जरूरत पड़ती है. ब्रोकर के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए एक्सचेंज पर शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए ट्रेंडिग अकाउंट खुलवाना जरूरी है. यह अकाउंट ब्रोकर के पास खुलता है. आपका बैंक अकाउंट डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक होना चाहिए.
ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में आप लॉग-इन करके स्टॉक सिप में नीचे बताए गए तरीकों से रजिस्टर कर सकते हैं :
-10-15 शेयरों की बकेट तैयार करके नियमित रूप से निवेश करना.
-पहले से तय शेयरों में एक निश्चित रकम का निवेश करना.
हालांकि, आपके पास विकल्प होता है कि आप किसी खास शेयर को नहीं चुनें. आप बता सकते हैं कि हर एक शेयर में कितनी रकम निवेश करनी है या फिर हर किस्त के साथ खरीदे जाने वाले शेयरों की संख्या के बारे में बता सकते हैं.
स्टॉक सिप शुरू करने के लिए आपको निवेश की रकम, शुरुआत करने की तारीख, अंतिम तारीख, ट्रिगर डेट इत्यादि के बारे में बताना पड़ता है. ट्रिगर डेट ब्रोकर टूल्स ब्रोकर टूल्स वह तारीख है जिस दिन हर एक किस्त के लिए बकेट में निवेश किया जाएगा. इसी दिन उन शेयरों के लिए एक अलग ऑर्डर जेनरेट होगा जिन्हें आपने चुना है. ये ऑर्डर एक्सचेंज ब्रोकर के ऑर्डर मैचिंग सिस्टम के अनुसार एग्जीक्यूट होते हैं. आप सिप की फ्रीक्वेंसी (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक) चुन सकते हैं.
-यह चेक कर लेना जरूरी है कि स्टॉक सिप रीक्वेस्ट क्रिएट करने के लिए ब्रोकर ब्रोकरेज जैसे अन्य रेगुलर चार्जेस के अलावा कितना चार्ज करते हैं.
-आप किसी भी समय स्टॉक सिप इंस्ट्रक्शन को कैंसिल या बदल सकते हैं. यह अगली ट्रिगर डेट से प्रभावी हो जाएगा.
क्या Olymp Trade एक वैध ऑनलाइन ब्रोकर है?
वर्ष 2000 के बाद ऑनलाइन ब्रोकर लोकप्रियता हासिल कर रहे थे। सरकारों द्वारा बनाए जा रहे नए नियमों के सामने कुछ ब्रोकर टिक नहीं पाये। कुछ ब्रोकरों के प्लेटफॉर्म फ्रॉड थे जो लोगों के निवेश के बाद बिजनेस बंद करके भाग गए।
ये सब देखकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि पैसे कहाँ निवेश किए जाएँ। Olymp ब्रोकर टूल्स Trade बहुत ही लोकप्रिय ब्रोकर है जो कई सालों से काम कर रहा है। क्या इसका मतलब है कि यह एक वैध ऑनलाइन ब्रोकर है? जवाब पाने के लिए लेख पढ़ें।
Olymp Trade प्लेटफॉर्म का अवलोकन
Olymp Trade एक ऑनलाइन ब्रोकर है जो वित्तीय डेरिवेटिव, मुद्रा जोड़े cryptocurrencies, या कमोडिटीज़ जैसे फ़ाइनेंशियल इन्स्ट्रुमेंट प्रदान करता है। प्लेटफॉर्म एशिया और दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े यातायात सहित दुनिया के कई विभिन्न क्षेत्रों में सुलभ है। कंपनी ने कई पुरस्कारों जीते हैं। वे लगातार नई सहायक सुविधाओं को विकसित और शुरू कर रहे हैं।
कई शुरुआती ट्रेडर जानना चाहते हैं कि क्या Olymp Trade से पैसा कमाना संभव है। हाँ, संभव है, लेकिन कोई गारंटी नहीं है।
ट्रेडिंग में हमेशा एक निश्चित मात्रा में जोखिम होता है और कई ट्रेडर सारा पैसा गंवा देते हैं। लेकिन ऐसे कई ट्रेडर होते हैं जो प्लेटफॉर्म पर पैसा बनाते हैं। वे यह जानने के लिए कि बाजार कैसे काम करते हैं, विभिन्न रणनीतियों का अभ्यास करने और मनोवैज्ञानिक संतुलन बनाए रखने के लिए अनगिनत घंटे खर्च करते हैं।
Olymp Trade एक वैध ब्रोकर के रूप में
अपनी रुचि की वेबसाइट की पोजीशन पता लगाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है थर्ड पार्टी वेबसाइट का प्रयोग करना। मैंने Olymp Trade की पोजीशन जाँचने के लिए SimilarWeb का प्रयोग किया था। XNUMX वां स्थान अन्य वित्तीय और निवेश संस्थानों के बीच काफी ठोस प्रतिष्ठा देता है।
फिर मैंने देखा कि दुनिया भर में ट्रैफिक किस तरह वितरित है। परिणाम संतोषजनक हैं। Olymp Trade प्लेटफॉर्म पर 250 से अधिक देशों के ट्रेडर आते हैं। कुछ सिर्फ आगंतुक होते हैं, असली ट्रेडर नहीं, लेकिन यह माना जा सकता है कि अधिकतर लोग साइट पर ट्रेडिंग ट्रैंज़ैक्शन के लिए ही आते हैं। इससे एक और बात साबित होती है कि दुनिया भर के ट्रेडर Olymp Trade पर भरोसा करते हैं। सबसे ज्यादा ट्रैफिक भारत, ब्राज़ील और उक्रेन से आता है, लेकिन ऐसा कोई देश नहीं है जहाँ से सभी आगंतुकों के 20% से अधिक आते हों।
वित्तीय आयोग Olymp Trade का पूरी तरह से नियमन करता है
Olymp Trade 2014 में बनाया गया था और इसने 2016 में वित्तीय आयोग से लाइसेंस प्राप्त किया। यह एक कंपनी है जो उन वित्तीय संस्थानों का निरीक्षण करती है जो ग्राहकों से धन जमा करवाती हैं।
वित्तीय आयोग का सदस्य होने से Olymp Trade के ग्राहकों को यह आश्वासन मिलता है कि उनका फ़ंड Olymp Trade ऑपरेटिंग फ़ंड से अलग रहेगा। इसके अलावा, Olymp Trade के दिवालिया होने की स्थिति में मुआवजा राशि की गारंटी देता है। ट्रेडर $20.000 का रिफ़ंड प्राप्त कर सकते हैं। हालाँकि, कोई भी समस्या आने पर सबसे पहले Olymp Trade ग्राहक सहायता टीम से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
Olymp Trade विकास
XNUMX में Olymp Trade को विभिन्न डेरिवेटिव सेक्योरिटी के ब्रोकर के रूप में स्थापित किया गया था। उस समय से कंपनी ने कई अन्य फ़ाइनेंशियल इन्स्ट्रुमेंट जैसे CFDs, मुद्राएं, सूचकांक, स्टॉक और क्रिप्टोकरेंसी आदि को शामिल किया है।
समय के साथ इसमें उपयोगी और आमतौर पर प्रयोग होने वाले टूल्स और इंडिकेटर जोड़े गए हैं। उनकी सहायता से ट्रेडिंग करना आसान ब्रोकर टूल्स हो जाता है।
अन्य सुधारों में डेस्कटॉप और मोबाइल ऐप्स से एक्सेस शामिल है। इसमें एक वीआईपी खाता भी है जो ट्रेडिंग संभावनाएँ बढ़ाता है।
ट्रेडिंग टेक्नोलॉजी लगातार आगे बढ़ रही है। निष्पादित ट्रेडों का सत्यापन VerifyMyTrade कंपनी द्वारा बाहरी रूप से किया जाता है। प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ता के अनुकूल है और दुनिया भर में लोकप्रिय है।
Olymp Trade के खिलाफ शिकायतें
स्वाभाविक रूप से, शिकायतें कुछ समय बीत जाने पर आना शुरू होती हैं। Olymp Trade की भी कुछ शिकायतें मिलती हैं। अपनी जांच के दौरान मुझे पता चला कि सबसे अधिक शिकायतें विड्रॉ में देरी होने के लिए आती हैं।
वास्तव में, ब्रोकर टूल्स कई ऑनलाइन प्लेटफार्मों में यह समान समस्या है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब तक किसी ने रिपोर्ट नहीं किया है कि कंपनी ने उनके पैसे न लौटाए हों।
तो कुल मिलाकर, Olymp Trade एक वैध ऑनलाइन ब्रोकर है। प्लेटफ़ॉर्म को निरंतर विकसित किया जा रहा है, और इसने अपनी योग्यता साबित की है। यही कारण है कि यह दुनिया भर में इतना लोकप्रिय हो गया है। ट्रेडरों के पास विभिन्न बाजारों में पैसा बनाने की संभावना है। और एक निःशुल्क डेमो खाता भी है जहाँ आप अपनी आवश्यकता के अनुसार अभ्यास कर सकते हैं। आप सीखेंगे कि प्लेटफ़ॉर्म कैसे कार्य करता है और फिर आप नए इंडिकेटरों या रणनीतियों को आज़माने के लिए कभी भी अपने डेमो खाते में लौट सकते हैं।
शेयरों में भी सिप से कर सकते हैं निवेश
पैसा बनाने के लिए कई तरीके बताए जाते हैं. उन्हीं में से एक है नियमित रूप से ग्रोथ ओरिएंटेड इनेवस्टमेंट प्रोडक्टों में निवेश करना. शेयरों में भी सिप के जरिये धीरे-धीरे निवेश किया जा सकता है. सिस्टेमैटिक स्टॉक इनवेस्टमेंट टूल्स के जरिये आप ऐसा कर सकते हैं. यह सुविधा ब्रोकर उपलब्ध कराते हैं. इन टूल्स की मदद से आप कंपनियों के एक समूह में निवेश कर सकते हैं.
शेयरों में निवेश के लिए आपको डीमैट अकाउंट खुलवाने की जरूरत पड़ती है. ब्रोकर के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए एक्सचेंज पर शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए ट्रेंडिग अकाउंट खुलवाना जरूरी है. यह अकाउंट ब्रोकर के पास खुलता है. आपका बैंक अकाउंट डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक होना चाहिए.
ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में आप लॉग-इन करके स्टॉक सिप में नीचे बताए गए तरीकों से रजिस्टर कर सकते हैं :
-10-15 शेयरों की बकेट तैयार करके नियमित रूप से निवेश करना.
-पहले से तय शेयरों में एक निश्चित रकम का निवेश करना.
हालांकि, आपके पास विकल्प होता है कि आप किसी खास शेयर को नहीं चुनें. आप बता सकते हैं कि हर एक शेयर में कितनी रकम निवेश करनी है या फिर हर किस्त के साथ खरीदे जाने वाले शेयरों की संख्या के बारे में बता सकते हैं.
स्टॉक सिप शुरू करने के लिए आपको निवेश की रकम, शुरुआत करने की तारीख, अंतिम तारीख, ट्रिगर डेट इत्यादि के बारे में बताना पड़ता है. ट्रिगर डेट वह तारीख है जिस दिन हर एक किस्त के लिए बकेट में निवेश किया जाएगा. इसी दिन उन शेयरों के लिए एक अलग ऑर्डर जेनरेट होगा जिन्हें आपने चुना है. ये ऑर्डर एक्सचेंज ब्रोकर के ब्रोकर टूल्स ऑर्डर मैचिंग सिस्टम के अनुसार एग्जीक्यूट होते हैं. आप सिप की फ्रीक्वेंसी (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक) चुन सकते हैं.
-यह चेक कर लेना जरूरी है कि स्टॉक सिप रीक्वेस्ट क्रिएट करने के लिए ब्रोकर ब्रोकरेज जैसे अन्य रेगुलर चार्जेस के अलावा कितना चार्ज करते हैं.
-आप किसी भी समय स्टॉक सिप इंस्ट्रक्शन को कैंसिल या बदल सकते हैं. यह अगली ट्रिगर डेट से प्रभावी हो जाएगा.